Lucknow: एग्रीमेंट की कहानी में फंसे जलकल अफसर, अनुमति भरवारा की, अवैध खनन कठौता झील में 

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: सैयां भये कोतवाल तो डर काहे का… इस कहावत पर लखनऊ नगर निगम का जलकल विभाग सटीक बैठता है। कठौता झील में बिना टेंडर अवैध खनन पर ‘संदेश वाहक‘ के खुलासे के बाद अफसरों में हडकंप मच गया है।

पहले जलकल के जिम्मेदार इंजीनियरों ने अवैध खनन का ठीकरा मेयर सुषमा खर्कवाल के मौखिक आदेश पर फोड़ा। मेयर का नाम आते ही पूरी सरकारी मशीनरी तत्काल न सिर्फ हरकत में आ गयी बल्कि अवैध खनन के फर्जीवाड़े का नियमितीकरण कराने के वास्ते एग्रीमेंट की कहानी तैयार की गयी।

 

इस एग्रीमेंट ने जलकल अफसरों के भ्रष्टाचार का खेल पूरी तरह बेनकाब करने के साथ एक तरह से मेयर के मौखिक आदेश पर कठौता झील की मुफ्त सफाई के बहाने अवैध खनन को अंजाम देकर मोटी कमाई किये जाने के खेल पर मुहर भी लगा दी। इससे एक बात और साफ़ है कि भविष्य में कोई ठेकेदार अगर पत्र लिखे कि मैं जलकल विभाग को अपने खर्चे पर चला लूंगा तो ऐसे महानुभाव अफसर उसको भी हरी झंडी दिखा देंगे।

ठेकेदार ने अपने खर्चे पर झील की सफाई कराने के लिए नगर आयुक्त को लिखा था पत्र

संदेश वाहक‘ के पास मौजूद इस एग्रीमेंट के दस्तावेजों के मुताबिक जोन चार के अधिशाषी अभियंता ने 28 जुलाई को देवां रोड चिनहट निवासी ठेकेदार राजीव कुमार शुक्ला को एक पत्र भेजा था। जिसमें लिखा है कि ठेकेदार ने गोमतीनगर की कठौता झील की सफाई अपने खर्चे पर कराने के लिए नगर आयुक्त को एक पत्र दिया था। जलकल विभाग के अधिशासी अभियंता के मुताबिक ग्रीष्म ऋतु चरम पर है, ऐसे में कठौता झील के द्वितीय भाग (भरवारा झील) की सफाई के निर्देश दिए गए हैं। जो आप अपने खर्चे पर करेंगे। इस पत्र में दस बिंदु दिए थे।

 

अब जरा इस भ्रष्टाचार का मर्म समझिये, दरअसल ठेकेदार ने कठौता झील की सफाई मुफ्त में करने के लिए विभाग को पत्र लिखा था। जलकल विभाग के अफसरों की मेहरबानी का आलम इतना ज्यादा था या मेयर के मौखिक आदेश में इतनी ताकत थी कि उक्त ठेकेदार को भरवारा झील की सफाई की अनुमति जारी कर दी गयी। दस्तावेजों में इसे द्वितीय भाग से सम्बोधित करवाया गया।

अवैध खनन के जरिये करोड़ों रुपये का खेल

पूरा खेल एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा था क्योंकि अवैध खनन के जरिये सिल्ट रूपी सैकड़ों डम्परों से होने वाली मोटी कमाई का कमीशन शीर्ष स्तर तक पहुंचाया जाना था, इसलिए भरवारा झील की जगह ठेकेदार ने सीधे बिना अनुमति कठौता झील के उस भाग में पोकलैंड मशीन उतारकर अवैध खनन की कलंक कथा लिखनी शुरू कर दी। जिसकी कोई अनुमति एग्रीमेंट के मुताबिक जारी नहीं की गयी थी।

इस काम में कमाई इतनी ज्यादा है तभी पूर्व में जलकल विभाग कठौता झील की सफाई के लिए करोड़ों का टेंडर कराता रहा है। प्रति डम्पर सिल्ट कई हजार रूपए में खुलेबाजार में बिकती है। यही नहीं उक्त पत्र के प्रत्येक बिंदु में सिर्फ भरवारा झील का जिक्र है। वहीं उपरोक्त कार्य को अवर अभियंता/पीएसएस की देखरेख में कराने की बात थी, लेकिन इंजीनियर को कॉपी तक नहीं भेजी गयी। बाकायदा भरवारा झील की सफाई के अनुबंध के लिए सौ रूपए के स्टैम्प पर समस्त कार्यवाही कर ली गयी।  इस खेल की गहराई में अभी कई और राज दफन हैं।

मैंने निरिक्षण करके पत्रावलियां मंगाई हैं : जीएम जलकल 

रविवार को खबर प्रकाशित होने के बाद जलकल के जीएम ने कठौता झील का निरीक्षण किया। संबंधित इंजीनियरों को मुख्यालय तलब किया गया है। जलकल विभाग के जीएम मनोज आर्या ने फिलहाल जांच कराने से इंकार कर दिया है। उनके मुताबिक मैंने झील का निरीक्षण किया है। पत्रावलियां मंगाई गई हैं। कोई घोटाला नहीं हुआ है। मनमर्जी करने का कोई अधिकार नहीं है। कागजों में हो सकता है कोई कमी रह गयी हो।

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