Gonda News: अवैध असलहों के कारोबारियों का गढ़ बना गोण्डा!
वारदातों में इस्तेमाल किए जा रहे अवैध तमंचों का सुराग नहीं लगा पा रही पुलिस
Sandesh Wahak Digital Desk/A.R.Usmani: गोंडा जिले में होने वाली ज्यादातर हत्या और लूट जैसी गंभीर घटनाओं में अवैध तमंचों का प्रयोग किया जाता रहा रहा है। पुलिस जब वारदातों का खुलासा करती है, तब अवैध असलहों की बरामदगी का भी दावा करती है, लेकिन पुलिस ने कभी भी यह पता करने का प्रयास नहीं किया कि आखिर ये अवैध असलहे अपराधियों के पास आते कहां से हैं।
जिलेभर में अवैध रूप से असलहे बनाने और बेचने का कारोबार बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसकी पुष्टि खुद पुलिस द्वारा छापेमारी कर बरामद किए जा रहे अवैध असलहे और शस्त्र बनाने के उपकरण ही कर रहे हैं। दरअसल, पुलिस हत्या, लूट व अन्य घटनाओं में असलहे तो बरामद करती है, लेकिन गिरफ्तार किए गए अभियुक्त के पास असलहे कहां से आए, इसकी पड़ताल करने की कोशिश नहीं करती है।
गांवों तक अवैध असलहों की सप्लाई कौन कर रहा?
सवाल उठता है कि आखिर शहर से लेकर गांवों तक अवैध असलहों की सप्लाई कौन कर रहा है। असलहों के साथ ही यह भी पता लगाना बेहद जरूरी है कि कारतूस कहां से आ रहे हैं। हालांकि इसकी जांच-पड़ताल कर तह तक जाने के बजाय पुलिस फाइल बांधकर आलमारी में रख देती है।
इस संबंध में पुलिस का कहना है कि थानों द्वारा अभियान चलाकर कार्रवाई की जा रही है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पुलिस की सक्रियता और बढ़ गई है। असलहा कारोबारियों की कुंडली खंगाली जा रही है। पुलिस के पिछले रिकॉर्ड देखें तो पता चलता है कि हर साल छापा मारकर अवैध असलहा फैक्ट्री पकड़ी गई है ।
लेकिन इस वर्ष अब तक एक भी शस्त्र बनाने की फैक्ट्री का खुलासा पुलिस नहीं कर सकी है, जबकि आए दिन तमंचे से मारने व बरामद होने की घटनाएं सामने आ रही हैं। इतना ही नहीं, आए दिन सोशल मीडिया पर अवैध असलहा लहराते हुए फोटो भी वायरल होती रहती है। कई बार पुलिस अवैध असलहे के साथ पकड़ती है और जेल भी भेजती है, लेकिन असलहा कहां से आया, यह पता करना मुनासिब नहीं समझती है। यही वजह है कि वह अवैध असलहा फैक्ट्री और उसके सप्लायर्स तक नहीं पहुंच पाती है।
ढाई-तीन हजार में मिल जाते हैं तमंचे
सूत्र बताते हैं कि जिले में ही तीन से चार हजार रूपए में अवैध तमंचे बड़ी आसानी से मिल जाते हैं। दस से बीस हजार रुपये खर्च करने पर तो पिस्टल और रिवाल्वर की खरीद हो जाती है। इसके लिए रिस्क उठाने की भी जरूरत नहीं है। अवैध शस्त्र के सौदागर खुद जरूरतमंदों तक पहुंचते हैं और उन्हें असलहे मुहैया कराने का काम करते हैं। सूत्रों का कहना है कि यदि पिछले रिकॉर्ड के तहत जांच हो तो जिले में अवैध हथियारों की खेप मिल सकती है।
बीते सालों में हुई थी धरपकड़
साल 2020 में नवाबगंज थाना क्षेत्र के तुलसीपुर मांझा गांव में एक रायफल, 2 निर्मित व 3 अर्धनिर्मित तमंचे, कारतूस और 45,500 रूपये भी बरामद किए। वर्ष 2021 में वजीरगंज थाना क्षेत्र के धनेसरपुर में अवैध असलहा फैक्ट्री पकड़ी गई। उदयभान वजीरगंज के पास से अवैध शस्त्र बरामद किए गए थे।
जून 2023 में एसओजी और नवाबगंज थाने की पुलिस ने कस्बे में एक बंद पड़े मकान में धमाका होने के बाद अवैध असलहा और सर्किट बम बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड़ कर 2 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनके पास से 3 सर्किट बम, 1 पिस्टल, 1 रिवाल्वर मिला था। अगस्त 2023 में मनकापुर कोतवाली पुलिस ने क्षेत्र के बडक़ामऊ गांव में चार लोगों को पकडक़र 2 तमंचे, 315 बोर का एक अर्द्ध निर्मित तमंचा व असलहा बनाने के उपकरण बरामद किए थे।
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