Lucknow News: ईओडब्ल्यू के रडार पर हूटर खरीद के मास्टरमाइंड

फर्जीवाड़ा कर 13000 में खरीदे 4000 रुपए में बिकने वाले हूटर

Sandesh Wahak Digital Desk/Vinay Shankar Awasthi : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रही है, इसके बावजूद सरकार के चहेते अफसर ही इस नीति की धज्जियां उड़ाते हुए मुख्यमंत्री की छवि को प्रभावित करने में जुटे हैं। खासतौर पर लखनऊ नगर निगम में भ्रष्टाचार की जड़ें इस कदर गहरी हो चुकी हैं कि वहां सालों से करोड़ों के फर्जीवाड़े के आरोपियों को बचाने की उच्चस्तरीय साजिश चल रही है।

नगर निगम के विद्युत यांत्रिक व केन्द्रीय कार्यशाला में सेवानिवृत्त चीफ इंजीनियर राम नगीना त्रिपाठी की तैनाती के समय करोड़ों के घोटाले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) कर रहा है। गृह विभाग के आदेश पर कई मामलों में मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। इसी क्रम में ईओडब्ल्यू की ओर से बार-बार नगर आयुक्त को पत्र लिखकर राम नगीना समेत कई अभियंताओं व कर्मियों से संबंधित सूचनाएं मांगी जा रही हैं।

केन्द्रीय कार्यशाला में  हूटरों की खरीद में बड़े फर्जीवाड़े को दिया गया अंजाम

इस बार वाहनों में लगाए जाने वाले हूटरों की खरीद के संबंध में ईओडब्ल्यू ने नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह को पत्र लिखा है। वर्ष 2018 से 2020 के बीच हूटरों की खरीद में बड़े फर्जीवाड़े को केन्द्रीय कार्यशाला में अंजाम दिया गया। जानकारी के अनुसार बाजार में लगभग 4000 रुपए में बिकने वाले हूटर 13000 से अधिक कीमत पर खरीदे गए। ईओडब्ल्यू के जांच अधिकारी सुखदेव सिंह ने हूटर खरीद से संबंधित वांछित जानकारियां नगर निगम से मांगी हैं।

जिसमें निविदा या कोटेशन की फाइल, हूटरों की संख्या, वाहनों की संख्या, खरीद में शामिल अफसर-कर्मचारियों व इंजीनियरों के नाम, पता, मोबाइल नंबर, फर्मों का नाम, वर्क ऑर्डर की कॉपी समेत भुगतान से संबंधित जानकारी शामिल हैं।

मिलीभगत से नहीं पूरी हो पा रही जांचें

नगर निगम के विद्युत यांत्रिक व केन्द्रीय कार्यशाला में वाहन व पार्ट खरीद में खेल हो या फिर चेहती फर्मों को लाभ पहुंचाने का मामला, निगम के अफसरों ने अपने ही विभाग को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ईधन खर्च में करोड़ों के फर्जीवाड़े की जांच अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। ईओडब्ल्यू का पत्र हर बार नगर निगम के ठण्डे बस्ते में पहुंच जाता है। क्योंकि नगर निगम में घोटालों के मास्टरमाइण्ड अफसरों और कर्मियों को बख्शने की परिपाटी अभी तक बंद नहीं हो सकी है। आरोपी अफसर ईओडब्ल्यू में भी सेंधमारी में जुटे हुए हैं। जिससे उनके काले कारनामे उजागर न हो पाएं।

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