Lucknow : 22 साल बाद भी अबूझ पहेली बनकर रह गया हजरतगंज का ट्रिपल मर्डर
तलवार पेट्रोल पंप मालिक की पत्नी, बेटी और नौकरानी की हत्या का मामला
Sandesh Wahak Digital Desk/Abhishek Srivastava : पॉश इलाके हजरतगंज स्थित तलवार पेट्रोल पंप के मालिक केसी तलवार की पत्नी, बेटी और नौकरानी की हुई हत्या का राज 22 साल बाद भी अबूझ पहेली बना हुआ है। पुलिस न हो नेपाली नौकर शंकर को खोज सकी और न ही उस युवक से जो तलवार की बेटी से मिलने आया था। पुलिस की तमाम टीमें केस पर लगीं, लेकिन नतीजा नहीं निकला।
अफसरों के दबाव में पुलिस भी परिवार से बात नहीं कर पाई थी, जिसके चलते तिहरे हत्याकांड की पुलिस को न ही दिशा मिली और न दशा। उस वक्त के अफसर रिटायर हो गए, लेकिन आज भी यह सवाल जहन में उठता है कि आखिरकार ट्रिपल मर्डर किसने किया। कातिल किसको मारना चाहता था और कौन दो बेवजह मार दिए गए? हालांकि पुलिस ने नेपाली नौकर के नाम पर केस का खुलासा कर अपना पल्ला झाड़ लिया लेकिन उसे आज तक खोज नहीं पायी।
25 अक्टूबर 2001 की सुबह 11 बजे सूचना पर हजरतगंज पुलिस तलवार पेट्रोल पम्प के मालिक केसी तलवार की मदन मोहन मालवीय मार्ग स्थित कोठी पर पहुंचे। बड़ी बेटी मीरा और पड़ोसी बाहर खड़े थे। मीरा की शादी आचार्य नरेंद्र देव के प्रपौत्र यशोवर्धन के साथ हुई थी, जो पास में अपनी कोठी में रहती थी। पता चला कि अंदर से कराहने की आवाज आ रही है। पुलिस लॉक तोड़वाकर अंदर पहुंची। कमरे में केसी तलवार की पत्नी संतोष व बेटी शैला का खून से लथपथ शव पड़ा था। ड्राइंग रूम में अधेड़ नौकरानी घायल पड़ी थी। पुलिस ने आनन-फानन में उसे अस्पताल पहुंचाया था तो उसकी भी मौत हो गई। तीनों की हत्या धारदार हथियार से वारकर की गई थी।
प्रापर्टी, रंजिश समेत सभी बिंदुओं पर हुई पड़ताल
पुलिस ने गार्ड के बयान पर रडार पर आए तीसरे युवक का स्कैच बनवाने के साथ ही गैराज वाले दोनों युवकों से पूछताछ की। दोनों ने कहा कि उनके साथ कोई नहीं गया था। पुलिस ने रंजिश, प्रॉपर्टी समेत अन्य संभावित बिंदुओं पर जांच शुरू की। जांच में रंजिश का कोई सुराग नहीं मिला। लेकिन प्रॉपर्टी पर पुलिस की सुई टिकी। पता चला कि लवलेन में तलवार का अंडर गारमेंट्स का एक शोरूम है। वहां पहले संतोष और शैला बैठती थी, लेकिन बाद में एक कर्मचारी शोरूम को संभालने लगा। मां बेटी सिर्फ 10-15 दिन में हिसाब किताब के लिए एक-दो बार शोरूम जाती थीं। इसी शोरूम को लेकर केसी का एक व्यापारी से विवाद था, जिसमे एक आईएएस ने बीच में पडक़र समझौता कराया था। पुलिस ने जांच के क्रम में व्यापारी से भी पूछताछ की लेकिन नतीजा सिफर रहा।
वारदात के दौरान दिल्ली में थे पंप मालिक केसी
पड़ताल के दौरान जिस बेड पर संतोष का शव मिला था, उसपर कागज के कुछ टुकड़े पड़े थे। टुकड़े हाईकोर्ट के किसी आदेश की कॉपी के थे। साथ ही कुछ कागज कमरे में जलाए भी गए थे। जानकारी की गई तो पता चला कि केसी तलवार दिल्ली में हैं। कारोबार के सिलसिले में उनका दिल्ली आना जाना रहता है। छानबीन में पता चला कि नौकरानी के अलावा घर में खाना बनाने वाला एक नेपाली नौकर शंकर था, जो 18 अक्टूबर को ही छुट्टी पर गया है।
लखनऊ आने पर पुलिस ने केसी ने फटे पेपर और नौकर शंकर के निवास स्थान के बारे में पूछा लेकिन वे कुछ खास नहीं बता सके। गार्ड ने पूछताछ में बताया कि रात करीब सवा दस बजे मोटर गैराज से दो लडक़े आए और शैला मैडम से मिलकर चले गए। उन युवकों के साथ आया तीसरा युवक लॉन की तरफ जाने लगा तो गार्ड ने रोका लेकिन शैला ने उसे बुला लिया था। गार्ड ने बताया कि उक्त शख्स अक्सर रात में आता था और भोर में चला जाता था।
लाख ढूंढा लेकिन नहीं मिला नेपाली नौकर
जांच की कई महीने बीत गए, लेकिन न ही नेपाली नौकर लौटा और न ही शैला से मिलने आए युवक का पता चला। नेपाली नौकर की फोटो परिवार के एक एल्बम में मिली। जिसके बाद टीम नेपाल गई और कई दिनों की खाक छानने के बाद वापस लौट आई। प्रेशर के चलते पुलिस तलवार फैमिली से सवाल जवाब नहीं कर पा रही थी। जिसके चलते ट्रिपल मर्डर में पुलिस को कोई सफलता नहीं मिल रही थी। फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट ने घटनास्थल से जो प्रिंट हासिल किए थे, वे नेपाली नौकर के रूम में प्रिंट से मेल खा रहे थे। इसी को आधार मानकर गंज पुलिस ने ट्रिपल मर्डर का खुलासा शंकर के नाम पर कर दिया। हालांकि शंकर का लखनऊ पुलिस को आज तक सुराग नहीं मिला।
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