ज्ञानवापी परिसर में ASI सर्वे का मामला: पक्षकारों को रिपोर्ट उपलब्ध कराने पर 3 जनवरी को अगली सुनवाई
Sandesh Wahak Digital Desk: वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण की सील बंद रिपोर्ट का लिफाफा खोलने और पक्षकारों को सर्वेक्षण रिपोर्ट उपलब्ध कराने पर सुनवाई करने के लिये आगामी तीन जनवरी की तारीख तय की है।
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि शुक्रवार 22 दिसंबर को बार काउंसिल के चुनाव को देखते हुए अधिवक्ताओं ने आज कार्य से विरत रहने का फैसला लिया था। इसको देखते हुए जिला न्यायाधीश ए.के. विश्वेश ने सुनवाई के लिए तीन जनवरी की तारीख तय की है।
मुस्लिम पक्ष के वकील अखलाक अहमद ने कहा कि वकील शुक्रवार को होने वाले बार काउंसिल चुनाव में व्यस्त हैं और अदालती कामकाज में भाग नहीं ले रहे हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने गत 18 दिसंबर को जिला अदालत में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे की रिपोर्ट एक सीलबंद लिफाफे में पेश की थी।
यह सर्वे 17वीं शताब्दी में काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण वहां पहले से ही मौजूद मंदिर को तोड़कर किये जाने के याचिकाकर्ताओं के दावे के बाद अदालत के आदेश पर कराया गया था ताकि यह पता लगाया जा सके कि मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था या नहीं।
पहले 21 दिसंबर को रिपोर्ट सौंपी जानी थी
अदालत ने सीलबंद रिपोर्ट खोलने और उसकी प्रतियां दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं को सौंपने के लिए 21 दिसंबर की तारीख तय की थी। मुस्लिम पक्ष ने उस दिन कोर्ट से सर्वे रिपोर्ट को सार्वजनिक न करने की अपील की थी।
ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण जिला अदालत के गत 21 जुलाई के आदेश पर किया गया था जिसमें मस्जिद के गुंबदों, तहखानों और पश्चिमी दीवार के नीचे सर्वेक्षण की आवश्यकता का उल्लेख किया गया था। इसमें कहा गया था कि एएसआई को इमारत की उम्र और प्रकृति का निर्धारण करने के लिए कुर्सी और खंभों की भी जांच करनी चाहिए।
अदालत ने एएसआई से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि विवादित जमीन पर खड़े ढांचे को कोई नुकसान न हो।
ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंध समिति ‘अंजुमन इंतजामिया मसाजिद’ ने जिला अदालत के फैसले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। दोनों अदालतों ने अपील को खारिज कर दिया जिससे सर्वेक्षण का कार्य चार अगस्त से शुरू होने का रास्ता साफ हो गया था।