HIV और हेपेटाइटिस किट घोटाला : अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य रहे अमित मोहन तक पहुंचेंगी जांच की लपटें

करोड़ों की एचआईवी व हेपेटाइटिस किट खरीद को मेडिकल कार्पोरेशन के अध्यक्ष रहते दिया था अनुमोदन

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava : यूपी के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा की सख्ती के बावजूद करोड़ों के एचआईवी और हेपेटाइटिस सी एलाइजा किट घोटाले की जांच रिपोर्ट पुन: शासन को अभी तक नहीं सौंपी गयी है।

खरीद को हरी झंडी लोकायुक्त जांच से घिरे अपर मुख्य सचिव (एसीएस) स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद के अनुमोदन पर मिली थी। अधिकांश किटें एक्सपायर होने के साथ कार्पोरेशन के गोदामों में आज भी धूल फांक रहीं है। इन्हे खपाने की फर्जी रिपोर्ट तैयार करने से अफसरों को तनिक भी गुरेज नहीं है।

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UPMSCL एमडी की रिपोर्ट, IAS अफसरों ने दिया था अनुमोदन 

यूपी मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन के एमडी जगदीश ने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा को फरवरी में जो प्रारम्भिक रिपोर्ट सौंपी थी। उसके हिसाब से इस घोटाले की जद में कई आईएएस अफसरों का भी फंसना तय है। जिसमें कार्पोरेशन एमडी भी शामिल हैं। हालांकि जांच कमेटी सिर्फ निचले स्तर पर ही उत्तरदायित्व निर्धारित करने में शिद्दत से जुटी है।

                                     यूपीएमएससीएल के एमडी द्वारा शासन को भेजी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट का अंश।

 

कार्पोरेशन के एमडी जगदीश की रिपोर्ट में साफ तौर पर दिया है कि उपार्जन मूल्य चार करोड़ से ज्यादा होने के कारण अध्यक्ष यूपीएमएससीएल/ तत्कालीन अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद का अनुमोदन 17 मई 2021 को लिया गया था।

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जिसे पुन: निगम के निदेशक मंडल की 11वीं बैठक में कार्योत्तर दर और उपार्जन मूल्य का अनुमोदन प्राप्त हुआ। दरअसल नियमों के मुताबिक किसी भी टेंडर की कीमत चार करोड़ से ऊपर होने पर कार्पोरेशन के अध्यक्ष से अनुमोदन लिया जाता है। अध्यक्ष की जिम्मेदारी शासन के मुखिया यानि प्रमुख सचिव स्वास्थ्य की होती है।

सिर्फ कमीशनखोरी के वास्ते दिया गया था किटों की आपूर्ति का ठेका

यूपी में जब प्रतिवर्ष इतनी भारी संख्या में एचआईवी और हेपेटाइटिस सी के टेस्ट ही नहीं होते हैं। तब स्वीकृत बजट से 96 गुना ज्यादा किटें खरीदने का कोई औचित्य ही नहीं था। इसके बावजूद बड़े अफसरों के अनुमोदन पर सीधे 15 करोड़ की किटें ऑस्कर मेडिकेयर नामक फर्म से खरीद डाली गयी। इस फर्म की हैसियत से कई गुना ज्यादा किटों की आपूर्ति का ठेका सिर्फ कमीशनखोरी के वास्ते दिया गया था।

14 जुलाई को कार्पोरेशन के एमडी की अध्यक्षता में बनी पांच अफसरों की कमेटी को अनुस्मारक पत्र भेजकर 15 दिनों में दोषी कार्मिकों का नाम मांगा गया था। इसके बावजूद अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी गयी। सबसे पहला पत्र शासन ने 26 जून को भेजा था। येन केन प्रकारेण अफसरों की मंशा सिर्फ भुगतान पर जोर देना है।

जांच के विषय में प्रमुख सचिव से पूछा जायेगा : ब्रजेश पाठक

उप मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य विभाग के मुखिया ब्रजेश पाठक ने ‘संदेश वाहक’ से कहा कि इस मामले के लिए मैंने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को लगाया है। इधर मेरी बात नहीं हुई है। एक बार फिर जांच के विषय में पूछा जाएगा। भ्रष्टाचार के दोषियों को बख्शा कतई नहीं जाएगा।

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