Lok Sabha Election 2024: करीब 45 फीसदी नये चेहरों को आजमायेगी भगवा पार्टी

भाजपा का लक्ष्य 400 पार, इंडिया गठबंधन बैठकों में उलझा

UP Lok Sabha Election 2024: मिशन 2024 के लिए एक तरफ जहां भाजपा ने चार सौ पार का लक्ष्य तय किया है। वहीं विपक्ष के इण्डिया गठबंधन में सिर्फ बैठकों का दौर जारी है। जिसका नतीजा ढाक के तीन पात के बराबर अभी तक दिखाई दिया है। भाजपा इस बार उम्मीदवारों के चयन को लेकर ख़ास सतर्कता बरत रही है। माना जा रहा है कि इस बार नए चेहरों पर पार्टी का फोकस सबसे ज्यादा रहेगा।

40 से 45 फीसदी नए चेहरों को चुनाव लड़वाने का फैसला

भाजपा सुनियोजित रणनीति के तहत लोकसभा चुनाव के लिए राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की अलख न सिर्फ घर घर जगाने जा रही है। बल्कि इस कार्यक्रम के तत्काल बाद तकरीबन एक सैकड़ा से ज्यादा सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों का एलान भी तय माना जा रहा है। भाजपा ने करीब 40 से 45 फीसदी नए चेहरों को चुनाव लड़वाने का फैसला किया है। सबसे अधिक प्रत्याशी यूपी में होंगे।

यहां भाजपा ने मिशन 80 का लक्ष्य लेकर विपक्ष का सूपड़ा साफ़ करने की सियासी रणनीति बनाई है। इस योजना के लिए पार्टी ने बाकायदा जिताऊ उम्मीदवारों पर पार्टी का होमवर्क भी पूरा कर लिया है। भाजपा करीब 35 फीसदी मौजूदा उम्मीदवारों के टिकट काटने जा रही है। इन नेताओं की आंतरिक सर्वे में रिपोर्ट बेहद निराशाजनक आयी है।

सियासी चंदे का 70 प्रतिशत से ज्यादा भाजपा के खाते में 

2022-23 में भाजपा को इलेक्टोरल ट्रस्ट से सर्वाधिक चंदा मिला है। एडीआर के मुताबिक राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे का 70 फीसदी (करीब 259 करोड़) से ज्यादा हिस्सा भाजपा को मिला है।

खड़गे कई मोर्चों पर असहज, कांग्रेस की बैठक आज

इंडिया गठबंधन में सबसे बड़ा पेंच अभी मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में है। कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े कई मोर्चों पर खुद को असहज पा रहे हैं। मल्लिकार्जुन खडग़े अभी तक अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अपनी पूरी टीम नहीं बना पाए हैं। 4 जनवरी को खरगे ने सभी पार्टी महासचिवों, राज्यों के प्रभारी, प्रदेश अध्यक्षों और विधानसभा में नेता विरोधी दल के नेताओं की बैठक बुलाई है। बैठक में पहला मुद्दा लोकसभा चुनाव 2024 पर चर्चा और दूसरा 14 जनवरी से शुरू होने वाली राहुल गांधी की भारत न्याय यात्रा है।

नीतीश पर डोरे डालना शुरू, सियासी हमले की रफ्तार घटाई

भाजपा के रणनीतिकार जानते हैं कि बिहार के सीएम व इंडिया गठबंधन के प्रमुख चेहरे नीतीश कुमार के विपक्ष के साथ बने रहने से कितना बड़ा नुकसान हो सकता है। इस समय भाजपा नेताओं ने नीतीश कुमार पर सियासी हमले की रफ्तार घटा दी है। जद (यू) में ही एक खेमा है। जिसका कहना है कि यदि भाजपा लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव कराने, 40 में से लोकसभा की आधी सीटें जद(यू) को देने और भावी मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर नीतीश कुमार को घोषित करके आगे आए, तो नीतीश को पिघलते देर नहीं लगेगी।

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