UP : अरबों के चीनी मिल घोटाले की सीबीआई जांच पटरी से उतरी
मिशन 2024 के सियासी तापमान के आगे सीबीआई बेबस, ताकतवर नौकरशाहों के खिलाफ जांच की मंजूरी भी नहीं
Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava : सियासी तापमान को देखने के बाद एजेंसियों की जांचों की दिशा तय होती है। इस कड़ी में सीबीआई और ईडी का नाम भी शामिल है। तभी बसपा राज के घोटालों की अहम जांचों को निठारी कांड की तर्ज पर केंद्रीय एजेंसियां मटियामेट करने में जुटी हैं। पहला नाम 1179 करोड़ के चीनी मिल घोटाले का है। मिशन 2024 के मद्देनजर मायावती शासन के इस भ्रष्टाचार के अधिकांश रसूखदार खिलाडियों को पूरी तरह बख्श दिया गया है।
बसपा सरकार के दौरान 21 चीनी मिलों को औने पौने दामों पर बेचने के मामले में सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने खनन माफिया इक़बाल के दोनों बेटों समेत सात आरोपियों के खिलाफ 25 अप्रैल 2019 को एफआईआर दर्ज की थी। 14 अन्य मामलों में छह अलग अलग प्रारम्भिक जांच अर्थात पीई भी दर्ज हुई। जिसकी जांच का वर्तमान दौर में कोई अतापता नहीं है। घोटाले में मायावती सरकार के कई ताकतवर नौकरशाहों की गर्दन फंसी हुई है।
चीनी मिल घोटाले की सीबीआई जांच ठप्प
इनमें से एक तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के बेहद करीबी पंचम तल पर तैनात रहा वरिष्ठ आईएएस आज योगी सरकार में नौकरशाही की सबसे ताकतवर कुर्सी पर बैठा है। जिसके खिलाफ सीबीआई ने तकरीबन डेढ़ वर्ष पहले यूपी सरकार से जांच की मंजूरी मांगी थी। सीबीआई को आज तक इस रसूखदार अफसर के खिलाफ जांच की मंजूरी नहीं मिली। जिससे चीनी मिल घोटाले की सीबीआई जांच ही पटरी से उतर गयी।
सीबीआई ने मायावती के एक और बेहद प्रिय आईएएस रहे नेतराम और विनय प्रिय दुबे के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसके बाद सीबीआई को नेतराम और दुबे जैसे बाकी आरोपी अफसरों के ठिकानों को खंगालने की सुध नहीं रही और इन्हे भी मानो माफी का तोहफा दे दिया गया। सीबीआई जांच आगे बढ़ती तो कई बड़े नौकरशाह इसकी तपिश में झुलसने तय थे।
मायावती के करीबी पूर्व आईएएस नेतराम पर ईडी मेहरबान
तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के सचिव रहे नेतराम के ठिकानों पर 2019 में आयकर विभाग की छापेमारी से करीब हजार करोड़ के काले साम्राज्य का खुलासा हुआ था। तकरीबन ढाई सौ करोड़ की 19 सम्पत्तियां आयकर विभाग ने जब्त की। इसके बाद आयकर विभाग भी हाथ पर हाथ धरकर सिर्फ इसलिए बैठ गया क्योंकि एक और अपर मुख्य सचिव स्तर का आईएएस इस कार्रवाई की चपेट में आने लगा था। पीएमएलए एक्ट के तहत प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने चीनी मिल घोटाले में मनीलांड्रिंग का केस दर्ज करने के बाद पूर्व आईएएस की तमाम बेनामी सम्पत्तियां खंगाली। इसके बाद जांच ठन्डे बस्ते में भेज दी गयी।
नेतराम के पास मुंबई, कोलकाता और दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में आलीशान मकान बताये जा रहे हैं। आयकर को 30 फर्जी कंपनियां भी मिली थी। जिसकी जांच ईडी ने नहीं की। नेतराम 50 लाख की कलम से लिखते थे। आयकर छापे में करीब दो करोड़ कीमत की चार कलम बरामद हुई थी। सिर्फ खनन माफिया इकबाल की करीब हजार करोड़ की सम्पत्तियां 2021 में ईडी ने जब्त की। लेकिन चीनी मिल घोटाले में एक भी ताकतवर नौकरशाह की मनीलांड्रिंग पर शिकंजा नहीं कसा।
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