कुर्सी के लिए खंभे पर चढ़ने को तैयार साहब
Sandesh Wahak Digital Desk/Vinay Shankar Awasthi: शहर की सड़कों को रोशन करने वाले साहब के तिकड़मी दिमाग का कोई जवाब नहीं। ये काम करने नहीं सरकाने पर विश्वास रखते हैं। काम देखा नहीं कि इनको 11 हजार वोल्ट का करंट लग जाता है। खड़े-खड़े ही रूह फना हो जाती है। इनके दर पर तमाम फरियादी आते हैं लेकिन मजाल कोई इनसे काम करा ले। अच्छे-अच्छों को गोली देकर चलता कर देते हैं। गोली भी ऐसी-वैसी नहीं पूरे सौ ग्राम की देते हैं। अब कर लो क्या करते हो। उनके गोलीमार तरीके से कई लोग घायल होकर उन्हें भारी-भरकम व चुनिंदा पदवियों से नवाज चुके हैं। लेकिन साहब का दिल बड़ा है, छोटी-मोटी बातों का बुरा न मानकर अपनी मस्ती में चूर रहते हैं।
मजाल है कि साहब आम जनता का फोन रिसीव कर लें। मोबाइल की घंटी बजी नहीं कि साहब झट से साइड वाला बटन दबाकर उसी को चुप करा देते हैं। क्या करें! शिकायतों का बोझ पहले से कम है क्या, जो एक बोझा और अपनी पीठ पर लाद लें।
हां मामला बिगड़े न इसलिए अपने तिकड़मी साहब योगी बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। बाबा की यात्रा का पता चलते ही साहब डेढ़ टांग पर उछलते-कूदते सडक़ पर बिछने के अंदाज में बिछ जाते हैं। मजाल है कि रास्ते की कोई लाइट खराब हो जाए। कोई मिले न मिले साहब परवाह नहीं करते। खुद ही खंभे पर स्ट्रीट लाइट लेकर चढऩे को तैयार रहते हैं। इधर साहब की उछलकूद जारी रहती है, उधर जेई साहब कब बाबा की यात्रा संपन्न करा देते हैं, इसका पता खुद साहब को भी नहीं चलता।
दिलजले बताते हैं कि साहब ये सारी उछलकूद सिर्फ इसलिए करते हैं कि कम से कम बाबा की नजरें उनपर इनायत रहे और उनके सरदार की नजर में नंबर भी बढ़ते रहें। फिर जनता का काम हो या न हो। उनकी बला से। खैर अब साहब जानें और उनके सरदार। हमें क्या हम तो चुप ही रहेंगे।
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