UP Assembly Winter Session: इशारों में सीएम योगी ने खोली हाईकोर्ट निर्माण में खेल की परतें
सपा सरकार के दौरान राजकीय निर्माण निगम के दागी इंजीनियरों ने लिखी थी भ्रष्टाचार की कलंक कथा
Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का जो भवन बना है, उसमें 30 न्यायाधीश बैठेंगे, वर्तमान में 20 न्यायाधीश बैठ रहे हैं, इसके बावजूद सपा सरकार के दौरान 76 चैंबर बनाये गए, डीपीआर 346 करोड़ का बना था, जो बढक़र 771 करोड़ हो गया, खर्च 1561 करोड़ किये गए, आज भी मेन्टेन्स पर प्रदेश सरकार का लाखों रूपए खर्च हो रहा है, 56 चैंबर खाली पड़े हैं।
ये कारनामें विदेश से डिग्री प्राप्त नेता प्रतिपक्ष (अखिलेश यादव) के समय के हैं, ये बातें विधानसभा में शुक्रवार को अनुपूरक बजट पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहीं है।
निर्माण निगम के दागी इंजीनियरों ने न्याय के मंदिर को भी नहीं बख्शा
प्रदेश के मुखिया भले नेता प्रतिपक्ष को सदन में करारा सियासी जवाब दे रहे थे। लेकिन इसके बीच उन्होंने आंकड़ों के सहारे एक बार फिर हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के उस नए भवन के निर्माण में हुए बड़े खेल की परतें खोलकर रख दीं। जिनके जरिये राजकीय निर्माण निगम के दागी इंजीनियरों ने न्याय के मंदिर में भी भ्रष्टाचार की कलंक कथा लिखने से गुरेज नहीं किया था।
लखनऊ हाईकोर्ट के भवन को देश के सबसे खूबसूरत हाईकोर्ट का तमगा भले मिला। लेकिन पहली ही बारिश में घटिया निर्माण का सच सामने आ गया था। सपा सरकार के दौरान हुए इसके निर्माण में एक बड़ा घोटाला वर्षों से जांच के इन्तजार में है। निर्माणाधीन भवन की छत तक गिरी, जिस पर हाईकोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी ने गहरी नाराजगी जताई थी।
रिवर फ्रंट घोटाले की तर्ज पर हाईकोर्ट के निर्माण में भी डीपीआर की लागत सियासी आकाओं के इशारे पर तकरीबन पांच गुना तक बढ़ाई गयी थी। मुख्यमंत्री योगी द्वारा सदन में रखे गए आंकड़ों से इसकी पुष्टि भी हो रही है। निर्माण में देरी और अनियमितताओं की शिकायत पर निगम के तकरीबन एक दर्जन इंजीनियरों को प्रोजेक्ट से हटाया भी गया।
स्मारक घोटाले के दोषी इंजीनियरों को सौंप दिया हाईकोर्ट निर्माण का जिम्मा
यही नहीं तत्कालीन लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने अरबों के स्मारक घोटाले में यूपीआरएनएन के जीएम रहे अरविन्द त्रिवेदी जैसे जिन दागी इंजीनियरों को दोषी करार देते हुए विभागीय जांच की संस्तुति तक की थी। उन्हें ही हाईकोर्ट की निर्माण यूनिट का मुखिया बनाया गया। जिसके सहारे न्याय के मंदिर में भ्रष्टाचार का कलंक लगाया जा सके।
सपा सरकार के करीबी इंजीनियरों को ही निगम में एमडी समेत अहम प्रोजेक्टों की कमान थमाई गयी। इनमें आरएन यादव से लेकर आरके गोयल तक शामिल हैं। आरोपों के मुताबिक निर्माण निगम के इन्ही दागी इंजीनियरों ने चहेती दागी फर्मों को हाईकोर्ट निर्माण के दौरान करोड़ों के ठेकों से नवाजा था।
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने हाईकोर्ट की विजिलेंस सेल को सौंपी थी जांच
भारत के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ही तत्समय इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी थे। उन्होंने न्याय के मंदिर के निर्माण में अनियमितताओं की शिकायत पर हाईकोर्ट की स्पेशल विजिलेंस सेल में शामिल तीन जजों को जांच का जिम्मा सौंपा था।
विजिलेंस सेल में शामिल जज वीरेंद्र कुमार त्यागी ने इस दौरान पत्रकारों का भी लिखित बयान तक लिया था। लेकिन बाद में जांच रिपोर्ट का कुछ पता नहीं चला। हाईकोर्ट में निर्माण की सीबीआई जांच कराने को लेकर याचिका भी दायर हुई थी।
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