पहल: पाठशालाओं में बच्चों को पढ़ाया जाएगा Traffic नियमों का पाठ
ट्रैफिक (Traffic) निदेशक के सुझाव पर सहमति जताते हुए मुख्यमंत्री ने इसे शीघ्र लागू करने के दिए थे निर्देश
संदेशवाहक डिजिटल डेस्क/डीपी शुक्ल। बच्चों को ट्रैफिक (Traffic) के बारे में भलीभांति जानकारी के लिए पाठशाला में उन्हें यातायात विषय पढ़ाया जाएगा। इसके लिए डीजीपी मुख्यालय की ओर से दिए गए सुझाव का अमल करते हुए मुख्य सचिव ने शिक्षा विभाग को पत्र लिखा है। गत 5 जनवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष ट्रैफिक व सडक़ जाम समस्या तथा उसके निराकरण को लेकर यातायात व परिवहन विभाग की तरफ से प्रस्तुतिकरण दिया गया था। उच्चस्तरीय इस बैठक में परिवहन मंत्री, शिक्षा मंत्री उनके सचिवों और पुलिस महानिदेशक के साथ-साथ कई वरिष्ठ अधिकारगण मौजूद थे।
बच्चों में ट्रैफिक की जानकारी के अभाव को लेकर चर्चा करते हुए ट्रैफिक निदेशक एडीजी अनुपम कुलश्रेष्ठ ने बच्चों को ट्रैफिक के बारे में बेसिक शिक्षा दिए जाने का सुझाव दिया। उनके इस सुझाव पर अपनी सहमति जताते हुए मुख्यमंत्री ने इसे शीघ्र लागू करने के निर्देश दिए थे। एडीजी ट्रैफिक (ADG Traffic) की तरफ से भेजे गए पत्र को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव ने शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिवों को बच्चों को ट्रैफिक विषय पढ़ाए जाने को लेकर लिखित रूप से निर्देशित किया है।
डीजीपी मुख्यालय में स्टेट Traffic कंट्रोल सेंटर बनकर तैयार
जिले में ट्रैफिक व्यवस्था की स्थिति कैसी है? किस जिले के किस स्थान पर जाम की स्थिति बनी हुई है? ट्रैफिक सुचारू रूप से चल रहा है या नहीं? ट्रैफिक में लगे पुलिस जन सक्रिय है या नहीं?, यह सब डीजीपी मुख्यालय में बने स्टेट ट्रैफिक कंट्रोल सेंटर से ही देखा जा सकेगा। सिग्नेचर बिल्डिंग के चौथे तल पर स्थित यातायात निदेशालय में बने स्टेट ट्रैफिक कंट्रोल सेंटर प्रदेश के सभी जिलों पर अपनी पैनी नजर रखेगा। इस सेंटर का प्रभारी अपर पुलिस अधीक्षक स्तर का अफसर होगा, उसके अधीन इस सेंटर में प्रशिक्षित पुलिसकर्मियों की शिफ्टवार ड्यूटी लगाई जाएगी। जिलों में लगे सीसीटीवी को इस सेंटर से जोड़ दिया गया है। आने वाले कुछ ही दिनों में इस सेंटर का उद्घाटन डीजीपी के द्वारा किया जाएगा।
वाहनों की संख्या में इजाफा होने से लगता है जाम: एडीजी
वाहनों की संख्या में दिनों-दिन हो रही बढ़ोतरी से सडक़ पर भयावह जाम की स्थिति बनती है। 1970 से सडक़ों का चौड़ीकरण ना होना भी इसका एक कारण है। गाडिय़ों की संख्या बढ़ती जा रही है ,जबकि सडक़ें पुरानी हैं। जनसंख्या में भी वृद्धि हो रही है। बाहर से भी अधिक संख्या में गाडिय़ों का आना होता है, तो ऐसे में सडक़ पर जाम लगना स्वाभाविक होगा। यह कहना है ट्रैफिक विभाग की निदेशक, एडीजी अनुपम कुलश्रेष्ठ का।
परिवहन विभाग को निभानी चाहिए अपनी जिम्मेदारी: एडीजी
संदेश वाहक (Sandesh Wahak) से बातचीत करने के दौरान एडीजी अनुपम कुलश्रेष्ठ ने अभी हाल के दिनों में मथुरा में बिगड़े यातायात पर बताया की मथुरा में सडक़ों का विस्तार होना चाहिए। हर जिले में ट्रैफिक पुलिस लाइन होनी चाहिए। जाम समस्या से निपटने के लिए संबंधित सभी एजेंसियों को मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गाडिय़ों में नंबर प्लेट फर्जी लगाई जा रही है। गाडिय़ों के शीशों पर मानक से अधिक काली फिल्में लग रही हैं। इसे देखने की जिम्मेदारी परिवहन विभाग की है। इसके अलावा वाहन स्वामियों का मोबाइल नंबर फीड न होने के कारण चालान की सूचना भेजने में भी दिक्कत आ रही है। इसके अपडेट के लिए परिवहन विभाग को उन्होंने पत्र भी लिखा है।
पीडब्ल्यूडी, परिवहन व स्वास्थ्य विभाग साथ मिलकर करें काम: एडीजी
एडीजी अनुपम कुलश्रेष्ठ ने बताया कि जब भी वह जनपदों में भ्रमण करने जाती हैं तो सर्वप्रथम पुलिस लाइन में स्थित स्टोर को बारीकी से निरीक्षण करना नहीं भूलती। स्टोर में रखें ट्रैफिक उपकरण के प्रयोग के संबंध में अफसरों को निर्देश देती है। सडक़ जाम की स्थिति पर गंभीर एडीजी अनुपम कुलश्रेष्ठ का मानना है कि इसके लिए पीडब्ल्यूडी, परिवहन विभाग व स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर काम करना होगा। उनका कहना है कि अच्छी व चौड़ी सडक़ें हो, एंबुलेंस की व्यवस्था सुदृढ़ होनी चाहिए। पीडब्ल्यूडी की तरफ से बकायदा गति सीमा लिखा होना चाहिए।
जानकारी देते हुए एडीजी ने बताया कि हाईवे का चालान ट्रैफिक पुलिस ((Traffic Police) नहीं करती, बल्कि इसका चालान रोड एजेंसियां ही करती हैं। इसी तरह गाडिय़ों में ओवरलोडिंग देखने का काम भी ट्रैफिक विभाग का नहीं, ट्रांसपोर्ट विभाग का है। उन्होंने बताया कि ट्रैफिक कर्मी तो केवल सिटी और उसके बाहर ही चालान काटने की कार्रवाई करते हैं।
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