Lucknow: जेई के रसूख के आगे एलडीए से लेकर शासन तक नतमस्तक

Sandesh Wahak Digital Desk: लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के उपाध्यक्ष डॉ. इन्द्रमणि त्रिपाठी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। जनता के बीच एलडीए की छवि धूमिल न हो इसको लेकर सख्त हिदायत हर बार बैठक में दी जाती है। सबसे ज्यादा सख्ती प्रवर्तन अनुभाग को लेकर है। मगर, दागी इंजीनियर वहां भी सेंधमारी में कामयाब हो रहे हैं।

संजय शुक्ला, जेई

हम बात कर रहे हैं एलडीए के रसूखदार जेई संजय शुक्ला की। जिसे पिछले साल उपाध्यक्ष डॉ. इन्द्रमणि त्रिपाठी ने भ्रष्टाचार के आरोप में प्रवर्तन से हटाकर अर्जन अनुभाग भेज दिया था, उस समय उपाध्यक्ष ने सख्त निर्देश दिए थे कि शुक्ला को प्रवर्तन में तैनाती नहीं दी जाएगी। प्रवर्तन में तैनाती पानी के लिए शुक्ला ने कई सिफारिशी फोन एलडीए अफसरों को कराए थे, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली।

मिलीभगत के चलते प्रवर्तन अनुभाग में मिली तैनाती

मगर, कुछ समय बीता और फिर अधिष्ठान कर्मियों की मिलीभगत के चलते शुक्ला को प्रवर्तन अनुभाग में तैनाती मिल गई। बीती 6 मई को प्रवर्तन में बड़े पैमाने पर फेरबदल किया गया और शुक्ला को पुन: प्रवर्तन से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। प्रवर्तन में तैनाती पाने के लिए एक बार फिर शुक्ला ने अधिष्ठान कर्मियों से साठगांठ की और प्रस्ताव बनवाकर चीफ इंजीनियर कार्यालय भेजवा दिया। बीते मंगलवार को चीफ इंजीनियर कार्यालय से जारी एक आदेश में उसे पुन: प्रवर्तन देकर जोन-छह में तैनाती दे दी गई।

जेई संजय शुक्ला का रसूख हमेशा ही एलडीए कर्मियों के बीच चर्चा का विषय रहा है। चाहे मामला उसके ट्रांसफर का हो या फिर प्रवर्तन में तैनाती का। अफसरों द्वारा शुक्ला पर चाह कर भी कार्रवाई न करने के किस्से भी तमाम हैं। शुक्ला के रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 15 साल से उसे दूसरे जिले में तबादला कर नहीं भेजा जा सका। इससे उलट एलडीए में शुक्ला को हमेशा ही प्रवर्तन जैसे मलाईदार अनुभाग में तैनात रखा गया। बताया जाता है कि शुक्ला एलडीए से ज्यादा वक्त शासन में बैठे अफसरों की गणेश परिक्रमा करने में बिताते हैं।

नगर पालिका जौनपुर

2009 में एलडीए में आए थे जेई संजय शुक्ला

पालिका सेवा के जेई संजय शुक्ला 2009 में नगर पालिका जौनपुर से तबादला होकर एलडीए आए थे। 2018 में तत्कालीन प्रमुख सचिव नगर विकास मनोज कुमार सिंह ने संजय शुक्ला का तबादला नगर निगम आयोध्या कर दिया। एक महीने बाद कार्यमुक्त कर दिया। तबादला रुकवाने के लिए शुक्ला ने उच्च स्तरीय फोन कराकर प्रमुख सचिव नगर विकास को अपना ही आदेश बदलने पर मजबूर कर दिया। प्रमुख सचिव ने शुक्ला को एलडीए में एक साल तैनाती की अनुमति प्रदान कर दी।

मगर, एक साल बीतने के बाद भी शुक्ला का मोह एलडीए से नहीं छूटा। 2019 में शुक्ला ने स्थानीय निकाय निदेशक डॉ. काजल को भी तबादला आदेश स्थगित करने पर मजबूर कर दिया। पूर्व की भांति स्थानीय निकाय निदेशक ने भी शुक्ला को एलडीए में एक साल तैनाती की अनुमति दे दी। 2020 में शुक्ला कोरोना महामारी की आड़ लिए रहे। 2021 व 2022 में पुत्र के इलाज का हवाला देकर शुक्ला ने अपने तबादला आदेश एक साल के लिए बढ़वा लिया। यह सिलसिला अभी भी जारी है।

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