Chandrayaan-3: ISRO ने शेयर की चंद्रयान-3 की लोकेशन, जानें कैसा है हाल

Sandesh Wahak Digital Desk: चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की लॉन्चिंग हुए दो दिन बीत चुके हैं. दो दिन बाद अब चंद्रयान-3 का हाल कैसा है, ये दिखाने के लिए इसरो (ISRO) ने उसकी लोकेशन अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से शेयर की है. इसरो की ताजा अपडेट के अनुसार, चंद्रयान-3 अब 41,762 से ज्यादा की कक्षा में पृथ्वी के चारों तरफ अंडाकार चक्कर लगा रहा है. इसरो वैज्ञानिक इसकी कक्षा से संबंधित डेटा का एनालिसिस कर रहे हैं. इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 की पहली ऑर्बिट मैन्यूवरिंग सफलतापूर्वक पूरी कर ली है. मतलब ये कि उसकी पहली कक्षा बदल दी गई है.

इसरो का ट्वीट

इसरो ने ट्विटर पोस्ट के कैप्शन में लिखा कि चंद्रयान-3 मिशन अपडेट: अंतरिक्ष यान का स्वास्थ्य सामान्य है. पहला कक्षा-उन्नयन पैंतरेबाज़ी (अर्थबाउंड फायरिंग-1) ISTRAC/ISRO, बेंगलुरु में सफलतापूर्वक किया गया है. अंतरिक्ष यान अब 41762 किमी x 173 किमी कक्षा में है.

https://platform.twitter.com/widgets.js

लैंडर-रोवर से अलग होगा प्रोपल्शन मॉड्यूल

पांच दिन तक इन लंबे ऑर्बिट में यात्रा करने के बाद यानी 5-6 अगस्त को चंद्रयान-3 लूनर ऑर्बिट इंसर्शन स्टेज में होगा. तब चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन सिस्टम को ऑन किया जाएगा और उसे आगे की ओर धकेला जाएगा. मतलब ये कि चंद्रमा की 100 किमी की ऊपरी कक्षा में भेजा जाएगा. 17 अगस्त को प्रोपल्शन सिस्टम चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर से अलग हो जाएगा.

कम की जाएगी गति

प्रोपल्शन मॉड्यूल के अलग होने के बाद लैंडर को चंद्रमा की 100X30 किलोमीटर की कक्षा में लाया जाएगा. इसके लिए डीबूस्टिंग करनी होगी. मतलब उसकी गति कम करनी पड़ेगी. ये काम 23 अगस्त को होगा. यहीं पर इसरो वैज्ञानिकों की सांसें थमी रहेंगी. क्योंकि ये होगा सबसे कठिन काम. यहीं से शुरू होगी लैंडिंग की प्रकिया.

बढ़ाया गया लैंडिंग साइट का एरिया

इस बार विक्रम लैंडर के चारों पैरों की ताकत को बढ़ाया गया है. नए सेंसर्स लगाए गए हैं. नया सोलर पैनल लगाया गया है. लैंडिंग का क्षेत्रफल 4 किलोमीटर x 2.5 किलोमीटर रखा गया है. अर्थात इतने बड़े इलाके में चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर उतर सकता है.

Also Read: केंद्र सरकार के अध्यादेश का विरोध करेगी कांग्रेस, राघव चड्ढा ने कही यह बात

Get real time updates directly on you device, subscribe now.