Lucknow Nagar Nigam: अवैध कब्जा कराने वालों पर अफसर मेहरबान
भूमाफियाओं संग मिलकर करोड़ों की जमीन कब्जा कराने वाले कर्मियों पर नगर निगम (Lucknow Nagar Nigam) के अफसर मेहरबान हैं।
Sandesh Wahak Digital Desk: भूमाफियाओं संग मिलकर करोड़ों की जमीन कब्जा कराने वाले कर्मियों पर नगर निगम (Lucknow Nagar Nigam) के अफसर मेहरबान हैं। जिन लेखपाल और कर्मियों पर जमीनों पर कब्जा रोकने की जिम्मेदारी है, उन्हें अपने क्षेत्र में हो रहे कब्जों के बारें में जानकारी तक नहीं रहती है। ऐसे में नगर निगम की जमीनों पर अवैध कब्जा (Illegal possession) कैसे रुकेगा यह सवाल भी उठने लगा है। हालात यह है कि सामाजिक कार्यकर्ता, वकील और आम जनता के लोग नगर निगम की जमीनों पर हो रहे कब्जों का मुद्दा उठाते हैं तब जकर नगर निगम प्रशासन को होश आता है।
बीते 30 अप्रैल को नगर निगम प्रशासन (municipal administration) के आदेश पर ग्राम अमौसी में नगर निगम की 25 बीघा जमीन को कब्जा मुक्त कराया गया। लेकिन पिछले कई साल से इस जमीन पर कब्जा कर प्लॉटिंग का खेल चल रहा था। इस दौरान प्लॉटों की बाउंड्रीवाल करवाकर वहां पक्के निर्माण भी कर लिए गए। लेकिन मिलीभगत के चलते किसी ने सुध नहीं ली। इस वजह से अवैध कब्जेदारों ने दर्जनों प्लॉट भी बेंच दिए गए। अब जब ऊपर से सख्ती हुई तो बुलडोजर (Buldozer) चलाकर नगर निगम ने भी खूब वाह-वाही लूटी मगर, इस खेल में शामिल कर्मियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
जिन्हें मिली जमीनों के निगरानी उन्हें ही नहीं अवैध कब्जे की जानकारी
इसी तरह 6 सितम्बर 2022 को नगर निगम के तहसीलदार के नेतृत्व में छह करोड़ की जमीन कब्जामुक्त करा दी गई। यह जमीन पिछले पांच साल से डेयरी संचालकों के कब्जे में थी, नगर निगम के एक कर्मचारी की मिलीभगत से डेयरी संचालकों (dairy operators) को जमीन दी गई थी, बाद में उच्च आदेशों के क्रम में अभियान चला। लेकिन संबंधित कर्मी पर कार्रवाई तक नहीं की गई। वर्ष 2022 में ग्राम-देवपुर तहसील व जिला लखनऊ की खसरा संख्या-1108/1 क्षेत्रफल 1.537 हे. तालाब दर्ज है। इस जमीन पर कब्जा कराने वालों पर नगर निगम आज तक मेहरबान है।
करोड़ों में पहुंच गई कई लोगों की संपत्ति
लखनऊ नगर निगम (Lucknow Nagar Nigam) में कई लेखपाल ऐसे हैं जिनकी संपत्ति पिछले कुछ सालों में दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ रही है। सूत्र बताते हैं कि प्रापर्टी डीलरों के साथ मिलकर ये लेखपाल खुद भी जमीन बेचने के कामों में संलिप्त हैं। नगर निगम की अरबों की जमीन फर्जी तरीके से बिक चुकी है। ऐसे खरीददार आज दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं।
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