देश की आंतरिक सुरक्षा पर खतरा बन रहे अवैध टेलीफोन एक्सचेंज

खाड़ी देश और दूसरे राज्यों में बैठे आका कराते हैं संचालित, विदेशी कॉल का नहीं होता है कोई रिकॉर्ड

Sandesh Wahak Digital Desk/Abhishek Srivastava: देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए अवैध टेलीफोन एक्सचेंज लगातार बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं। अवैध टेलीफोन एक्सचेंज देश की आर्थिक व्यवस्था को चोट पहुंचाने के साथ ही सुरक्षा में भी सेंधमारी कर रहे हैं। इन टेलीफोन एक्सचेंज के माध्यम से देश के बाहर से आने वाली कॉल का कोई रिकार्ड नहीं होता है। फोन पर होने वाली बातचीत लोकल सिम से होने के कारण खुफिया एजेंसियां भी चूक जाती हैं।

ऐसे में देश विरोधी कार्य में लगे लोगों के लिए यह अवैध टेलीफोन एक्सचेंज सुरक्षित जरिया बन गए हैं। हाल ही में यूपी एटीएस और जौनपुर के थाना बक्शा पुलिस की संयुक्त टीम ने अवैध टेलीफोन एक्सचेंज का भंडाफोड़ करते हुए अशरफ अली को गिरफ्तार किया था। उसके पास से सिमबॉक्स, एडॉप्टर, 4जी राउटर, 64 प्री-एक्टिवेट सिमकार्ड, पांच मोबाइल और एक लैपटॉप बरामद किया था।

भारत संचार मंत्रालय को हो रहा भारी नुकसान

आरोपी अशरफ निजी सर्वर एक्सचेंज से दुबई, सऊदी अरब, कतर और कुवैत के लोगों से बातचीत कराते थे। विदेशी कॉल को सिम बाक्स के जरिए ट्रांसफर करके बात कराई जाती थी। विदेश से बात करने वाले को भारत के अंदर कॉल करने का जो रेट होता था, उतने रुपए ही देने पड़ते थे। इससे सबसे ज्यादा नुकसान भारत संचार मंत्रालय को हो रहा है। जिन कॉल को ट्रांसफर किया जाता था, उनका कोई रिकार्ड किसी के पास नहीं होता है।

सस्ती कॉल कराने के नाम पर देश की सुरक्षा के साथ कुछ लोग खिलवाड़ कर रहे हैं।  इंटरनेशनल कॉल के पीछे मुनाफे की मोटी कमाई छिपी हुई है। खाड़ी देश से कॉल करने पर 10 से 16 रुपए प्रति मिनट में बातचीत होती है। जबकि इनके माध्यम से दो से पांच रुपए में आसानी से बातचीत हो जाती है। ब्रॉड बैंड इंटरनेट की मदद से विदेश से आने वाली कॉल को लोकल कॉल में बदल दिया जाता है।

इसके लिए एक सिम बाक्स का प्रयोग किया जाता है। एक सिम बाक्स में एक साथ 32 से 64 सिम लगाए जाते हैं। इन्हीं सिम बाक्स के माध्यम से इंटरनेशनल वाइस कॉल को लोकल सिम में ट्रांसफर कर स्थानीय लोगों से सीधे बात कराई जाती है।

एनीडेस्क रिमोट एप से कंट्रोल कर रहा था

आईएसडी कोड भारत का दिखने की वजह से नंबर लोकल रहता था। पूरे एक्सचेंज को दूसरे देश या प्रदेश में बैठे आका एनीडेस्क रिमोट एप्लीकेशन के माध्यम से कंट्रोल कर रहे हैं। यह दावा कई कई आरोपियों के पकड़े जाने के बाद हुआ था। आरोपी खाड़ी देशों और पाकिस्तान से आने वाले कॉल को डायवर्ट कराकर कानपुर, लखनऊ, जौनपुर, मेरठ, प्रयागराज, आजमगढ़ समेत उत्तर प्रदेश के कई शहरों के लोगों की कॉलिंग करा रहे थे।

हवाला और टेरर फंडिंग की भी आशंका

विदेश में कॉल कराने वाले अवैध टेलीफोन एक्सचेंज का पूरा सेटअप तैयार करते हैं। इंटरनेशनल गेटवे को बाईपास करने के कारण कॉलर की पहचान करना सम्भव नहीं होता, इस वजह से इस तरह के टेलीफोन एक्सचेंज से अक्सर रेडिक्लाइजेशन, हवाला, टेरर फंडिग संबंधी बातों की सम्भावनाएं बनी रहती हैं और साथ ही राजस्व की क्षति भी होती है।

खाड़ी देशों और पाक से आने वाली कॉल को करते थे डायवर्ट

अर्थव्यवस्था को सीधे चोट पहुंचाने वाले आरोपी टेलीकॉम कंपनी से इंटरनेट कनेक्शन लेकर गेटवे के माध्यम से सर्वर में कनेक्ट होकर कॉलिंग कंट्रोल करते थे। इंटरनेशनल कॉल को देश में गेटवे के माध्यम से लैंड करवाया जाता था। ऐसे में जिस नंबर से फोन आता था, वह विदेश का दिखने के बजाय लोकल का दिखता था। ऐसे में यहां के लोगों की सबसे अधिक बात पाकिस्तान और खाड़ी देश में होती थी।

हाल ही में पकड़े गए अवैध टेलीफोन एक्सचेंज

  • 23 जुलाई 2024- जौनपुर में एटीएस ने टेलीफोन एक्सचेंज का भंडाफोड़ कर एक को दबोचा।
  • 11 नवंबर 2023- मेरठ में एटीएस ने फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज का पर्दाफाश कर नूर मोहम्मद और दिलशाद को पकड़ा।
  • 05 सितंबर- आजमगढ़ में टेलीफोन एक्सचेंज चलाने  वाले छह गिरफ्तार।
  • 26 मई – मुरादाबाद में फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज चलाते कादिर और उसका बहनोई शादाब पकड़े गए।
  • 22 मई – प्रयागराज में एटीएस ने सरफराज, वाजिद सिद्दीकी और अमन सिद्दीकी को टेलीफोन एक्सचेंज चलाते पकड़ा।
  • 20 मई – कानपुर में एटीएस ने टेलीफोन एक्सचेंज चलाते शाहिद जमाल और मिर्जा असद को किया गिरफ्तार।
  • 19 मई – नोएडा में फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज चलाने वाले अंश कुमार सक्सेना और कन्हैया कुमार को पकड़ा।
  • 18 मई – नोएडा में एसटीएफ ने टेलीफोन एक्सचेंज का भंडाफोड़ कर स्टेट लेवल प्लेयर आशुतोष, शोएब और अभिषेक को दबोचा।

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