कुशीनगर: मोदी के वादे को दस साल बीते, नहीं शुरू हो सकी पडरौना चीनी मिल
Sandesh Wahak Digital Desk/ Raghavendra Mall: प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के तौर पर नरेंद्र मोदी 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान कुशीनगर आए थे। यहां उन्होंने अपने चुनावी भाषण में पडरौना की धरती पर किसानों की तकदीर बदल देने का आश्वासन देते हुये कहा था कि यदि उनकी सरकार बनी तो बंद पड़ी पडरौना चीनी मिल को 100 दिन में शुरू किया जाएगा। आज इस वादे को करीब दस साल बीत गए लेकिन चीनी मिल चालू नहीं हो सकी। हालांकि किसान अभी भी किसी चमत्कार का इंतजार कर रहे हैं।
कुशीनगर में बंद हुई चीनी मिलें
- कठकुईयां वर्ष 1998-99
- छितौनी -1999-2000
- रामकोला खेतान – 2007-08
- लक्ष्मीगंज- 2008-09
- पडरौना – 2011-12
- कप्तानगंज चीनी मिल 2021-22
2014 में मोदी ने बंद चीनी मिल को 100 दिन में शुरू करने का किया था वादा
कानपुर शुगर वक्र्स के नाम से पडरौना में संचालित चीनी मिल उपेक्षा के कारण धीरे-धीरे रूग्ण होने लगी।। यह जर्जर हालत में पहुंच गयी और अन्तत: बंद हो गयी। पडरौना चीनी मिल 2011-12 के पेराई सत्र में बंद हुई। तब प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में केंद्र की सरकार थी तथा उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री मायावती के नेतृत्व में प्रदेश की सरकार संचालित हो रही थी। इनका कार्यकाल 13 मई 2007 से 15 मार्च 2012 तक रहा। 2014 में जब केंद्र में कांग्रेस नीत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार थी और क्षेत्रीय सांसद कुंवर आरपीएन सिंह केंद्र में गृह राज्य मंत्री थे। उस समय नरेंद्र मोदी कुशीनगर लोकसभा चुनाव में पडरौना आये थे।
उन्होंने अपने चुनावी संबोधन में न सिर्फ कांग्रेस की नीतियों को कोसा बल्कि यहां के सांसद व केंद्र में मंत्री कुंवर आरपीएन सिंह को बंद पड़ी पडरौना चीनी मिल के मुद्दे पर तंज कसते हुए उनकी जोरदार फजीहत भी की थी। मोदी ने किसानों की दुखती नब्ज पर हाथ रखते हुए वादा किया था कि यदि केंद्र में भाजपा की सरकार बनी तो 100 दिनों के भीतर पडरौना की बंद चीनी मिल में पेराई शुरू करा देंगे। उन्होंने किसानों की बदहाली दूर करने का वादा भी किया था।
वर्षों से बंद पड़ी है पडरौना चीनी मिल
इस भरोसे पर यहां के किसानों, व्यापारियों, युवाओं ने अपने भविष्य के लिए भाजपा की झोली में भरपूर वोट डाले थे। 2014 में केंद्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। केंद्र की सरकार को करीब दस साल हो गये न तो बंद पड़ी पडरौना की चीनी मिल चल सकी न तो किसानों की बदहाली दूर हो सकी। लोकसभा चुनाव 2024 में एक बार फिर से यहां के लोगों के मन में यह टीस उभर आई है।
रूग्ण होने के कारण पडरौना चीनी मिल को बंद हुए एक दशक हो गए हैं। चीनी मिल के संसाधन जर्जर हो चुके हैं। इस हालात में यह चीनी मिल चलने के लायक नहीं है। नये चीनी मिल के प्रस्ताव व पहल की मुझे कोई जानकारी नहीं है।
-डीके सैनी जिला गन्ना अधिकारी, कुशीनगर
2011-12 में बंद हुई पडरौना चीनी मिल चलने की आस में आंखे पथरा गयी है। जीवन के अंतिम पड़ाव में आय का जरिया न होने से भुखमरी की नौबत आ गयी है।
-रामसनेही, बॉयलर फिटर
चीनी मिल चलने से कारोबारियों गन्ना किसानों के साथ मिल कर्मचारियों के घर खुशहाली थी। अब ठीक उल्टी स्थिति है। सरकारों की उपेक्षा साफ दिख रही है।
-शिवदास यादव, टरबाइन चालक
जब चीनी मिली चल रही थी तो परिवार का भरण-पोषण हो रहा था। बंदी के बाद से चीनी मिल चलने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। हमारी आर्थिक हालत खराब है।
-विद्या शर्मा, बॉयलर चालक
चीनी मिल चलने की आस टूट रही है। सरकारों ने संज्ञान लिया होता तो यह दशा न होती। अब जीवन के अंतिम पड़ाव में हूं और जीवन किसी तरह कट रहा है।
-श्रीनाथ शर्मा, चौकीदार
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