भाजपा में जाने वाले हैं स्वामी प्रसाद मौर्य? अखिलेश यादव को लग सकता है बड़ा झटका
Swami Prasad Maurya News: जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नज़दीक आता जा रहा है. वैसे-वैसे सियासी घमासान और भी तेज़ होता जा रहा है. यही वजह है कि अब सभी राजनीतिक पार्टियां फूंक-फूंककर कदम रख रही हैं. लेकिन इन सबके बीच स्वामी प्रसाद मौर्य एकबार फिर से चर्चा में आ गए हैं.
दरअसल, लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में समाजवादी पार्टी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पहले RLD प्रमुख जयंत चौधरी एनडीए के कुनबे में शामिल हो गए और अब पार्टी के अंदर भी घमासान देखने को मिल रहा है. स्वामी प्रसाद मौर्य भी अखिलेश यादव ने नाराज हो गए हैं. यही वजह रही कि उन्होंने राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफ़ा दे दिया. जिसके बाद क़यास लग रहे हैं कि क्या मौर्य सपा से अलग होने वाले हैं.
बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने 13 फ़रवरी को पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर की और सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफ़ा दे दिया. उन्होंने कहा कि वो पीडीए की लड़ाई को मज़बूत करना चाहते थे. लेकिन, पार्टी ही इसके लिए तैयार नहीं थी. उन्होंने का कि मेरी कोशिश थी कि मैं पिछड़े, ग़रीबों को पार्टी से जोड़ूं। लेकिन दुख तब होता है, जब पार्टी के लोग मेरे बयानों को निजी बता देते हैं.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने बढ़ाई अखिलेश की मुश्किलें
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि एक राष्ट्रीय महासचिव का बयान निजी हो जाता हैं और पार्टी के दूसरे महासचिव का बयान पार्टी का हो जाता है. अब सपा की मुसीबत ये है कि पार्टी में कई ऐसे विधायक हैं, जो उनके कहे पर चलते हैं. अगर ऐसा हुआ तो राज्यसभा में उनकी सपा की एक सीट मुश्किल में पड़ सकती है. स्वामी प्रसाद मौर्य अब ख़ुद को पार्टी में असहज महसूस कर रहे हैं. ऐसे में ये कहना भी ग़लत नहीं होगा कि वो पाला भी बदल सकते हैं.
बता दें कि इस्तीफा देने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने पत्रकारों से भी बात की. और जब उनसे सवाल किया गया कि क्या वो पार्टी छोड़ रहे हैं, तो उन्होंने कहा, अभी हमने महासचिव पद से इस्तीफा दिया है. और अब गेंद राष्ट्रीय अध्यक्ष यानी अखिलेश यादव के पाले में है. हम उनके अगले कदम का इतंजार कर रहे हैं. उसके बाद ही आगे कोई निर्णय लिया जाएगा.
Also Read: UP Politics: लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में कर दिया सरेंडर!
अब ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि स्वामी प्रसाद मौर्य के रवैये ने समाजवादी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है.