…तो जोनल अधिकारी मनोज यादव के ठेंगे पर नगर आयुक्त व महापौर!

Sandesh Wahak Digital Desk: लखनऊ नगर निगम में नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह की सज्जनता उन्हीं पर भारी पड़ रही है। अफसर-कर्मचारी पूरी तरह से सरकारी व्यवस्था को ध्वस्त करने में जुटे हैं। नगर आयुक्त के आदेशों की अनदेखी उनकी तैनाती के दिन से ही देखी जा रही है। ऐसी खबरें आए दिन प्रकाश में आती रहती हैं। लेकिन कुछ अफसर इससे भी कई कदम आगे निकल चुके हैं, जिनकी कार्यप्रणाली से यह संदेश जा रहा है कि उनकी नजर में नगर आयुक्त की कोई अहमियत नहीं है और अवसर मिले तो वो महापौर को भी गलत ठहराने में पीछे नहीं रहते हैं।

लखनऊ नगर निगम

फिलहाल ताजा मामला नगर निगम के जोन-छह से प्रकाश में आया है। जहां पिछले दिनों मृत व्यक्ति के नाम दाखिल-खारिज करने का मामला उजागर हुआ था। मामले में महापौर सुषमा खर्कवाल ने नगर आयुक्त से रिपोर्ट मांगी थी और फाइल भी तलब की थी।

नगर आयुक्त ने जोनल अधिकारी से मांगा स्पष्टीकरण

इसी क्रम में नगर आयुक्त ने जोन-छह के जोनल अधिकारी मनोज यादव (मूल पद कर अधीक्षक) से रिपोर्ट मांगी थी, इस रिपोर्ट को मनोज यादव ने नगर आयुक्त को भेजना जरूरी नहीं समझा। उन्होंने नगर आयुक्त के आदेशों को दरकिनार करते हुए सीधे महापौर को मामले की रिपोर्ट भेज दी। मानो उनकी नजर में नगर आयुक्त की कोई अहमियत ही नहीं हैं। सीधे रिपोर्ट भेजने के मामले में महापौर ने नाराजगी जाहिर की और नगर आयुक्त से जोनल अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए। महापौर का पत्र मिलने पर नगर आयुक्त ने जोनल अधिकारी मनोज यादव से स्पष्टीकरण मांगा।

इस पर मनोज यादव ने मुद्दे को घुमाते हुए नगर आयुक्त को कर्मचारी आचरण नियमावली के नियम 09 का हवाला दिया और कह दिया कि मेरे द्वारा कर्मचारी आचरण नियमावाली का उल्लंघन नहीं किया गया है। यदि फिर भी कोई आपत्ति है तो मैं माफी चाहता हूं और भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति नहीं होगी। इतना ही नहीं जोनल अधिकारी ने नगर आयुक्त को मामले को समाप्त करने की सलाह भी दे डह्वाली।

महापौर गलत या जोनल अधिकारी

ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर महापौर को सीधे रिपोर्ट भेजना कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन नहीं है तो फिर नगर निगम में नगर आयुक्त के पद का क्या औचित्य है। फिर महापौर सीधे जोनल अधिकारी से रिपोर्ट मांग लिया करें। जोनल अधिकारी के इस स्पष्टीकरण ने कहीं न कहीं महापौर और उनके स्टाफ तक को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। अब देखना यह होगा कि इस मामले महापौर क्या कदम उठाती हैं।

महापौर को नहीं भेजी नाम परिवर्तन की फाइल

तीन वर्ष पूर्व मृत व्यक्ति के नाम दाखिल-खारिज के मामले में महापौर ने फाइल भी तलब की थी। लेकिन जोनल अधिकारी मनोज यादव ने पूरे मामले को कागजों में उलझाना शुरू कर दिया है। इस बीच फाइल महापौर को नहीं भेजी गई ये बात किसी को ध्यान नहीं है। सूत्र बताते हैं कि फाइल खुलते ही मामले में संलिप्त सभी अफसर-कर्मचारी बेनकाब हो जाएंगे। जिन्होंने निजी स्वार्थ के चलते इतना बड़ा कारनामा किया है।

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