लोकसभा चुनाव 2024: भाजपा काट सकती है करीब डेढ़ दर्जन सांसदों के टिकट
Sandesh Wahak Digital Desk : मिशन 2024 के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भाजपा ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं। इस बार 2019 के लोकसभा चुनाव से भी बेहतर रिजल्ट लाने का लक्ष्य है। लिहाजा भाजपा सभी 80 लोकसभा सीटों पर ऐसे प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है, जिनका रिकॉर्ड बेहतर हो। इसीलिए पार्टी ने लोस चुनाव के लिए इंटरनल सर्वे भी कराया था।
यह सर्वे न सिर्फ पार्टी, बल्कि बाहर की एजेंसी से भी कराया गया था। इसमें जहां एक तरफ सांसदों की जनता पर पकड़ को देखा गया, वहीं संभावित चेहरे को लेकर भी रिपोर्ट तैयार की गई। भाजपा के विशिष्ट सूत्रों का यह कहना है कि इस बार के लोसभा चुनाव में 15 से ज्यादा सांसद ऐसे हैं, जो पार्टी की कैटेगरी में फिट नहीं हैं। चाहे वह उम्र सीमा हो या फिर उनका ट्रैक रिकॉर्ड।
कई फेज में अलग-अलग तरीके से सर्वे कराए गए
पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी अपनी ही सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते रहे हैं। इसलिए उनका टिकट कट सकता है। भाजपा अपने हर चुनाव से पूव कई फेज में जनप्रतिनिधियों के सर्वे करती है। हम यूपी की बात करें तो 2014 से लेकर 2022 तक हुए सभी चुनाव में भाजपा ने सर्वे कराया है। इसका नतीजा 2014 के लोकसभा, 2017 के विधानसभा, 2019 लोकसभा और 2022 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला है।
इस बार भी प्रधानमंत्री मोदी के 9 साल का कार्यकाल पूरा होने के पहले ही लोस चुनाव की तैयारी शुरू हो गई थी। तब से अब तक कई फेज में अलग-अलग तरीके से सर्वे कराए गए। अब भाजपा का सर्वे पूरा हो चुका है। अब रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश के 15 से ज्यादा लोकसभा सीटों के उम्मीदवारों के टिकट काटे जाएंगे। सर्वे में ज्यादातर सांसदों की खराब परफॉर्मेंस मिली। हालांकि इस रिपोर्ट के आधार पर सांसदों को आगाह किया गया कि अपने संसदीय क्षेत्र में एक्टिविटी बढ़ाएं।
आयु सीमा भी टिकट काटने का एक बड़ा आधार
वहीं भाजपा में आयु सीमा भी टिकट काटने का एक बड़ा आधार माना जाता है। ऐसे सांसद जिनकी उम्र 75 साल से ज्यादा है, उनके टिकट काटे जाएंगे। यानी ऐसे सांसद जिनका जन्म 1950 के बाद हुआ है, उन्हें ही पार्टी टिकट देगी। इससे पहले जन्मे नेताओं को टिकट नहीं मिलेगा। यूपी में भी कई ऐसे सांसद हैं, जिनकी उम्र 75+ हो चुकी है। यानी उनकी जगह अब नए चेहरों को उतारा जाएगा।
2024 लोसभा चुनाव में टिकट काटने का पैमाना सिर्फ परफॉर्मेंस खराब और उम्र ही नहीं, बल्कि जातीय समीकरण भी इस बार सामने आया है। भाजपा ने पिछड़ों पर भरोसा जताते हुए दलितों को जोड़ने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। ऐसे में भाजपा यूपी में एक विनिंग समीकरण बनाने के लिए भी उम्मीदवारों का चयन जातीय समीकरण के आधार पर ही करेगी। हाल ही में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में अपनी चुनावी रणनीति में भी काफी बदलाव किए हैं। 2024 के चुनाव में भाजपा एक बार फिर 2019 के पुराने फॉर्मूले को आजमा सकती है।
मंत्रियों और विधायकों को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी
भाजपा इस बार भी सरकार के कुछ मंत्रियों और विधायकों को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है। 2019 के लोस चुनाव में भाजपा ने योगी सरकार के चार मंत्रियों को चुनाव लड़ाया था। इनमें पर्यटन मंत्री रहीं रीता बहुगुणा जोशी प्रयागराज से, पशुधन मंत्री रहे एसपी सिंह बघेल को आगरा से, कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी को कानपुर से चुनाव लड़ाया था। तीनों मंत्रियों ने अपनी-अपनी सीटों पर भारी बढ़त से जीत हासिल की थी।
वहीं, चौथे सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा को अंबेडकरनगर से उतारा गया, लेकिन इन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस ढर्रे को अपनाते हुए भाजपा 2024 लोकसभा चुनाव में भी सरकार के कई मंत्रियों को मैदान में उतार सकती है। भाजपा सूत्रों की मानें तो दोनों डिप्टी सीएम को भी लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारा जा सकता है। वहीं लोकसभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा महिला उम्मीदवारों को 33 प्रतिशत आरक्षण देकर एक मास्टर स्ट्रोक खेल सकती है।
दलितों को जोड़ने की रणनीति पर काम शुरू
2024 लोकसभा चुनाव में टिकट काटने का पैमाना सिर्फ परफॉर्मेंस खराब और उम्र ही नहीं, बल्कि जातीय समीकरण भी इस बार सामने आया है। भाजपा ने पिछड़ों पर भरोसा जताते हुए दलितों को जोड़ने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। ऐसे में भाजपा यूपी में एक विनिंग समीकरण बनाने के लिए भी उम्मीदवारों का चयन जातीय समीकरण के आधार पर ही करेगी।
हाल ही में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में अपनी चुनावी रणनीति में भी काफी बदलाव किए हैं। इसी बदलाव के तहत भाजपा अब बूथ स्तर की कमेटी पर भी जातीय समीकरण को आधार बना रही है। जिससे कि यह साफ होता है कि लोकसभा चुनाव के टिकट के उम्मीदवारों में भी भाजपा जातीय समीकरण को ही पैमाना बनाएगी। योगी कैबिनेट के कई मंत्रियों को भी इस बार भाजपा लोकसभा का टिकट दे सकती है।