Lucknow: डग्गामार स्कूली वाहन यातायात नियमों की उड़ा रहें धज्जियां, परिवहन विभाग बेबस

Sandesh Wahak Digital Desk: परिवहन विभाग की लापरवाही से शहर में निजी वैन संचालकों का साम्राज्य तेजी से फल-फूल रहा है। कोई हादसा होने पर विभाग नींद से जगाता है और इक्का-दुक्का कार्रवाई कर अपनी जिम्मेदारियों से इतिश्री कर लेता है। जिससे डग्गामार निजी वैन संचालक यातायात नियमों को ताख पर रखकर फर्राटा भरते नजर आते है। बीते शुक्रवार को सीएमएस स्कूल के बच्चों से भरी एक निजी कार सड़क हादसे का शिकार हो गई। जिसमें कई बच्चों को गंभीर चोटे आई थी। इस हादसे के तीन दिन बाद भी शहर के विद्यालयों में लगी निजी कारों की हालत जस की तस है।

चालक बोला, स्कूल वैन खराब इसीलिए निजी कार से छोड़े बच्चे

सोमवार को जानकीपुरम के सेक्टर जी में बने एलपीएस स्कूल में सोमवार को बच्चों को निजी कार से लाया जा रहा था। जिसकी फोटो कैमरे में कैद होते देख चालक हड़बड़ाया और बताया कि स्कूल वैन खराब थी, जिससे निजी कार से बच्चे छोड़ने पड़ रहे है। लेकिन इसी कार में बैठे बच्चों से बात करने पर उन्होंने बताया कि उन्हें बीते एक वर्ष से इसी कार के जरिए स्कूल लाया जाता है। दूसरे मामले में जानकीपुरम सेक्टर जी से बच्चों को लेकर जाती अलीगंज सीएमएस की एक पीले रंग की स्कूल वैन दिखाई पड़ी। जिसके अंदर अग्निशमन यंत्र नहीं लगा था।

साथ ही अन्य यातायात नियमों की अनदेखी की गई थी। पूछने पर कार के अंदर बैठे छात्रों ने बताया कि बीते दो वर्षों से वह इसी कार से स्कूल आते-जाते है। वहीं इस संबंध में पूछने पर आरटीओ कहते हैं कि प्राइवेट स्कूल वैन का रजिस्ट्रेशन निरस्त किया जाएगा। परिवहन विभाग अब प्राइवेट वाहनों के व्यावसायिक इस्तेमाल पर रोक लगाने को लेकर सघन चेकिंग अभियान चलाने की तैयारी कर रहा है।

8 हजार से अधिक वाहन डग्गामार

शहर की सड़कों पर आठ हजार से अधिक डग्गामार स्कूली वाहन संचालित है। यह वाहन बच्चों को स्कूल ले जाते हैं और उनको घर पहुंचाते है। यह वाहन न तो स्कूलों के है और न ही स्कूलो ने इन्हे अनुबंधित किया है। यह वाहन आरटीओ में स्कूली वाहन के तौर पर नही दर्ज है। फिर भी अभिवाहक जानबूझकर अपने बच्चों को ऐसे डग्गामार वाहनों से स्कूल भेज रहा है।

पूर्व के अभियान पर खड़े हो रहे सवाल

बीते माह आठ जुलाई से लेकर 22 जुलाई तक स्कूली वाहनों के खिलाफ सघन चेकिंग अभियान चलाया गया था। लेकिन इस अभियान पर भी सवाल खड़े हो रहे है, वजह है कि चेकिंग अधिकारियों को स्कूल में व्यवसायिक कार्य में लगीं यह निजी कारें नजर नहीं आती है। नौनिहालों की जान से खिलवाड़ करतीं ऐसी निजी कारों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती है? परिवहन विभाग को राजस्व को चुना लगातीं इन निजी कारों पर अधिकारी क्यों एक्शन नहीं लेते है।

दो किलोमीटर पर दो हजार का किराया

बता दें कि राजधानी के स्कूलों में बच्चे ढोने का काम कर रही निजी कारों का किराया भी कम नहीं है। यह लोग दो किलोमीटर तक के बच्चों को लाने के लिए प्रतिमाह दो हजार से अधिक का चार्ज करते है। ऐसे में पैसा भी अधिक लेते हैं और सुविधा भी नहीं देते है। ज्यादातर निजी कारों में सुरक्षा मानक के इंतजाम नहीं है।

ई रिक्शा से भी ढोए जा रहे बच्चे

शहर में बड़ी संख्या में ई रिक्शा चालक बच्चों को लाने ले जाने का कार्य कर रहे है। सोमवार को जानकीपुरम विस्तार के दिल्ली पब्लिक स्कूल जाते बच्चे ई रिक्शा पर बैठे नजर आए। इसके संबंध में चालक से पूछने पर उसने अपना नाम तो नहीं बताया लेकिन उसने कहा कि साहब रोज बच्चों को नहीं लाते है। लेकिन नन्हे मुन्ने बच्चों ने सॉरी सच्चाई बयां कर दी।  उन्होंने कहा कि अंकल हमें प्रतिदिन ई-रिक्शा से स्कूल लाते है। जिसके बाद दोपहर में छुट्टी होने पर वह ई-रिक्शा से ही हमें स्कूल छोड़ते है।

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