मंडी परिषद घोटाला : सीमेंट और मैक्सफॉल्ट घोटालों ने अभियंताओं को बना दिया करोड़पति
Sandesh Wahak Digital Desk : राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के निर्माणखंड प्रयागराज से बरामद लाल डायरी से नित नए खुलासे हो रहे हैं। डायरी से दो अवर अभियंताओं का नाम उजागर हुआ है, जिनके कारनामों ने उन्हें करोड़पति बना दिया। सिर्फ डायरी में दो-दो करोड़ रुपए कमीशन प्राप्त होना दर्ज है। दोनो अभियंताओं के कारनामों की जांच के लिए विजिलेंस को भी सबूतों सहित पत्र लिखा गया है।
प्रयागराज में तैनाती के दैरान वसूली की और बनाया करोड़ों का साम्राज्य
इसके अलावा एक अवर अभियंता का मामला डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के कार्यालय पहुंच गया है। संभव है कि उनके कार्यालय स्तर पर मामले की जांच कराई जाए। मंडी सूत्रों के मुताबिक अगर दोनो अभियंताओं के कार्यकाल में हुए सीमेंट और मैक्सफाल्ट के घोटालों की जांच कर ली जाए तो करोड़ों के भ्रष्टाचार सामने आएंगे।
पहला मामला सेवा निवृत्ति सहायक अभियंता लालचंद्र सिंह का है जो निर्माण खंड प्रयागराज में अवर अभियंता पद पर कार्यरत थे। इनके द्वारा कौशांबी तथा फतेहपुर में अवर अभियंता के रूप में तैनात रहते हुए खूब फर्जी भुगतान किए गए। प्रयागराज में सीमेंट और मैक्सफाल्ट को बाजार रेट से अधिक दर पर क्रय किया गया तथा मार्केट में बेच दिया जाता था। फर्जी बिल बाउचर के साथ लेखानुभाग में समायोजन भी करा दिया गया।
विजिलेंस में हुई शिकायत, एक-एक संपत्ति का लेखा-जोखा पहुंचा
फतेहपुर क्षेत्रान्तर्गत फतेहपुर मंडी में तथा गुड्ढा मुक्ति योजनांतर्गत संपर्क मार्गों में पैच मरम्मत का कार्य तथा प्रीमिक्सिंग का कार्य सिर्फ कागजों पर कराया गया। पूरा भुगतान कराकर ठेकेदारों से वसूली की गई। लालचंद्र के खिलाफ विजिलेंस को भी शिकायतीपत्र भेजा गया है, जिसमें उनकी संपत्तियों का भी विवरण दर्ज है। शिकायतीपत्र के अनुसार लालचंद्र की चल अचल संपत्ति 50 करोड़ रुपए बताई गई है। राजरूपपुर, लखनऊ शहीदपथ, प्रयागराज के झूंसी और एयरपोर्ट के पास करोड़ों की संपत्तियां बताई गई है। दूसरा नाम बांदा में तैनात सहायक अभियंता आत्माराम सरोज से जुड़ा हुआ है।
सरोज द्वारा प्रयागराज में 2007 से 2016 तक फतेहपुर, कौशांबी और प्रयागराज में पर्यवेक्षीय अवर अभियंता का कार्य किया गया। इनके द्वारा बसपा शासन काल में सर्वाधिक बंदरबांट किया गया। इनके द्वारा सीमेंट को सीधे बाजार में बेचने का आरोप है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या द्वारा कौशांबी में 765 सडक़ों के निर्माण कार्य की जांच कराई गई थी, जिसे बाद में मैनेज कर लिया गया। हालांकि यह प्रकरण फिर डिप्टी सीएम कार्यालय तक पहुंच गया है।
लाल डायरी में सहायक अभियंताओं के दो-दो करोड़ के कमीशन दर्ज
संभव है कि इस प्रकरण की जांच पुन: शुरू हो जाए। उधर, लाल डायरी से भी दोनों अभियंताओं के लेन-देन का खुलासा हुआ है। इस संबंध में विधायकों द्वारा उच्च स्तरीय जांच के लिए शासन को पत्र प्रेसित किया जा चुका है। फर्जी भुगतान को लेकर मंडी निदेशक द्वारा गठित की गई तीन सदस्यीय टीम ने अपनी आख्या 19 अगस्त को ही सौंप दी थी, लेकिन 20 दिन बीतने के बाद भी निदेशक द्वारा आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
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