ICC Chairman Jay Shah: जय शाह बने ICC के 5वें भारतीय अध्यक्ष,चैंपियंस ट्रॉफी विवाद सुलझाना पहली चुनौती
Sandesh Wahak Digital Desk: भारतीय क्रिकेट प्रशासन के प्रमुख चेहरों में शामिल जय शाह ने अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) की कमान संभाल ली है। 35 वर्षीय जय शाह ने आईसीसी के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालते हुए एक नया इतिहास रच दिया। वह सबसे कम उम्र में इस पद पर पहुंचने वाले व्यक्ति बन गए हैं। इसके साथ ही जय शाह आईसीसी की अध्यक्षता करने वाले 5वें भारतीय बन गए हैं।
जय शाह ने ग्रेग बार्कले का स्थान लिया है, जो दो कार्यकाल तक आईसीसी अध्यक्ष रहे। उनके कार्यकाल का पहला प्रमुख टूर्नामेंट चैंपियंस ट्रॉफी होगा। यह टूर्नामेंट विवादों के घेरे में है, क्योंकि इसकी मेजबानी पाकिस्तान को सौंपी गई है। भारत ने हाइब्रिड मॉडल की मांग की है, जिस पर फैसला लेना जय शाह के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
2019 में बीसीसीआई सचिव की जिम्मेदारी जय शाह को सौंपी गई थी। जय शाह ने लगभग 6 सालों तक बीसीसीआई में अपनी सेवाएं दी हैं। इसके साथ ही वह जनवरी 2021 से एशियाई क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष भी चुके गए थे। अब जय शाह आईसीसी के लिए काम करेंगे।
जय शाह ने क्रिकेट प्रशासन में अपने करियर की शुरुआत 2009 में गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन से की थी। उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम, अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम के निर्माण में अहम भूमिका निभाई। 2019 में बीसीसीआई सचिव बनने के बाद उन्होंने भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
महिला क्रिकेट और ओलंपिक पर फोकस
आईसीसी अध्यक्ष के रूप में जय शाह ने कहा, “मैं इस भूमिका को निभाकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। यह खेल के लिए रोमांचक समय है, क्योंकि हम लॉस एंजेलिस 2028 ओलंपिक में क्रिकेट को शामिल करने की तैयारी कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य क्रिकेट को और समावेशी बनाना और महिला क्रिकेट के विकास को तेज करना है।”
भारत से पहले 4 आईसीसी अध्यक्ष
जय शाह से पहले भारत के चार और लोग आईसीसी अध्यक्ष बन चुके हैं – जगमोहन डालमिया, शरद पवार, एन. श्रीनिवासन और शशांक मनोहर। अब जय शाह की नियुक्ति से भारतीय क्रिकेट के प्रभाव को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।
जय शाह का कार्यकाल न केवल चैंपियंस ट्रॉफी विवाद को हल करने बल्कि विभिन्न क्रिकेट फॉर्मेट और महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिहाज से भी बेहद अहम माना जा रहा है। क्रिकेट प्रेमियों की निगाहें अब उनकी रणनीतियों और फैसलों पर टिकी हैं।