Lucknow: LDA में जारी सीलिंग में डीलिंग का खेल, कार्रवाई के नाम पर फोटो खींचा रहे एलडीए के इंजीनियर

Sandesh Wahak Digital Desk: राजधानी के सुनियोजित विकास के लिए एलडीए उपाध्यक्ष से लेकर मण्डलायुक्त अवैध निर्माण व प्लाटिंग के खिलाफ सख्त हैं। मगर, एलडीए के इंजीनियरों व बिल्डरों की मिलीभगत के चलते पूरे शहर में अवैध निर्माण चरम पर है।

Roshan Jacob

अवैध निर्माण के मामले में कई बार शासन का हंटर इंजीनियरों पर चला, लेकिन काली कमाई की बदौलत इंजीनियर बच निकलने में कामयाब हो जाते हैं। अवैध निर्माण के मामले में अभी तक किसी भी इंजीनियर के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई नहीं हुर्ई है, इसी का नतीजा है कि लखनऊ अवैध निर्माण का गढ़ बन चुका है। इंजीनियरों और बिल्डरों की साठगांठ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि जब उच्च स्तरीय दबाव पड़ता है तो बिल्डरों से ये कहकर सीलिंग की कार्रवाई की जाती है कि परेशान न हो, केवल फोटो खिंचाने के लिए आए हैं।

पांच बार सील हो चुका मॉडल हाउस के प्लाट संख्या-60 का निर्माणाधीन कॉम्पलेक्स

इसका उदाहरण प्रवर्तन जोन-छह क्षेत्र स्थित मॉडल हाउस के प्लाट संख्या-60 का निर्माणाधीन कॉम्प्लेक्स बन चुका है। जिसे एलडीए की ओर से अभी तक 05 बार सील किया जा चुका है। उच्च स्तरीय दबाव पडऩे पर हर बार प्रवर्तन टीम पहुंचती है और सीलिंग की कार्रवाई करती है। दीवारों पर लाल पेंट से सीलिंग की तारीख डालकर सीलिंग की सूचना लिखी जाती है, फिर जीपीएस फोटोग्राफ लेकर प्रवर्तन टीम रवाना हो जाती है। कार्रवाई की फोटो एलडीए वीसी और अन्य अफसरों को भेजकर इंजीनियर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर लेते हैं।

क्षेत्रीय जेई एसके दीक्षित

मॉडल हाउस के प्लाट संख्या-60 पर पिछले छह साल से निर्माणाधीन कॉम्प्लेक्स 09 अप्रैल 2025, 19 फरवरी 2025, 17 दिसंबर 2024 के अलावा दो बार कोरोना काल में भी सील हो चुकी है। स्थानीय लोगों व शिकायतकर्ताओं का कहना है कि सीलिंग की कार्रवाई संपन्न होते ही बिल्डर के आदमी एलडीए द्वारा लिखी गई सूचना पर पेंट चढ़ा देते हैं। जिसके खिलाफ स्थानीय पुलिस भी कार्रवाई नहीं करती है। एक शिकायतकर्ता ने बताया कि उक्त कॉम्प्लेक्स के ऊपर फ्लैट बनाए जाने की योजना है, लेकिन लगातार हो रही शिकायतों के चलते फिलहाल प्रोजेक्ट को कॉम्प्लेक्स तक ही सीमित रखा गया है।

प्रवर्तन टीम के रवाना होते ही पेंट से मिटा दी जाती है एलडीए द्वारा लिखी गई सूचना

बिल्डर दुकानों को किराए पर उठाने से लेकर उसकी बिक्री की जुगत में है, ऐसे में साफ है कि एलडीए की मिलीभगत का खामियाजा दुकान खरीदने वाले को भी भुगताना पड़ेगा। मॉडल हाउस का उक्त मामला तो केवल बानगी है, एलडीए की प्रवर्तन टीमों द्वारा फोटो खिंचाने का खेल लगभग सभी जोनों में चल रहा है।

अकूत संपत्ति के मालिक बन गए एलडीए के इंजीनियर
सूत्र बताते हैं कार्रवाई के नाम पर केवल फोटो खिंचाने के फार्मूले के जरिए प्रवर्तन अनुभाग में तैनाती कई जेई व एई अकूत संपत्ति के मालिक बन चुके हैं। एलडीए में उनके खिलाफ आए दिन आईजीआरएस व अन्य माध्यमों से शिकायते पहुंच रही है लेकिन फर्जी आख्या के जरिए शिकायतों के निस्तारण का खेल चल रहा है।
रिश्वत मिलते ही फाइलों में कैद हो जाती है कार्रवाई
एलडीए में सीलिंग के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है, जिन अवैध निर्माणों से इंजीनियरों की वसूली नहीं होती उन्हें तत्काल सील करके उसकी सूचना पीआरओ ऑफिसर के माध्यम से मीडिया को भेज दी जाती है, लेकिन जिन अवैध निर्माणों से मोटी रकम मिल जाती है उसकी सूचना इंजीनियर पीआरओ ऑफिस को देते ही नहीं हैं। मामला फाइलों तक सीमित रखा जाता है, कार्रवाई केवल अपनी गर्दन बचाने के लिए होती है।

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