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Sandesh Wahak Digital Desk: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ (Lucknow Bench) ने यहां स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल के लावारिस वार्ड की कथित दयनीय स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। इसके साथ ही राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को इस चिकित्सा संस्थान में इलाज संबंधी खराब सुविधाओं के आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया।
पीठ ने लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (Lucknow Chief Medical Officer) और सिविल अस्पताल के अधीक्षक को याचिकाकर्ता के इस आरोप की जांच करने को कहा कि अस्पताल में भर्ती एक बेसहारा मरीज को उचित उपचार मुहैया नहीं कराया जा रहा। अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते कहा, ‘यह हैरान करने वाली बात है कि प्रदेश की राजधानी के बीचों-बीच स्थित इस अस्पताल की इतनी दयनीय हालत है। अदालत ने मामले की सुनवाई 13 जून तक के लिए स्थगित कर दी।
याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने 29 मई को रास्ते में सूरज चंद्र भट्ट नाम के एक बुजुर्ग व्यक्ति को देखा जो लकवाग्रस्त था और उसने कमर के नीच कोई कपड़े भी नहीं पहने थे। याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने 108 नंबर पर फोन करके एम्बुलेंस बुलाई और सूरज चंद्र भट्ट को सिविल अस्पताल के आपात कक्ष में भर्ती कराया। उसने कहा कि 30 मई को जब वह मरीज को दोबारा देखने गई तो उसने पाया कि उसका कोई इलाज नहीं किया गया था और न ही किसी ने उसकी जांच की थी।
याचिकाकर्ता ने की शिकायत फिर भी नहीं हुई कार्रवाई
राजपूत ने कहा कि बाद में मरीज को लावारिस वार्ड में ले जाया गया, लेकिन वहां की ‘‘स्थिति और भी बदतर’’ थी। उसने बताया कि लावारिस वार्ड में छह मरीज और थे जो लकवाग्रस्त थे। उसने आरोप लगाया कि उक्त वार्ड में दुर्गंध फैली हुई थी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि याचिकाकर्ता ने इस संबंध में सिविल अस्पताल के अधिकारियों को सूचित किया परंतु कोई कार्रवाई नहीं की गई।
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