लोकसभा चुनाव 2024: यूपी में कांग्रेस को क्लीन स्वीप करने में जुटी भाजपा
Sandesh Wahak Digital Desk/Chetan Gupta: आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सबकी निगाहें उत्तर प्रदेश पर टिकी हुई है क्योंकि यहां पर जिस तरह से पिछले दो लोकसभा चुनाव में मोदी लहर चली उसके बाद बड़े-बड़े चुनावी पंडितों की गणित धरी की धरी रह गई। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 80 लोकसभा सीटें हैं।
अभी हाल में आए सर्वेक्षणों के मुताबिक बीजेपी को यहां 70 सीटें मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश में दो प्रमुख पर्टियों कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गढ़ कही जाने वाली दो सीटें हैं जहां के लिए बीजेपी को प्रत्याशी तलाशने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
प्रत्याशियों के नाम का ऐलान पहले कर सकती है बीजेपी
रायबरेली जहां कांग्रेस का मजबूत किला है वहीं मैनपुरी समाजवादी पार्टी का अभेद दुर्ग माना जाता है। इन दोनों किले को भेदने के लिए बीजेपी को दमदार प्रत्याशी की तलाश करनी पड़ेगी। हालांकि अभी उम्मीदवारों के नाम तय होने में काफी समय बचा है मगर एक रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी जिन सीटों पर साल 2019 में चुनाव हारी थी वहां प्रत्याशियों के नाम का ऐलान पहले कर सकती है।
पार्टी का कहना है कि इससे उन उम्मीदवारों को चुनावी तैयारी करने के लिए ज्यादा समय मिल जाएगा। रायबरेली लोकसभा सीट की बात करें तो पिछले दो लोकसभा चुनाव से कांग्रेस और सपा बीजेपी के खिलाफ लामबंद है।
इसलिए समाजवादी पार्टी कांग्रेस की प्रत्याशी सोनिया गांधी के खिलाफ अपना उम्मीदवार नहीं उतार रही है। अब तक यहां हुए कुल 16 लोकसभा चुनाव और 3 उपचुनाव में कांग्रेस का ही परचम लहराता रहा है। इन चुनावों में कांग्रेस को 16 बार जीत हासिल हुई है। जबकि तीन बार उसे मात मिली है। 1977 में जनता पार्टी के राजनारायण और इसके बाद 1996 और 98 में बीजेपी के अशोक सिंह यहां विजयी हुए थे।
स्वास्थ्य कारणों और बढ़ती उम्र के चलते चुनाव नहीं लड़ेंगी सोनिया गांधी
इसके बाद यहां की जनता ने फिर दोबारा किसी गैर कांग्रेसी उम्मीदवार को जीतने का मौका नहीं दिया। बीएसपी को भी यहां से अब तक जीत नसीब नहीं हुई है। 2004 से कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी लगातार यहां से सांसद हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में सोनिया ने कभी अपनी पार्टी और परिवार के खास रहे बीजेपी से चुनाव लड़े दिनेश प्रताप सिंह को 1 लाख, 67 हजार वोटों से हराया था। हालांकि सोनिया के खिलाफ भाजपा का यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा था।
2024 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी स्वास्थ्य कारणों और बढ़ती उम्र के चलते चुनाव लड़ती नहीं दिख रही हैं। उनकी जगह कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा चुनावी मैदान में उतर सकती हैं। चुनाव से पूर्व कांग्रेस संगठन में फेरबदल रायबरेली को लेकर बड़ा संकेत है। लोस चुनाव को लेकर प्रदेश में कांग्रेस की गठबंधन रणनीति भले ही अभी साफ न हो, मगर पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का रायबरेली सीट से चुनाव लडऩा लगभग तय माना जा रहा है। ऐसे में बीजेपी के लिए मजबूत प्रत्याशी तलाशना एक बड़ी चुनौती है।
मोदी लहर और योगी इफेक्ट रहा हावी
पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में भी उत्तर प्रदेश में मोदी लहर चली थी। योगी इफेक्ट भी इस चुनाव में काफी हावी रहा। इस दौरान एनडीए ने कुल 64 लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाया था। दूसरी तरफ मैदान में अखिलेश और मायावती का सपा-बसपा गठबंधन था। मगर ये गठबंधन भी भाजपा की लहर को रोक नहीं पाया।
साल 2019 में बसपा को 10 तो वहीं सपा को 5 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी। कांग्रेस ने सिर्फ रायबरेली लोकसभा सीट पर ही जीत का खाता खोला था। यहां तक की राहुल गांधी अपनी अमेठी लोकसभा सीट भी हार गए थे। बाद में आजमगढ़ और रामपुर में हुए लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी ने दोनों सीटें जीतकर अपनी झोली में डाली थी और सपा को उत्तर प्रदेश में तीन सीटों पर समेट दिया था।
‘पंचवटी’ का राजनीतिक भविष्य दांव पर
पंचवटी के मुखिया दिनेश प्रताप सिंह आज कांग्रेस के लिए किसी दुश्मन से कम नहीं है। आगामी लोकसभा चुनाव में एक बार फिर पंचवटी का राजनीतिक भविष्य दांव पर लग गया है। इस बार मुकाबला सोनिया गांधी की जगह प्रियंका गांधी से होना तय माना जा रहा है। हालांकि न तो कांग्रेस ने पत्ते खोले हैं और न ही भाजपा ने लेकिन इतना तो है कांग्रेस से गांधी परिवार का ही सदस्य चुनाव लड़ेगा और भाजपा से कोई भी चुनाव लड़े लेकिन पंचवटी को आगे किए बिना इस अभेद्य किले को भेदना नामुमकिन है।
रायबरेली का एक ऐसा परिवार जिसने विधायक, एमएलसी, ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष सब दिए। यह परिवार दिनेश प्रताप सिंह का है, जिसे पंचवटी के नाम से जाना जाता है। अनजान से गांव गुनावर कमंगलपुर से निकला यह परिवार एक दशक से रायबरेली की राजनीति के केंद्र में हैं। 2019 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के मुकाबले चुनावी रणभूमि में भाजपा के टिकट पर उतरे दिनेश चुनाव तो हार गए लेकिन बीजेपी के अपने हो गए।
राजनीति में पंचवटी का प्रभाव अब घट जाएगा पर ऐसा हुआ नहीं
2022 के विधानसभा चुनाव में हरचंदपुर सीट से भाई व विधायक राकेश सिंह की हार के बाद विरोधियों को लगा कि राजनीति में पंचवटी का प्रभाव अब घट जाएगा पर ऐसा हुआ नहीं। पहले भाजपा से एमएलसी का टिकट फिर योगी 2.0 सरकार में स्वतंत्र प्रभार का मंत्री पद हासिल कर दिनेश प्रताप ने यह साबित कर दिया कि पंचवटी का प्रभाव न कम था न ही आगे कम होगा।
दिनेश प्रताप पहली बार कांग्रेस के टिकट पर 2010 में व दूसरी बार 2016 में एमएलसी बने। 2018 में कांग्रेस छोड़ी और भाजपा का दामन थामा। 2019 में सोनिया के मुकाबले लोस चुनाव पूरी दमदारी से लड़ा जिसका इनाम उन्हें तीन साल बाद मंत्री पद के रूप में मिला।
Also Read : बीजेपी सांसद निरहुआ की अखिलेश यादव को सलाह, बोले- यादवों की भलाई चाहते हो तो बीजेपी से करो गठबंधन