मंडी परिषद : विवेचक ने मांगा आरोपी क्लर्क का लेखा-जोखा, ढाई करोड़ के फर्जी भुगतान का प्रकरण

Sandesh Wahak Digital Desk : राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के प्रयागराज निर्माण खंड में ढाई करोड़ रुपए के फर्जी भुगतान प्रकरण की जांच शुरू हो गई है। इस दौरान विवेचनाधिकारी ने आरोपी क्लर्क मंजीत सिंह का पूरा लेखा जोखा मांगा है। किस तिथि में आरोपी क्लर्क की प्रयागराज में तैनाती हुई थी। किस तिथि में क्लर्क का प्रयागराज से झांसी में स्थानांतरण हुआ था, इसकी भी जानकारी मांगी गई है।

प्रयागराज के धूमनगंज थाने के निरीक्षक एवं विवेचनाधिकारी सुशील कुमार कनौजिया ने उपनिदेशक (निर्माण) मुंडेरा प्रयागराज को पत्र लिखकर पूरी जानकारी मांगी है। विवेचनाधिकारी ने उक्त टेंडर का नोटिफिकेशन, अधिसूचना जारी करने का दिनांक, खाते से गबन की गई धनराशि से संबंधित समस्त लेखाजोखा, रजिस्टर की प्रमाणित छायाप्रति की भी मांग की गई है। इसके अलावा आरोपी क्लर्क मंजीत सिंह के ट्रांसफर, रिलीविंग तिथि आदि का भी संपूर्ण ब्यौरा मांगा है।

रविंद्र सिंह सहित चार आरोपियों निलंबित

गौरतलब हो कि संदेशवाहक समाचार पत्र ने प्रयागराज के निर्माण खंड में हुए इस घोटाले को उजागर किया था। इसके बाद मंडी परिषद के निदेशक द्वारा प्रकरण की जांच कराई गई। मामला सही पाए जाने के बाद निदेशक ने तत्कालीन उपनिदेशक (निर्माण) रविंद्र सिंह सहित चार आरोपियों को निलंबित कर दिया। साथ ही उक्त चारों आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया।

बताते चलें कि आरोपी क्लर्क मंजीत सिंह की तैनाती झांसी में थी, लेकिन वह प्रयागराज में पहुंचकर फर्जी भुगतान कराता रहा। ऐसी स्थिति में मंडी परिषद मुख्यालय द्वारा मंजीत सिंह के संपूर्ण कार्यकाल के जांच की मांग की गई थी। लेकिन उच्चाधिकारियों द्वारा सिर्फ घोटाले की जांच कराई गई।

सूत्रों के मुताबिक अगर संपूर्ण कार्यकाल की जांच होती तो कई अन्य खुलासे हो सकते थे। लेकिन पूर्व के कई अधिकारियों को बचाने के लिए ऐसा नहीं किया गया। हालांकि विवेचक ने इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आरोपी क्लर्क का पूरा लेखा-जोखा तलब किया है। जाहिर सी बात है कि विवेचना में संपूर्ण तथ्य सामने आएंगे।

शिकायत पर नहीं हुई जांच

आजमगढ़ वाला एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब, इंदल प्रसाद दबाए बैठे हैं। जौनपुर में जनेश्वर मिश्र योजना में फर्जी भुगतान किया गया। उसमें मैकूलाल के खिलाफ कार्रवाई की गई थी लेकिन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। वाराणसी में भी घोटाला किया गया। प्रयागराज में इनके पीरियड की दो वर्ष की जांच नहीं करने को लेकर भी शिकायत की गई थीं। लेकिन जांच नहीं हुई।

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