महाघोटाला पार्ट-5: अंसल के इशारे पर पलक झपकते होती थी सपा सरकार की कैबिनेट बैठक
मास्टर प्लान से खिलवाड़ करके टाउनशिप के आड़े आ रही प्रस्तावित आउटर रिंग रोड को कराया शिफ्ट

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: सपा सरकार के दौरान अंसल एपीआई की सुशांत गोल्फ सिटी घोटाला टाउनशिप के लिए मानो रेड कार्पेट बिछा दिया गया था। अखिलेश सरकार ने अंसल के हितों को शीर्ष पर रखा।
टाउनशिप के बीच से जा रही आउटर रिंग रोड सुनियोजित तरीके से शिफ्ट करा दी गई। शिफ्टिंग से रिंग रोड की जमीन का लाभ बिल्डर को हुआ। लखनऊ में देश की सबसे चौड़ी आउटर रिंग रोड प्रस्तावित थी। एलडीए और शासन के अफसरों ने आईटी सिटी की आड़ में तथ्यों से लुकाछिपी करके इस खेल का खाका खींचा था। 2003 के बाद मास्टरप्लान जब संशोधित हुआ तो उसमें अंसल की टाउनशिप के बीच से 150 मीटर की आउटर रिंग रोड प्रस्तावित थी।
कैबिनेट निर्णय के जरिये बिल्डर को पहुंचाया लाभ
इसकी पुष्टि मास्टरप्लान 2021 से की जा सकती है। इस रोड को बाद में करीब 260 मीटर तक चौड़ा किया जाना था। 2006 के बाद अंसल ने जब सुल्तानपुर रोड पर 1765 एकड़ में टाउनशिप का निर्माण शुरू किया। तभी से रिंग रोड अंसल की नजरों में खटकने लगी थी। अंसल के पैरोकारों ने इसको हटाने के लिए घोड़े खोल दिए। प्रस्तावित रिंग रोड की जमीन पर अंसल ने गोल्फ कोर्स समेत कई निर्माण पहले करा लिए थे।
फुलप्रूफ प्लानिंग अंसल के अधिशाषी निदेशक रमेश यादव (पूर्व आईएएस) ने तैयार की थी। 2013 में तत्कालीन एलडीए वीसी राजीव अग्रवाल के समय पहले प्रस्ताव तैयार हुआ कि भूमि अधिग्रहण, सरकारी भवनों की आड़ व तमाम झमेलों का बहाना बनाकर रोड की चौड़ाई 150 से 100 मी. रखी जाए। टाउनशिप से रिंग रोड के संरेखण का खाका खींचा गया। तत्कालीन मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक एनआर वर्मा ने एलडीए-अंसल की योजना पर पानी फेर दिया।
तत्कालीन मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक ने चार पन्नों की रिपोर्ट में रोड की चौड़ाई कम न करने के छह कारण सुझाये थे। वर्मा के मुताबिक रिंग रोड की चौड़ाई कम करना शहर और निवासियों के हित में नहीं है। बढ़ती आबादी के हिसाब से लाखों वाहनों की संख्या का हवाला भी दिया। कहा गया कि रोड की चौड़ाई क्यों नहीं बढ़ायी जा सकती, जयपुर में इतनी चौड़ी सडक़ पहले से मौजूद है। आउटर रिंग रोड की चौड़ाई भविष्य की योजना बनाकर ही तय की गयी है। तेजी से बढ़ते इंफ्रास्ट्रक्चर और इंडियन रोड कांग्रेस व शहरी क्षेत्रों के विकास के लिए यह रोड बेहद जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भूमि का अधिग्रहण किया जाना चाहिए। जब अंसल जैसे तमाम बड़े बिल्डरों को हजारों एकड़ जमीनें दी जा सकती हैं तो रिंग रोड की चौड़ाई बढ़ाने के लिए जमीन के अधिग्रहण में क्या मुश्किल है।
सीटीसीपी की रिपोर्ट को शासन नजरअंदाज नहीं कर सका
वर्मा ने लिखा था कि सरकार की सुल्तानपुर रोड पर आईटी सिटी, मेट्रो रेल व बीआरटीएस सर्विस स्थापित करने की योजना है। इस लिहाज से आउटर रिंग रोड बेहद जरूरी हैं। रिंग रोड की 150 मी. चौड़ाई सीतापुर रोड, फैजाबाद रोड, कानपुर रोड, हरदोई रोड, सुल्तानपुर रोड और रायबरेली रोड को देखते हुए रखी गयी है। इसलिए इसमें बदलाव न किया जाए। हालांकि तत्कालीन सीटीपी की रिपोर्ट को शासन नजरअंदाज नहीं कर सका। इस रिपोर्ट के बाद शासन ने एलडीए से प्रस्ताव में बदलाव करने के निर्देश दिए। अंसल को मोटा फायदा पहुंचाने के लिए रिंग रोड के स्थानांतरण के संबंध में खूब तर्क गढ़े गए।
एलडीए अफसरों की साठगांठ के बाद ऐसा कैबिनेट नोट तैयार किया गया, जिससे प्रस्तावित आउटर रिंग रोड की न तो चौड़ाई बढ़ायी जाए और न ही ऐसा संरेखण हो, जिससे यह रोड अंसल एपीआई के गोल्फ कोर्स जैसे करोड़ों के अवैध निर्माण में बाधक बने। इसके बाद अखिलेश सरकार ने कैबिनेट बैठक के जरिये लिए निर्णय में देश की सबसे चौड़ी प्रस्तावित आउटर रिंग रोड की परिकल्पना को मानो ध्वस्त कर दिया। अंसल के खातिर आउटर रिंग रोड को प्रस्तावित स्थल से तकरीबन दो किमी दूर अखिलेश सरकार ने शिफ्ट करा दिया था।
‘संदेश वाहक’ ने इस खबर पर संबंधित अफसरों का पक्ष जानने का प्रयास किया। लेकिन कोई भी अफसर खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। अफसरों ने दबी जुबान में स्वीकारा कि अंसल के लिए आउटर रिंग रोड शिफ्ट कराई गयी थी। लेकिन बिल्डर के विस्तार के लिए ऐसा करना जरुरी था। उनके मुताबिक मास्टरप्लान में रिंग रोड आज भी मौजूद है। किसान पथ भी एनएचएआई ने बनाया है।
रिंग रोड की भूमि पर पहले ही करा लिए थे अवैध निर्माण
आउटर रिंग रोड की जिस जमीन पर असंल ने करोड़ों के गोल्फ कोर्स समेत अन्य जो अवैध निर्माण कराये थे। उसका डीपीआर तक अनुमोदित करने से पूर्व में बड़े अफसरों ने हाथ खींच लिए थे। नियमों के मुताबिक आउटर रिंग रोड के निर्माण का पचास फीसदी खर्चा भी अंसल एपीआई को वहन करना था। जिससे बिल्डर बच गया।
अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट आईटी सिटी का दिया हवाला
सुल्तानपुर रोड स्थित तत्कालीन चक गंजरिया फार्म की आंशिक करीब 846 एकड़ भूमि के बारे में एलडीए अफसरों ने तत्कालीन मुख्य सचिव जावेद उस्मानी के सामने प्रस्तुतिकरण में बताया कि रिंग रोड इस भूमि के दो हिस्से कर देगी। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट आईटी सिटी भी पूरी तरह प्रभावित हो जाएगा। वहीं एलडीए अफसर आउटर रिंग रोड की प्रस्तावित जगह से कुर्बानी देने को आतुर थे। ताकि बाद में संरेखण के सहारे अंसल की हाईटेक टाउनशिप के बीच से प्रस्तावित रिंग रोड न जाए।
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