नामी चेहरों को ठिकानों लगाने में जरायम की दुनिया की पहली पसंद गुमनाम शूटर्श

उत्तर प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र तक फिल्मी अंदाज में माफियाओं समेत बड़े नेताओं के हाई प्रोफाइल हत्याकांड में सामने आई भूमिका

Sandesh Wahak Digital Desk: दयनीय पारिवारिक पृष्ठभूमि, गुमनामी के अंधेरे में जीवन, उम्र महज 18 से 24 वर्ष के बीच… यहां बात किसी गरीब परिवार के बच्चों की नहीं बल्कि जरायम की दुनिया के उन शूटरों की हो रही है। जो भले अपराध जगत का जाना पहचाना चेहरा न हों, लेकिन दिग्गजों को निपटाने में अहम किरदार साबित हो रहे हैं। यूपी से लेकर महाराष्ट्र तक की बड़ी घटनाएं इसकी नजीर हैं।

बीते कुछ समय से गैंगस्टर्स ने अपनी कार्यशैली बदलते हुए आपराधिक दांवपेंचों को और महीन किया है। सटीक उदाहरण मुंबई में जियाउद्दीन उर्फ बाबा सिद्दीकी का सनसनीखेज हत्याकांड है। ख़ास बात ये है कि जरायम के पेशे के नामी चेहरों को निपटाने के लिए भी छोटे शहरों से ऐसे ही लड़कों को शूटर बनाकर तैयार किया जा रहा है।

इन शूटरों के जरिये गैंगस्टर्स तक पहुंचना भी मुश्किल

इन शूटरों के मीडिया की सुर्खियों में न रहने से असली मास्टरमाइंड को भी न सिर्फ सहूलियत होती है बल्कि पुलिस समेत एजेंसियों को भी काफी मशक्कत का सामना करना पड़ता है। बाबा सिद्दीकी जैसे हाईप्रोफाइल हत्याकांड में यूपी के बहराइच से अभी तक तीन आरोपी पकड़े गए हैं। जिसमें एक दिन पहले गिरफ्तार हरीश निषाद पुणे में कबाड़ की दुकान चलाता है।

वहीं बहराइच के गंडारा गांव निवासी धर्मराज कश्यप और शिवकुमार गौतम के परिवारों को पीएम आवास मिले हैं। परिवार गरीबी में जीवन गुजार रहा है। पिता श्रमिक हैं। शूटर मजदूरी करने मुंबई गए थे। सिद्दीकी जैसे कद्दावर नेता की हत्या पहला मामला नहीं है। माफियाओं को भी मारने में गुमनाम और गरीब युवाओं का इस्तेमाल किया गया है। प्रयागराज में माफिया अतीक-अशरफ को पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में सरेशाम गोलियों से भूनने वाले तीनों शूटर सनी सिंह, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्या की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी ऐसी ही थी।

जीवा हत्याकांड से फैली थी सनसनी

तीनों भले गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले और मीडिया की सुर्खियों से बाहर थे। इनके हैंडलर्स पुलिस की पहुंच से इन तीनों गुमनाम शूटरों के कारण ही बाहर हैं। कृष्णानंद राय हत्याकांड का आरोपी व 50 से ज्यादा सदस्यों का गैंग चलाने वाले माफिया संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा को भी लखनऊ की अदालत में दिनदहाड़े ऐसे ही शूटर विजय यादव ने वकील के भेष में आकर गोलियों से छलनी कर दिया था।

जौनपुर के सुल्तानपुर सर्की गांव का विजय यादव दो महीने से लखनऊ में रहकर पेयजल पाइप लाइन डालने का काम कर रहा था। किसी कम्पनी में मजदूरी कर रहा विजय इतने बड़े माफिया को किसी फि़ल्मी अंदाज में ठिकाने लगा देगा, ये थ्योरी पुलिस के भी गले नहीं उतर रही थी। फिलहाल इसी ऐसे ही गुमनाम शूटर जरायम की दुनिया के ठेकेदारों को बड़े हत्याकांडों के लिए ज्यादा लुभा रहे हैं।

पूर्वांचल के अधिकांश शूटरों का गढ़ बना महाराष्ट्र

कुछ पैसों के लालच में रोजगार की तलाश में मुंबई गए पूर्वांचल के आजमगढ़, मऊ और जौनपुर के गरीब परिवारों के 18 से 24 साल के युवाओं के जरिये बड़े हत्याकांडों की स्क्रिप्ट तैयार की जा रही है।

अतीक हत्याकांड में चौथा आरोपी गिरफ्त से बाहर

अतीक-अशरफ की हत्या में एसआईटी की 2000 पेज की केस डायरी और 56 पेजों की चार्जशीट में तीन गुमनाम शूटर आरोपी हैं। चौथा नाम अभी तक फरार है।

डकैतों की तर्ज पर माफिया ऐसे लड़कों को रखते हैं : सुलखान

पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह के मुताबिक बड़े गैंग्स गुमनाम शूटरों की भर्ती करते हैं। डकैतों की तर्ज पर माफिया ऐसे लडक़ों को साथ रख रहे हैं। ऐसे लोगों को पकड़ने पर कई केस खुलते हैं। मुंबई में यूपी के ऐसे शूटरों की भरमार है। जिनकी पहचान और पते का कोई रिकॉर्ड नहीं है। प्रयागराज का करवरिया गैंग भी इसी अंदाज में काम करता है। बड़े शहरों की तरफ छोटे शहरों के लडक़े आकर्षित रहते हैं। यही हाल मुंबई और दिल्ली समेत बड़े शहरों का है।

लॉरेंस बिश्नोई के पास भी यूपी के कई गुमनाम शूटर्स

लॉरेंस बिश्नोई गैंग की पैठ यूपी में गहरी हो रही है। बिश्नोई के ख़ास शूटर मेरठ के सनी काकरान और अतुल जाट दिल्ली की जेल में बंद हैं। एनआईए ने यूपी में अयोध्या के विकास देवगढ़ को गिरफ्तार कर लॉरेंस से नजदीकियों का खुलासा किया था। हालांकि बिश्नोई गैंग से कई अज्ञात शूटर अयोध्या भेजे गए थे। यूपी के गरीब परिवारों के लड़के लॉरेंस गैंग से जुड़कर बड़ी वारदातों में संलिप्त हैं।

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