Lucknow: लोहिया संस्थान के OPD शुल्क में बड़े पैमाने पर घोटाला, दो करोड़ रुपये की हुई वसूली

Sandesh Wahak Digital Desk: लोहिया संस्थान के ओपीडी शुल्क में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ है। तीन साल तक लगातार मरीजों से शुल्क जमा करने के बाद कर्मचारी उसे डकारते रहे। अकाउंट विभाग की आपत्ति के बाद कर्मचारियों के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। जांच शुरू हुई तो संविदा कर्मचारियों की मिलीभगत उजागर हुई। अब संस्थान प्रशासन ने आउटसोर्सिंग एजेंसी से दो करोड़ रुपये की वसूली की है।

लोहिया संस्थान में ओपीडी, भर्ती, दवा और जांच के लिए मरीजों को शुल्क जमा करना पड़ता है। इसके लिए हॉस्पिटल इनफॉरमेशन सिस्टम लागू है। मरीज और उनके तीमारदार नगद, ऑनलाइन या फिर कार्ड के माध्यम से पैसे जमा कर सकते हैं। रोजाना करीब आठ लाख संस्थान की आय है। हर माह दो करोड़ से अधिक जमा किए जाते हैं।

बताया जा रहा है कि नकद शुल्क तो संस्थान के बैंक खाते में नियमित जमा हो रहा है। लेकिन मरीजों द्वारा जमा की गई ऑनलाइन फीस संस्थान के बैंक खाते तक पहुंच ही नहीं रही थी।  अकाउंट विभाग ने मार्च 2022 के अंतिम सप्ताह में मामले की शिकायत की।

इसके बाद संस्थान के अफसर जागे और बैंक के एक हफ्ते का ब्योरा मिलान किया गया। इस पर संस्थान और बैंक खाते में जमा रकम में भारी अंतर मिला। अधिकारियों का कहना है कि आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने तीन साल तक संस्थान को करोड़ों का चूना लगाया। संस्थान के अधिकारियों का कहना है कि आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को चिह्नित कर उनके खिलाफ  मुकदमा दर्ज कराया गया है। वहीं एजेंसी से दो करोड़ रुपये की वसूली की गई है।

जिम्मेदार पर नहीं हुई कार्रवाई

संविदा कर्मचारियों के अलावा अभी तक संस्थान के किसी भी जिम्मेदार अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जबकि ओपीडी व शुल्क की निगरानी आदि की जिम्मेदारी कई अधिकारियों पर होती है। लंबे समय से चले आ रहे इस खेल को पकडऩे में नाकाम अफसरों पर शिकंजा नहीं कसा गया। ऑनलाइन शुल्क में सेंधमारी करना अकेले संविदा कर्मचारियों के बस की बात नहीं है।

लोहिया की इमरजेंसी में बेड बढ़ाने की कवायद शुरू

लोहिया संस्थान की इमरजेंसी में बेड बढ़ाने की कवायद शुरू हो गई है। होल्डिंग एरिया को यूनिट में तब्दील किया जाएगा। इसमें 28 बेड बढ़ाए जाएंगे। अभी लोहिया संस्थान में 55 से अधिक बेड पर मरीजों की भर्ती हो रही है। प्रतिदिन 250 से अधिक मरीज इमरजेंसी में आ रहे हैं। बहुत से मरीजों की बेड की कमी के चलते भर्ती नहीं हो पा रही है। सबसे ज्यादा दिक्कत रात में होती है। मजबूरन मरीजों को केजीएमयू व दूसरे सरकारी अस्पतालों में भेजा जा रहा है।

कई बार दलाल मरीजों को फुसलाकर निजी अस्पताल लेकर चले जाते हैं। संस्थान प्रशासन ने इमरजेंसी के सामने ट्रॉमा भवन के होल्डिंग एरिया को खत्म करने की तैयारी की है। अभी होल्डिंग एरिया में 10 बेड पर मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। अब इसे यूनिट के रूप में विकसित किया जाएगा।

इसमें 28 बेड होंगे। नई यूनिट ऑक्सीजन समेत सभी जरूरी उपकरण से लैस होगी। साथ ही इमरजेंसी में 30 बेड हैं। इनमें से 16 बेड पर मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। बाकी 14 बेड खाली रहते हैं। संसाधन बढ़ाकर इन खाली बेड पर भी मरीजों को भर्ती करने की तैयारी है। गंभीर मरीजों को वेंटिलेटर मिलने की आसानी होगी।

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