लखनऊ विकास प्राधिकरण: योगी राज पर भारी एलडीए अफसरों का ‘जुगाड़ तंत्र’

अफसर-इंजीनियरों के लिए 'दुधारू गाय' बना लखनऊ विकास प्राधिकरण, नहीं छूट रहा मोह

Lucknow Development Authority : उत्तर प्रदेश के नियुक्ति व आवास विभाग के मुखिया खुद सीएम योगी आदित्यनाथ हैं। बावजूद इसके दोनों ही विभागों की शह पर सरकार की स्थानांतरण नीति को ठेंगा दिखाया जा रहा है। पहले तबादला करो, फिर उसे रोक दो। यह परिपाटी इन विभागों में बैठे अफसरों में खूब देखने को मिल रही है। शासन में बैठे कुछ अफसरों के सिंडिकेट का ही नतीजा है कि दशकों से लखनऊ विकास प्राधिकरण में कई अफसर व इंजीनियर जमे हुए हैं। भ्रष्टाचार का आलम यह है कि एक ओर कर्मियों का तबादला आदेश आता है, तो दूसरी ओर उसे रोकने का आदेश भी जारी हो जाता है।

तबादले के बाद आदेश निरस्त कराने के दर्जनों मामले आ चुके सामने

ताजा मामला विकास प्राधिकरण केन्द्रीयित सेवा के विनोद कुमार श्रीवास्तव से जुड़ा है, जो पिछले एक दशक से लखनऊ विकास प्राधिकरण में सहायक लेखाकार के पद पर तैनात थे। आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग-7 की ओर से बीते 16 नवंबर को इनका तबादला वाराणसी विकास प्राधिकरण कर दिया गया। सूत्र बताते हैं कि पहले तो विनोद ने कार्यमुक्त न होने के लिए एलडीए में जुगाड़ लगाया। मगर, वहां उनकी दाल नहीं गली।

एलडीए उपाध्यक्ष डॉ. इन्द्रमणि त्रिपाठी ने शासन के आदेशों के क्रम में 18 नवंबर को उन्हें कार्यमुक्त कर दिया।  फिर 29 नवंबर को आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग-7 की ओर से पुन: एक आदेश जारी किया गया जिसमें सहायक लेखाधिकारी को वाराणसी के साथ-साथ सप्ताह में तीन दिन लखनऊ विकास प्राधिकरण के कार्यों की जिम्मेदारी सौंप दी गई। बता दें कि यह संबद्घता का खेल बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है। क्योंकि एलडीए का लेखा अनुभाग पहले से ही कमीशनखोरी के लिए चर्चा में है।

शासन को अपनी मुट्ठी में रखे हैं मलाईदार पदों  पर बैठे अधिकारी

दूसरा उदाहरण एलडीए में तैनात डिप्टी कलेक्टर रैंक के ओएसडी डीके सिंह का है, करीब दो माह पूर्व डीके सिंह का तबादला लखनऊ विकास प्राधिकरण से आयोध्या हुआ था, लेकिन तबादले के कुछ ही दिनों बाद डीके सिंह का तबादला आदेश निरस्त कर दिया गया। वर्तमान में वह एलडीए के प्रवर्तन जोन-छह के जोनल अधिकारी हैं।

इसी तरह तीन अप्रैल 2023 को लखनऊ विकास प्राधिकरण के ओएसडी रहे अरुण कुमार सिंह का तबादला भी निरस्त कर दिया गया था, पीसीएस अरुण कुमार को शासन ने एलडीए से बाराबंकी के एडीएम के पद पर तैनात किया था। हांलाकि उक्त तबादले के निरस्त होने के कुछ महीने बाद ही दोबारा अरुण कुमार का ताबादला एलडीए से हो गया।

एलडीए से मोह न छूटने का एक उदाहरण और भी है, वर्ष 2019 के जुलाई माह में अवर अभियंता विनोद शंकर सिंह का तबादला मेरठ विकास प्राधिकरण किया गया था, तबादले के बावजूद तीन साल विनोद को एलडीए से कार्यमुक्त नहीं किया गया। उस वक्त नवागत उपाध्यक्ष डॉ इन्द्रमणि त्रिपाठी को मामले की शिकायत मिली तो उन्होंने जुलाई 2022 को विनोद शंकर सिंह को कार्यमुक्त कर दिया।

लखनऊ विकास प्राधिकरण के उक्त मामलें तो केवल बानगी है। प्राधिकरण में कई ऐसे अफसर और इंजीनियर लंबे समय से तैनात है। जो सरकार की तबादला नीति को ठेंगा दिखा रहे हैं। इनमें से ज्यादातर एलडीए के मलाईदार अनुभागों में लंबे समय से तैनात है। आलम यह है कि इन्हीं लोगों का नाम एलडीए में हेराफेरी करने वालों की सूची में हमेशा आगे रहता है।

नगर विकास विभाग के अफसर ने तोड़ा रिकार्ड

लखनऊ विकास प्राधिकरण में तैनात पालिका सेवा के अवर अभियंता संजय कुमार शुक्ला पिछले लगभग 14 साल से एलडीए में ही तैनात हैं। इस बीच संजय का ताबादला कई बार दूसरे जिले की नगर पालिका में किया गया, मगर हर बार इस अभियंता पर नगर विकास के अफसरों की रहमत बरसती रही। 2018, 2019, 2021, 2022 और 2023 में लगातार शुक्ला का तबादला किया गया। लेकिन हर बार शुक्ला के तबादले को किसी न किसी बहाने रोक दिया गया।

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