न मुकदमा, न जांच… थाने में बकरी का दूध पिलाकर हुआ मालिक का फैसला

Sandesh Wahak Digital Desk: कानपुर के कल्याणपुर थाने में समाधान दिवस के दौरान एक ऐसा दिलचस्प और अनोखा मामला सामने आया, जिसे देख पुलिसकर्मियों से लेकर वहां मौजूद आम लोग तक मुस्कुराए बिना नहीं रह सके। दो महिलाओं के बीच एक मेमने को लेकर विवाद हुआ, जो यह साबित करने के लिए था कि वह किसकी बकरी का बच्चा है। जब किसी तरह का ठोस प्रमाण नहीं मिला, तो इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ने एक ऐसा तरीका अपनाया, जिससे इंसानियत और पशु स्वभाव दोनों की झलक देखने को मिली।
दरअसल ये विवाद गोवा गार्डन की रहने वाली चंद्रा देवी और मीना कुमारी के बीच हुआ। जहां चंद्रा देवी नाम की महिला की सफेद रंग की बकरी ने 20 दिन पहले एक मेमने को जन्म दिया था, जो बीमार था। चंद्रा देवी के पति सुमन उसे इलाज के लिए ले जा रहे थे, तभी गोवा गार्डन क्रॉसिंग के पास मीना कुमारी नाम की दूसरी महिला ने उन्हें रोक लिया और दावा किया कि यह मेमना उसकी बकरी का है। इसके बाद दोनों के बीच विवाद बढ़ने लगा और मामला पुलिस तक पहुंच गया।
पुलिस ने अपनाया अनोखा तरीका
इस दौरान थाने में समाधान दिवस चल रहा था। इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ने दोनों महिलाओं से मामला सुना। चंद्रा देवी की बकरी सफेद रंग की थी, जबकि मीना कुमारी की बकरी काली थी। मेमना काले और सफेद दोनों रंगों का था, जिसके कारण कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका। दोनों महिलाएं अपनी-अपनी बकरी के बच्चे को लेकर दावे पर अड़ी थीं।
तब इंस्पेक्टर ने दोनों बकरियों को अलग-अलग कोनों में बांधकर एक प्रयोग करने का फैसला किया। मेमने को छोड़ दिया गया और उसे यह स्वतंत्रता दी गई कि वह जिस बकरी के पास जाएगा और दूध पीने लगेगा, वही उसकी असली मां होगी।
मेमने का फैसला
मेमना थोड़ी देर इधर-उधर भटकने के बाद अचानक सीधे जाकर सफेद बकरी के पास पहुंचा और दूध पीने लगा। यह दृश्य देखकर थाने में मौजूद सभी लोग ताली बजाने लगे। इस पर इंस्पेक्टर ने मीना कुमारी से पूछा कि अब वह क्या कहना चाहेंगी। मीना कुमारी ने स्वीकार किया कि यह मेमना उसकी बकरी का नहीं, बल्कि चंद्रा देवी की बकरी का है।
उन्होंने कहा, “कई दिन पहले मेरी बकरी का बच्चा खो गया था, वह भी काले और सफेद रंग का था, इसलिए मुझे ऐसा लगा कि यह वही मेमना हो सकता है।” चंद्रा देवी ने भी मीना कुमारी की बात को समझते हुए कहा कि अगर वह उसकी जगह होती, तो वह भी यही करती।
इंस्पेक्टर का बयान
इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ने कहा, “मैंने कोई और तरीका नहीं सोचा, इसलिए मैंने यह तरीका अपनाया। बच्चा चाहे इंसान का हो या जानवर का, वह अपनी मां को पहचानता है। मुझे उम्मीद थी कि मेमना अपनी मां को पहचानकर सही फैसला लेगा और यही हुआ।”
यह मामला पुलिस की सूझबूझ और मेमने की स्वाभाविक प्रवृत्ति के कारण आसानी से सुलझ गया। हालांकि यह घटना थाने की फाइलों में दर्ज नहीं की गई, लेकिन वहां मौजूद सभी लोगों के चेहरे पर एक मुस्कान जरूर छोड़ गई।
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