लखनऊ नगर निगम : कर्मियों की डिटेल लिए बिना हर महीने कर रहे अरबों खर्च
निकाय में कार्यदायी संस्था के माध्यम से कर्मियों की तैनाती में खेल
Sandesh Wahak Digital Desk : कार्यदायी संस्थाओं के माध्यम से निकायों में बड़े पैमाने पर कर्मी तैनात हो रही है,इन पर हरी महीने अरबों खर्च हो रहे हैं,लेकिन अभी तक इन कर्मियों की जानकारी ऑनलाइन नहीं हो सकी है। ऑनलाइन डेटा फीड करने वाली कंपनी ने भी अब इस पर आपत्ति जताई है। माना जा रहा है कि निकायों में करीब 1.5 लाख कर्मी कार्यदायी के माध्यम से तैनात हैं लेकिन अभी तक केवल 55214 की जानकारी ही ऑनलाइन उपलब्ध हो सकी है।
एक उदाहरण के तौर पर अगर राजधानी के लखनऊ नगर निगम की बात करें तो यहां साल दर साल ऐसे कर्मियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। निगम के स्वास्थ्य विभाग में वर्ष 2017 में 6270 ऐसे कर्मी थे। वर्ष 2018 में 8156 हो गए और वर्ष 2022 में इनकी संख्या 11532 तक पहुंच गई। यह हाल तो निगम के केवल एक अनुभाग का है। ऐसे मे दूसरे निकायों की स्थिति का अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है।
आउटसोर्सिंग कर्मियों का ऑनलाइन डेटाबेस तैयार किया जा रहा
ऑनलाइन डॉटा अपडेट करने वाली कंपनी के निदेशक पुष्पेंद्र पाल ने स्थानीय निकाय निदेशालय को लिखे पत्र में कहा है कि सभी श्रेणी के आउटसोर्सिंग कर्मियों का ऑनलाइन डेटाबेस तैयार किया जा रहा है। इसके लिए साफ्टवेयर बनाया गया है। प्रदेश के 762 निकायों ने 18886 समूह ‘ग’ व ‘घ’ और 36328 सफाई कर्मियों का पोर्टल पर दिया है, जबकि प्रदेश में इनकी अनुमानित संख्या 1.5 लाख के आसपास है। इसलिए सभी का डेटा उपलबध कराया जाए। जरूरत के आधार पर समूह ‘ग’ व ‘घ’ के साथ आउटसोर्सिंग पर सफाई कर्मियों को रखने की व्यवस्था दी गई है।
सूत्रों का कहना है कि इस सुविधा का निकायों में खूब फायदा उठाया जा रहा है। मनमाने तरीके से कर्मियों को रखकर इनके मानदेय पर लाखों बहाया जा रहा है। बता दें कि शासन ने गड़बड़ी रोकने के लिए निकायों में आउटसोर्स पर रखे गए कर्मियों का ब्यौरा ऑनलाइन फीड कराने का काम शुरू कराया है। यह काम मेकटोई टेक्नोलॉजीस को दिया गया है।
निदेशालय ने जताई नाराजगी
स्थानीय निकाय निदेशालय के सहायक निदेशक लेखा अखिल सिंह ने सभी निकायों को पत्र लिखते हुए इस पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा है कि एक सप्ताह के अंदर ऐसे सभी कर्मियों का डेटा उपलब्ध करा दिया जाए, जिससे उसे ऑनलाइन करते हुए ई-वेतन पोर्टल के माध्यम से उन्हें मानदेय दिया जा सके।
Also Read : उत्तर प्रदेश में फर्जी फर्मों से हजारों करोड़ के राजस्व की तगड़ी चपत