Lucknow: कुंभ में भगदड़ पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, अजय राय ने लगाए ये गंभीर आरोप

Sandesh Wahak Digital Desk: आज प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अजय राय ने कुंभ मेले से जुड़े गंभीर मुद्दों पर प्रेस ब्रीफिंग की। उन्होंने मौनी अमावस्या के दिन कुंभ मेला क्षेत्र में हुई भगदड़ और इसके बाद सरकार द्वारा किए गए झूठे दावों की कड़ी आलोचना की।
अजय राय ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ में सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा बैठे, जबकि हजारों लोग लापता हो गए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने 24 घंटे तक इस हादसे से जुड़ी किसी भी मौत की बात स्वीकार नहीं की। सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों और वीडियो के बाद और कांग्रेस पार्टी के दबाव में सरकार को मजबूरन 30 लोगों की मौत स्वीकार करनी पड़ी, लेकिन राय ने कहा कि असल संख्या इससे कहीं अधिक थी।
कुंभ हादसे में मौतों को लेकर सरकार की चुप्पी पर उठाए सवाल
राय ने आरोप लगाया कि सरकार ने अपनी गलती को छुपाने के लिए मृतकों के परिवारों को चुप कराने के लिए नियमों का उल्लंघन करते हुए बिना मृत्यु प्रमाण पत्र के नकद मुआवजा भेजने की कोशिश की। उन्होंने विशेष रूप से झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के मुसाबनी के रहने वाले शिवराज गुप्ता का मामला उठाया, जिनकी मृत्यु कुंभ में मौनी अमावस्या के दिन हुई थी। राय ने बताया कि उनका नाम मृतकों की सूची में नहीं था और ना ही प्रदेश सरकार ने उनका मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया।
उन्होंने कहा कि शिवराज गुप्ता के बेटे, शिवम ने पांच लाख रुपये के नकद मुआवजे को लेने से इनकार कर दिया, क्योंकि उसने कहा कि मुआवजा राशि 25 लाख रुपये घोषित की गई थी और बिना कागजी प्रक्रिया के यह राशि क्यों दी जा रही है। इसके अलावा, राय ने यह भी बताया कि बंगाल के दो परिवारों को भी पांच-पांच लाख रुपये नकद दिए गए, जबकि स्थानीय अधिकारियों ने इस बारे में अनभिज्ञता जताई है।
मुआवजे की अनियमितता के आरोप
अजय राय ने प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार द्वारा की जा रही यह प्रक्रिया संदेहास्पद है। उन्होंने पूछा कि सरकार घटना के लगभग दो महीने बाद भी मृतकों और लापता लोगों की सही सूची क्यों जारी नहीं कर रही है और बिना दूसरे राज्यों की सरकारों को विश्वास में लिए पुलिस द्वारा नकद राशि भेजने के पीछे क्या कारण है?
राय ने अंत में उत्तर प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि वह अब कम से कम मृतकों की सूची जारी करे, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि किसे किस मुआवजे का भुगतान किया गया है और किस कारण यह सब छुपाया जा रहा है।
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