Lok Sabha Election 2024 : अखिलेश व केसीआर की मुलाकातों के सियासी मायनों का सच
मिशन 2024 के नतीजों के बाद की पॉलिटिकल फील्डिंग जमाने के प्रयासों में जुटे हैं सपा अध्यक्ष
Sandesh Wahak Digital Desk : सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव पहले भी कई बार मुलाकात कर चुके हैं। इससे पहले अखिलेश यादव तमिलनाडु के सीएम स्टालिन से भी कई मौकों पर मिले। केसीआर और अखिलेश की हालिया मुलाकात ऐसी स्थिति में हुई है, जब कांग्रेस तेलंगाना के सीएम पर तीखे हमले कर रही है। राहुल गांधी अपने भाषणों में केसीआर को भाजपा का एजेंट भी कह चुके हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति में उलटफेर से बढ़ी सियासत
महाराष्ट्र में राजनीतिक उलटफेर के बीच केसीआर और अखिलेश की मुलाकात के अलग मायने निकाले जा रहे हैं। अखिलेश यादव जानते हैं कि नीतीश कुमार विपक्षी एकता का कोरस गा रहे हैं, वह लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा तक बेसुरा हो जाएगा। सपा सिर्फ गठबंधन के नाम पर उन दलों के लिए सीट नहीं छोड़ेगी, जिनका वजूद उत्तर प्रदेश में नहीं के बराबर है।
अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव के बाद के लिए अपनी पॉलिटिकल फील्डिंग जमा रहे हैं। अखिलेश को उम्मीद है कि 2024 के चुनाव में भाजपा को होने वाले नुकसान का फायदा विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय दलों को मिलेगा। जब चुनाव परिणाम के नतीजे आएंगे तब केंद्र की सत्ता के लिए असल खेल शुरू होगा। उस समय के लिए अखिलेश गैर कांग्रेसी उन दलों को अपने साथ फेडरल फ्रंट के कुनबे में जोडक़र रखना चाहते हैं, जो भाजपा विरोध के नाम पर लामबंद होंगे।
कांग्रेस के लिए अखिलेश का साफ संदेश
समाजवादी पार्टी ने 2019 का लोकसभा चुनाव बहुजन समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था। इससे सपा को खास फायदा नहीं हुआ, मगर बसपा को 10 सीटें मिल गईं। 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश और राहुल गांधी साथ उतरे थे। तब भी समाजवादी पार्टी को नुकसान हुआ था। इन दोनों चुनावों के नतीजों के बाद यूपी में सपा की कांग्रेस से गठबंधन की संभावना खत्म हो गई।
नीतीश कुमार की विपक्षी एकजुटता की मीटिंग में भले ही अखिलेश यादव शामिल होते रहे हैं, मगर वह उत्तरप्रदेश के अनुभवों को भूले नहीं हैं। पिछले 14 साल में 4 बार तीसरे मोर्चे का प्रयोग फेल हो चुका है। अब चुनाव के बाद ही भाजपा विरोध के नाम पर नए सिरे से समीकरण बनेंगे। केसीआर से मुलाकात कर उन्होंने कांग्रेस के लिए संदेश साफ कर दिया है कि वह लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद की तैयारी कर रहे हैं।
केसीआर के पास भी इंतजार करने का विकल्प नहीं
तेलंगाना के सीएम केसीआर भी चौथा मोर्चा बनाने के लिए दिल्ली, पटना और लखनऊ जा चुके हैं। उनके सामने तेलंगाना में दो पार्टियां सामने खड़ी हैं। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी। केसीआर इन दोनों पार्टियों के कटु आलोचक रहे हैं। राहुल-प्रियंका समेत तेलंगाना कांग्रेस के नेता केसीआर और भारत राष्ट्र समिति के लिए चुनौती पेश करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। केसीआर के पास भी लोकसभा चुनाव के नतीजों के इंतजार करने का विकल्प नहीं है। अगर दोनों दलों को मिलाकर 40 सीटें आ जाती हैं तो उनका दखल बना रहेगा।
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