कानपुर प्रकरण: कहीं सपा के गले की फांस न बन जाएं पूर्व सांसद राजाराम पाल
बीजेपी नेता प्रियरंजन आशू के वीडियो बयान के बाद किसान आत्महत्या प्रकरण में आया नया मोड़
Sandesh Wahak Digital Desk/Vinay Singh: कानपुर के चकेरी में किसान बाबू सिंह आत्महत्या प्रकरण में नया मोड़ आ गया है। समाजवादी पार्टी की ओर से गठित जांच टीम में जिन नेताओं को शामिल किया गया है, उनमें से एक शीर्ष नेता इसी मामले में संदिग्ध बताए जा रहे हैं।
दरअसल किसान आत्महत्या प्रकरण में आरोपी बीजेपी नेता प्रियरंजन आसू ने दो दिन पहले एक वीडियो बयान जारी कर अपनी सफाई दी थी, जिसमें उन्होंने इस सपा नेता का नाम घटना में संलिप्त के रूप में लिया था। अब चूंकि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने घटना की जांच टीम में उसी नेता को भी शामिल कर दिया ऐसे में टीम पर ही सवाल उठने शुरू हो गए हैं।
मुख्य आरोपी बीजेपी नेता ने वीडियो जारी कर लिया सपा नेता राजाराम पाल का नाम
मैनपुरी के पूर्व जिला पंचायत सदस्य एवं बाल संरक्षण आयोग के सदस्य डॉ प्रियरंजन आशू को किसान बाबू सिंह की आत्महत्या का मुख्य आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि किसान बाबू सिंह ने जो सुसाइड नोट लिखा था, उस पर बीजेपी नेता डॉ प्रियरंजन आशू का नाम लिखा हुआ है। इसी आधार पर चकेरी पुलिस ने आशू को आत्महत्या का आरोपी बनाया। आसू फरार हैं और समाजवादी पार्टी ने इसे मुद्दा बना लिया है।
अखिलेश यादव ने भी ट्विट कर आरोपी की गिरफ्तारी न होने पर सवाल उठाए। लेकिन अखिलेश की ट्विट से 12 घंटे पहले ही बीजेपी नेता एवं आरोपी डॉ. आसू ने एक वीडियो बयान जारी कर रखा था। इस वीडियो में उन्होंने इस घटना में पूर्व सांसद और सपा नेता राजाराम पाल की संलिप्तता बताई थी। उन्होंने कहा था कि कानपुर के ही निवासी सिकंदर यादव और मृतक बाबू सिंह के बीच जमीन का विवाद चल रहा था।
आखिर वह बाबू सिंह के घर क्यों गए थे ?
इस प्रकरण पर सपा नेता राजाराम पाल ने मृतक किसान बाबू सिंह के विरोध में कोर्ट में बयान दिया था। इसके लिखित दस्तावेज हैं। इसके अलावा आत्महत्या वाली घटना के पहले राजाराम पाल स्वयं किसान के घर पहुंचे हुए थे। उनसे पूछा जाए कि आखिर वह बाबू सिंह के घर क्यों गए थे।
उधर, प्रियरंजन आशू की गिरफ्तारी को लेकर अखिलेश यादव द्वारा सवाल उठाए जाने पर पुलिस महकमा गिरफ्तारी के लिए सक्रिय है। अखिलेश यादव ने अपने ट्विट के बाद इस घटना की जांच के लिए सपा के नेताओं की टीम गठित कर दी। इस टीम में शीर्ष स्थान पर पूर्व सांसद राजाराम पाल ही हैं।
रामपाल की अध्यक्षता में बनी इस टीम में विधायक बृजेश कठेरिया, विधायक अमिताभ बाजपेयी, मो. हसन रूमी सहित पांच लोग शामिल हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्या मुख्य आरोपी द्वारा रामपाल पर लगाए गए आरोपों की जानकारी सपा मुखिया को नहीं थी। इस प्रकरण पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता जवाब नहीं दे रहे हैं। इस मामले में भाजपा प्रवक्ताओं से बाता करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कहा कि चूंकि सीएम ने खुद इस मामले का संज्ञान ले रखा है इसलिए मेरा कुछ भी बोलना उचित नहीं है।
टीम को मैं ही लीड कर रहा हूं। 18 सितंबर को मौके पर जाना भी है। लेकिन न ही मैं मृतक बाबू सिंह को जानता हूं और न ही सिकंदर यादव अथवा भाजपा नेता प्रियरंजन आशू को जानता हूं। ऐसे में आरोपी द्वारा मुझपर कोई भी आरोप लगाना बेबुनियाद है।
राजाराम पाल, पूर्व सांसद एवं सपा नेता
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