मल्हीपुर काण्ड : पुलिस की शिथिलता, साजिश या सियासत!

पुलिस की कार्रवाई से शरारती तत्वों के मंसूबों पर फिरा पानी, साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की लिखी गयी थी पटकथा

Sandesh Wahak Digital Desk/A.R.Usmani: गोण्डा जिले के छपिया थाना क्षेत्र के मल्हीपुर गांव में शरारती तत्वों ने जिस तरह गोकशी की पटकथा लिखी, उससे न सिर्फ सामाजिक ताना-बाना छिन्न-भिन्न हो सकता था, बल्कि कानून व्यवस्था को भी आंच आ सकती थी। हालांकि, इस घटना के तुरंत बाद जिस तरह पुलिस एक्शन में आई और मुख्य आरोपी को हिरासत में लेने के साथ ही अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए ताबड़तोड़ दबिश देने लगी, उससे भी अराजकतत्वों के मंसूबों पर पानी फिर गया और इलाके का सामाजिक सौहार्द बिगड़ने से बच गया।

गोकशी की घटना आई थी सामने

जिले के छपिया थाना की हथियागढ़ चौकी क्षेत्र के मल्हीपुर गांव में मंगलवार की शाम पांच बजे गोकशी की घटना सामने आई। ग्रामीणों को इसकी भनक लगते ही चौकी हथियागढ़ पुलिस को सूचना दी गयी। पुलिस ने मौके पर छापा मारकर गोमांस बरामद किया। घटना के बाद गांव में तनाव की स्थिति बन गयी। इस बीच क्षेत्रीय भाजपा विधायक प्रभात वर्मा भी मौके पर पहुंच गए और उन्होंने इस घटना पर सख्त नाराजगी जताते हुए हथियागढ़ चौकी प्रभारी अंगद सिंह पर निशाना साधते हुए शरारती तत्वों से मिलीभगत का आरोप लगा डाला।

तीन पुलिसकर्मी निलंबित

विधायक ने कहा कि यह खेल चौकी प्रभारी के संरक्षण में चल रहा था। विधायक के तेवर को भांपते हुए पुलिस-प्रशासन ने भी काफी सूझ-बूझ से काम लिया और मंगलवार की देर रात एसपी विनीत कुमार जायसवाल ने हथियागढ़ चौकी प्रभारी अंगद सिंह समेत तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। वहीं दूसरी तरफ इस घटना के बाद से विधायक प्रभात वर्मा का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा, जो उन्होंने आयुक्त देवीपाटन को लिखा था। इस पत्र में तारीख 19.03.2025 लिखी है।

 

पत्र में लिखा गया है कि “उनके द्वारा क्षेत्र भ्रमण के समय लोगों द्वारा अवगत कराया गया है कि ग्राम पंचायत कस्बा खास थाना खोड़ारे एवं ग्राम पंचायत पिपरा माहिम थाना छपिया के अंतर्गत जिला खाद्य अधिकारी गोण्डा द्वारा बीफ बिक्री हेतु दुकान का लाइसेंस निर्गत किया गया है। उक्त ग्राम पंचायतों में बीफ की दुकान को लेकर भारी आक्रोश है। विधायक ने लिखा कि उक्त बीफ की दुकानें यदि नहीं बंद हुईं तो क्षेत्र में साम्प्रदायिक माहौल भी बिगड़ सकता है।” (हालांकि वायरल पत्र की पुष्टि संदेश वाहक नहीं करता है)।

अब सवाल यह उठता है कि क्या विधायक प्रभात वर्मा द्वारा आयुक्त देवीपाटन मंडल को इस आशय का पत्र लिखा गया था? यदि हां, तो आयुक्त द्वारा इस पर क्या कार्रवाई की गयी? सवाल यह भी है कि विधायक द्वारा इस मामले में कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को पत्र क्यों नहीं लिखा गया? यक्ष प्रश्न तो यह है कि क्या विधायक द्वारा इस मामले में आयुक्त अथवा अन्य उच्चाधिकारियों को अवगत कराते हुए कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया और उसे नजरंदाज कर दिया गया?

शरारती तत्वों के मंसूबों पर फिरा पानी

बहरहाल जो भी हो, गोकशी की आंच में तप रहे मल्हीपुर, छपिया और हथियागढ़ ही नहीं, बल्कि आस-पास के गांवों और कस्बों में भी लोगों द्वारा ये सवाल उठाए जा रहे हैं। कोई इसके पीछे शरारती तत्वों का हाथ बता रहा है तो कोई साजिश। वहीं तमाम लोग इस वारदात के पीछे सियासत भी मान रहे हैं। अलबत्ता लोग पुलिस और प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम की खुले मन से सराहना कर रहे हैं।

गौरा चौकी के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता आरिफ खान दानिश कहते हैं कि यदि पुलिस और प्रशासन ने तत्परता न दिखाई होती तो अराजकतत्वों के मंसूबे कामयाब हो गए होते। वहीं मसकनवा के लालजी मोदनवाल और हथियागढ़ के पप्पू मिस्त्री कहते हैं कि इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जानी चाहिए और इसमें शामिल हर चेहरा बेनकाब होना चाहिए।

क्या है पूरा मामला?

छपिया थाना क्षेत्र के हथियागढ़ के रहने वाले मनीष पाण्डेय ने थाने में तहरीर दी जिसमें बताया कि 08 अप्रैल को शाम करीब पांच बजे गेहूं की कटाई के लिए कुछ मजदूर ग्राम मल्हीपुर गए थे, तभी नसीम पुत्र वसीम के घर के पीछे चारों तरफ से खर पतवारी की टाटी से घिरे स्थान से कुछ काटने की आवाज सुनाई दी। वह जब टाटी के पास पहुंचा तो उसे देखकर वहां मौजूद लोग भाग गए।

हालांकि उसने सलीम, नासिर व कलीम को पहचान लिया। तहरीर में बताया कि उसने जब टाटी के अंदर देखा तो प्रतिबंधित पशु के पैर, सींग, करीब तीन कुंतल मांस, काटने वाली छूरी, कुल्हाड़ी, लकड़ी का ठीहा, तराजू-बांट व पालीथीन काफी मात्रा में मौके पर मौजूद था। आरोप लगाया कि उक्त लोग गोवंशीय पशुओं को काटकर उनके मांस को बेचते हैं।

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