जयराम रमेश ने किसानों के मुद्दे पर की नीति आयोग की आलोचना, बोले- आयोग छल और सरकार के…
Sandesh Wahak Digital Desk: कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि ब्लॉक स्तर पर किसानों को मुफ्त मौसम परामर्श सेवाएं प्रदान कर रही 199 जिला कृषि-मौसम इकाइयों को बंद कर दिया गया है। नीति आयोग ने अपने इस निर्णय को सही ठहराने के लिए उनकी भूमिका को गलत तरीके से प्रस्तुत किया।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने इस साल जनवरी महीने में 199 ज़िला कृषि-मौसम इकाइयों (DAMUs) को बंद कर दिया है। ये इकाइयां ब्लॉक स्तर पर सभी किसानों को मुफ़्त में मौसम को लेकर परामर्श देती थीं। साथ ही साथ बुवाई, उर्वरकों के इस्तेमाल, फसलों की कटाई और भंडारण से संबंधित महत्वपूर्ण…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 3, 2024
कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने ‘एक्स’ पर उस खबर को साझा किया जिसमें दावा किया गया है कि इस साल मार्च में कृषि मौसम विज्ञान परामर्श कार्यालयों को बंद कर दिया गया क्योंकि नीति आयोग ने उनकी भूमिका को ‘गलत तरीके से’ पेश किया तथा उनके निजीकरण की मांग की।
उन्होंने कहा भारत मौसम विज्ञान विभाग ने 199 जिला कृषि-मौसम इकाइयों (डीएएमयू) को बंद कर दिया है। ये कृषि मौसम इकाइयां ब्लॉक स्तर पर सभी किसानों को निःशुल्क मौसम संबंधी परामर्श सेवाएं तथा बुवाई, उर्वरकों के उपयोग, फसलों की कटाई और भंडारण से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती थीं।
इन इकाइयों के लिए हर साल लगभग 45 करोड़ का बजट खर्च होता था
रमेश (Jairam Ramesh) ने कहा कि विशेषज्ञों का मानना है कि जहां इन इकाइयों के लिए हर साल लगभग 45 करोड़ का बजट खर्च होता था, वहीं लाभ लगभग 15,000 करोड़ रुपये का था। उन्होंने दावा किया कि इन्हें बंद करने के फैसले का केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और गुजरात स्थित कृषि मौसम विज्ञानियों के संघ सहित कई प्रमुख हितधारकों ने विरोध किया था।
उन्होंने कहा आरटीआई दस्तावेजों से अब पता चला है कि यह नीति आयोग ही था जिसने सुझाव दिया था कि जिला कृषि मौसम सेवाओं का निजीकरण किया जाना चाहिए और उनसे मौद्रिक लाभ उठाया जाना चाहिए। दरअसल, आयोग ने इस निर्णय को सही ठहराने के लिए उनकी भूमिका को गलत तरीके से प्रस्तुत किया और तर्क दिया कि कृषि मौसम इकाइयों को बंद कर दिया जाना चाहिए क्योंकि डेटा अब स्वचालित हो गया है।
रमेश (Jairam Ramesh) ने नीति आयोग की आलोचना करते हुए कहा आयोग के छल और सरकार के गलत निर्णयों के खिलाफ खड़ा होने में उसके अंदर साहस की कमी, पिछले दस वर्षों में इसकी भूमिका कैसी रही है, उसे दिखाने के लिए काफी है। यह सिर्फ ‘नॉन-बायोलॉजिकल’ प्रधानमंत्री के लिए ढोल पीटने वाला और जयजयकार करने वाला है।
Also Read: हिमाचल में बादल फटने से अब तक 8 लोगों की मौत, 50 से अधिक लापता