Lucknow: राहुल गांधी की संसद सदस्यता पर सुनवाई, हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को लगाई फटकार
Sandesh Wahak Digital Desk: राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द करने के लिए लखनऊ हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कर्नाटक के एक भाजपा कार्यकर्ता विग्नेश शिशिर की तरफ से हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में 21 जून को एक याचिका दाखिल की गई थी। जिसमें कहा गया था कि राहुल गांधी भारत के नागरिक नहीं हैं। वह ब्रिटिश नागरिक हैं। इसलिए संविधान के अनुच्छेद 84 (ए) में निहित प्रावधानों के तहत सांसद बनने के योग्य नहीं हैं।
भाजपा कार्यकर्ता के वकील अशोक पांडेय ने बताया राहुल गांधी की नागरिकता के संबंध में हमने बैकअप्स लिमिटेड के निदेशक के रूप में उनके आईटीआर को रिकॉर्ड में लाया है। जिसमें उन्होंने उल्लेख किया है कि वह ब्रिटिश नागरिक हैं। अनुच्छेद 102 में निहित प्रावधानों के तहत उन्हें सांसद के रूप में चुने जाने के लिए अयोग्य ठहराया गया था। अधिनियम की धारा 8 (3) के साथ हमने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि उन्हें दोषी ठहराया गया है। उन्हें 2 साल की सजा सुनाई गई है, जिससे उनके लिए सांसद चुने जाने की अयोग्यता पैदा हो गई है।
न्यायाधीश रॉय ने पूछा- याचिकाकर्ता कौन है?
- अधिवक्ता अशोक पांडेय – कर्नाटक के एस विग्नेश शिशिरा।
- न्यायाधीश – क्या करते हैं? जनहित याचिका के बारे में हम इनकी साख के बारे में जान सकते हैं। अच्छा इश्यू बताइए क्या है?
- अधिवक्ता – राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं। सूरत कोर्ट से दोषी साबित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी, लेकिन इसका मतलब नहीं है कि वो सांसद बनने के योग्य हैं? जब इन्होंने एक बार विदेशी नागरिकता स्वीकार ली, तो भारतीय नागरिक बनने के योग्य नहीं।
- न्यायाधीश – किसने माना कि राहुल विदेशी हैं?
- अधिवक्ता – कुछ दस्तावेज बताते हैं कि वह ब्रिटिश नागरिक हैं। दस्तावेज के आधार पर कहा गया कि वह ब्रिटिश नागरिक हैं।
- न्यायाधीश – आपको यह दस्तावेज कहां से मिले?
- अधिवक्ता – नेट से डाउनलोड किया।
- न्यायाधीश – कौन से वेबसाइट से?
- इसी बीच याचिकाकर्ता विग्नेश वकील अशोक पांडेय के पास पहुंचे। वकील से कहा कि आप उधर जाकर बैठ जाइए।
- न्यायाधीश – ओके मिस्टर पांडेय हमने आपको सुन लिया।
- अधिवक्ता – लार्ड शिप कृपया और सुन लीजिए। हमें कई और चीजें प्रस्तुत करनी हैं।
- न्यायाधीश – क्या आपके याचिकाकर्ता ने सक्षम प्राधिकारी से संपर्क किया है?
- अधिवक्ता – नहीं।
- न्यायाधीश – फिर
- अधिवक्ता – सर, कृपया हमारी बात सुनिए।
- न्यायाधीश – कृपया, कोर्ट को टेक फॉर ग्रांट मत लीजिए। हम आपके साथ धैर्य बरत रहे, लेकिन इसे टेक फॉर ग्रांट मत लीजिए। PIL कर दिया, जबकि नागरिकता का इश्यू दो बार डिसमिस हो चुका है। बताइए, आप पेटिशनर ने कब सक्षम अथॉरिटी से एप्रोच किया।
- अधिवक्ता – आप हमें बोलने देंगे?
- न्यायाधीश – इतनी देर से आप और क्या कर रहे हो? देखिए कोर्ट डेकोरम को फॉलो करिए।
- अधिवक्ता- ऐसा मैंने क्या कह दिया? इसी बीच याचिकाकर्ता ने कोर्ट के समक्ष दलील देने का प्रयास किया।
- न्यायाधीश – कौन बहस करेगा? आप मिस्टर विग्नेश या फिर आपके वकील पांडेय।
- याचिकाकर्ता विग्नेश- मैं, बहस करूंगा। इस पर वकील ने कहा नहीं, आप बैठिए, मैं बहस कर रहा। विग्नेश ने कहा- मैं, बेंच से बहस करना चाहता हूं।
- न्यायाधीश- वकील पांडेय आपका क्लाइंट बहस करना चाहता है। डिसाइड करें, कौन बहस करेगा? मिस्टर पांडेय आप बैठ जाइए, याचिकाकर्ता को बहस करने दीजिए।
- इस पर याचिकाकर्ता के वकील पांडेय बैठ गए, याचिकाकर्ता ने बहस शुरू की।
- याचिकाकर्ता : मैं, कर्नाटक बीजेपी का वर्कर हूं।
- न्यायाधीश : आपने याचिका में भाजपा कार्यकर्ता होने का जिक्र क्यों नहीं किया? क्या आप सक्षम अथॉरिटी के पास गए थे?
- याचिकाकर्ता: हमने चुनाव आयोग से संपर्क किया। जिला निर्वाचन अधिकारी से इस मुद्दे को लेकर संपर्क किया। राहुल गांधी विदेशी नागरिक हैं। कई साक्ष्य इसकी गवाही देते हैं। गृह मंत्रालय ने भी उनको इन्हीं साक्ष्यों के आधार पर नोटिस भेजा है। कई लोगों ने पहले भी प्रयास किया, लेकिन कोर्ट के समक्ष वह राहुल को ब्रिटिश नागरिक साबित नहीं कर पाए। मैंने, भारत और विदेश में बहुत काम किया है।
यह है मामला
कर्नाटक के एक भाजपा कार्यकर्ता विग्नेश शिशिर की ओर से 21 जून को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक याचिका दाखिल की गई थी। इसमें कहा गया था- राहुल गांधी भारत के नागरिक नहीं हैं। वह ब्रिटिश नागरिक हैं। इसलिए संविधान के अनुच्छेद 84 (ए) में निहित प्रावधानों के तहत सांसद बनने के योग्य नहीं हैं।
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