Gonda Police: पुलिस की कमजोर पैरवी से छह दिन में हो गई गैंगस्टर की जमानत!
पुलिस के हत्थे चढ़े सरकारी जमीनों के सौदागर खलील टायर का मामला, आरोपी के खिलाफ दर्ज हैं 12 मुकदमे, दस में बेटा चांद बाबू भी है आरोपी
Gonda News/A.R.Usmani: गैंगस्टर के एक मामले में पुलिस अदालत में अपना पक्ष मजबूती से नहीं रख सकी। इस बहुचर्चित मामले में पुलिस पक्ष ने शिथिल पैरवी की। विद्वान न्यायाधीश ने जमानत का पर्याप्त आधार पाते हुए अभियुक्त का जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकार कर लिया। इससे पुलिस महकमे की किरकिरी हो रही है और लोगों द्वारा तरह-तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
बताते चलें कि सरकारी जमीनों के सौदागर खलील टायर व उसके बेटे चांद बाबू पर पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू किया तो वह फरार हो गया था। खलील टायर के खिलाफ 12 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें से 10 मुकदमों में उसका बेटा चांद बाबू भी आरोपी है। सर्वाधिक 07 मामले फर्जीवाड़ा कर जमीनों के बैनामे से जुड़े हैं। इनमें नजूल की जमीनों के साथ-साथ तालाब की जमीनें भी शामिल हैं। वर्ष 2023 में लगातार एफआईआर दर्ज होने और पुलिस की सख्ती के चलते खलील टायर अपने बेटे चांद बाबू उर्फ तौफीक के साथ फरार हो गया था।
गैंगस्टर के तहत केस दर्ज कर पुलिस ने बढ़ाई थी निगरानी
इसी साल गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज कर पुलिस ने दोनों की गिरफ्तारी के लिए निगरानी बढ़ाई थी। दो साल से पुलिस को इनकी तलाश थी और आखिरकार 6 सितंबर को बाप-बेटा पुलिस की गिरफ्त में आ ही गये। दरअसल नगर पुलिस को सूचना मिली कि अपने पटेलनगर स्थित घर में दोनों मौजूद हैं। इस पर पुलिस ने घेराबंदी कर आरोपी खलील टायर को बेटे चांद बाबू के साथ दबोच लिया। दोनों को न्यायालय में पेश किया गया जहां से जेल भेज दिया गया था। बहुचर्चित खलील टायर मामले में अब पुलिस की खूब किरकिरी हो रही है।
खाकी पर इल्जाम है कि वह अदालत में अपना पक्ष मजबूती से रख पाने में नाकाम रही। पुलिस की शिथिल पैरवी का फायदा अभियुक्त पक्ष को मिला और विद्वान न्यायाधीश ने जमानत का पर्याप्त आधार पाते हुए अभियुक्त खलील टायर का जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकार कर लिया। गैंगस्टर के अभियुक्त की इतनी आसानी से महज छह दिन में ही जमानत हो जाने से मित्र पुलिस की खूब किरकिरी हो रही है और लोगों द्वारा तरह-तरह के सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं।
देखते ही देखते अरबपति बन गया गाड़ियों का पंक्चर बनाने वाला खलील
शहर में स्थित सरयू प्रसाद कन्या पाठशाला के पास गाड़ियों का पंक्चर बनाने वाला खलील देखते ही देखते अरबपति बन गया। कई दिग्गजों का करीबी होने के चलते पुलिस व प्रशासन ने खलील पर कभी हाथ नहीं डाला। साल 2001, 2004 व 2009 में मारपीट समेत कई मामलों में एफआईआर दर्ज होने पर खलील का नाम चर्चा में आया। इसके बावजूद किसी भी मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
वर्ष 2021 में धोखाधड़ी का मामला दर्ज होने के बाद प्रशासन की नजरें खलील टायर पर टेढ़ी हुई तो लगातार कार्रवाई शुरू हुई। साल 2022 में धमकाने की एफआईआर के बाद 2023 में डकैती का एक केस दर्ज हुआ। अभिलेखों में हेराफेरी कर सरकारी जमीनें बेचने की 2023 में लगातार छह एफआईआर दर्ज हुई। इसके साथ ही इस साल पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट के तहत भी केस दर्ज किया।
एसआईटी की जांच के बाद कसा शिकंजा
भू-माफिया खलील टायर ने शहर में जहां सरकारी जमीनों को बेचा, वहीं पटेलनगर में ईदगाह के पास बिना पार्किंग के ही तिरंगा कॉम्पलेक्स खड़ा कर लिया। प्रशासन ने इसकी भी जांच की। इसके अलावा लखनऊ समेत कई जिलों से खलील टायर के तार जुड़े हुए हैं। उसने निकाय के एक नेता से मिलकर जमीन की सौदेबाजी का काम शुरू किया और तत्कालीन सत्ता के करीब ही रहा। खलील सरकार के हिसाब से संबंध तय करता था। साल 2023 में एसआईटी ने भूमि बैनामों की जांच शुरू की तो वह कानूनी शिकंजे की गिरफ्त में आता गया।
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