इतने बिलियन से ज्यादा का हो सकता है Jio का IPO, 2025 में लिस्टिंग की उम्मीद
JIO IPO News : मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो और रिलायंस रिटेल के आईपीओ अगले साल 2025 की दूसरी या तीसरी तिमाही में आने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार, रिलायंस जियो का आईपीओ करीब $6.25 बिलियन (लगभग ₹50,000 करोड़) का हो सकता है।
रिलायंस रिटेल का आईपीओ भी इसके बाद जल्द ही आने की उम्मीद है। हालांकि, दोनों आईपीओ का समय कंपनी द्वारा बाजार के हालातों के आकलन के आधार पर तय किया जाएगा।
जियो के पास ज्यादा ग्राहकों का बेस
देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो का आईपीओ भारती एयरटेल के बाजार मूल्यांकन को ध्यान में रखते हुए तय किया जा रहा है। निवेश बैंकिंग सूत्रों का कहना है कि अगले साल आईपीओ के समय रिलायंस जियो का मूल्यांकन एयरटेल से अधिक रहेगा, क्योंकि जियो के पास ज्यादा ग्राहकों का बेस है और कुछ अन्य मापदंडों जैसे EBITDA में भी जियो आगे है। हाल ही में एयरटेल ने $100 बिलियन (लगभग ₹8.2 लाख करोड़) के बाजार मूल्यांकन का आंकड़ा छुआ है।
वर्तमान में जियो के पास करीब 480 मिलियन मोबाइल ग्राहक हैं, जबकि एयरटेल के पास यह संख्या 400 मिलियन से कम है। हालांकि, प्रति यूजर औसत मासिक आय (ARPU) के मामले में एयरटेल आगे है, जहां एयरटेल का ARPU ₹211 है और जियो का ₹194 है।
अनुमान के मुताबिक, जियो का मूल्यांकन $125 बिलियन (करीब ₹10 लाख करोड़) हो सकता है, जिसमें $6.25 बिलियन (करीब ₹50,000 करोड़) के आईपीओ की उम्मीद है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियम के अनुसार, आईपीओ में प्रमोटर को कम से कम 5% हिस्सेदारी रखनी होती है, और जियो का आईपीओ इसी सीमा में रहने की संभावना है।
रिलायंस रिटेल का IPO भी जल्द आने की संभावना
रिलायंस रिटेल का आईपीओ भी जल्द आने की संभावना है और इसका मूल्यांकन $125 बिलियन से $150 बिलियन के बीच आंका जा सकता है। रिलायंस इंडस्ट्रीज चाहती है कि दोनों आईपीओ सफल रहें और कई गुना अधिक सब्सक्राइब हों, इसलिए समय का सही आकलन करना जरूरी है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश अंबानी ने 2019 में कहा था कि रिलायंस जियो और रिलायंस रिटेल का आईपीओ अगले पांच सालों में आ सकता है, लेकिन महामारी के चलते इसमें देरी हुई। इस पर समूह ने अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
रिलायंस फिलहाल तीन प्रमुख सेक्टर्स पर फोकस कर रही है: नई और अक्षय ऊर्जा, तकनीकी क्षेत्र (विशेषकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और उपभोक्ता क्षेत्र।
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