Gonda News: 40 लाख गबन के मामले ने पकड़ा तूल, जांच अधिकारी समेत पांच घेरे में

उत्तर प्रदेश सतर्कता विभाग ने भी मामले का लिया संज्ञान, लटकी कार्रवाई की तलवार

Sandesh Wahak Digital Desk/A.R.Usmani: सूबे की योगी सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करती है और कार्रवाई भी करती है, लेकिन कुछ घाघ अधिकारी व कर्मचारी ऐसे हैं, जो अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। भ्रष्टाचार रूपी दीमक ग्राम पंचायतों में विकास के नाम पर सरकारी खजाने को खोखला कर रहा है और जिम्मेदार अधिकारी जांच की आड़ में इस पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं।

रूपईडीह विकास खण्ड की ग्राम पंचायत बेलवा बाजार का मामला

ताज़ा मामला जिले के रूपईडीह विकास खंड की ग्राम पंचायत बेलवा बाजार का है, जहां ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव ने साठगांठ करके बिना काम कराए और मानकविहीन काम कराकर 40 लाख रूपए गबन कर लिए। जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत अन्य उच्चाधिकारियों तक पहुंचने और गबन के इस बड़े मामले में अपेक्षित कार्रवाई न होने पर अब यह मामला तूल पकड़ लिया है और जांच अधिकारी समेत पांच लोग घेरे में आ गए हैं।

वहीं दूसरी तरफ इस घोटाले के बाबत जो दस्तावेज ‘संदेश वाहक‘ को मिले हैं, वह न सिर्फ चौंकाने वाले हैं, बल्कि विकास के नाम पर भ्रष्टाचार की जड़ों को उजागर करने के लिए काफी हैं। ग्राम पंचायत बेलवा बाजार में जिन विकास कार्यों को कागजों में दिखाकर सरकारी धन की बंदरबांट की गयी है, वह वास्तविकता के धरातल पर दूर-दूर तक नजर नहीं आते हैं।

उत्तर प्रदेश सतर्कता विभाग ने भी मामले का लिया संज्ञान

मिले दस्तावेजों के मुताबिक, उक्त ग्राम पंचायत में क्रिएशन ऑफ न्यू ड्रिकिंग वाटर के लिए 48,423, रोड साइड प्लान्टेशन के लिए 11,560, क्रिएशन ऑफ न्यू सोर्स ड्रिकिंग वाटर के लिए 92,623, डोर टू डोर वेस्ट कलेक्शन के लिए 2800, डैनिंग लाइन ग्रे वाटर के लिए 1,49,973, कान्ट्रक्शन ऑफ सिनेटरी काम्प्लेक्स के लिए 1,01,586 रूपए का भुगतान ले लिया गया।

इसी तरह पब्लिक टॉयलेट के लिए 2,48,412 रूपए, दिव्यांग शौचालय के लिए 1,79,386 रूपए, हजारी की चरनी से सिरसा तालाब तक नाली व इंटरलॉकिंग कार्य दिखाकर 4,33,376 रूपए तथा डामर रोड से मंदिर तक इंटरलॉकिंग कार्य के नाम पर 1,85,896 रूपए निकाल लिए गए। विकास की आड़ में सरकारी धन की बंदरबांट का सिलसिला यही नहीं रूका, बल्कि कायाकल्प के नाम पर 4,57,013 रूपए, श्रीचंद के घर से जिलेदार के घर तक इंटरलॉकिंग कार्य पर 8000 रूपए निकाले गए।

इसी प्रकार स्वामीनाथ के घर से त्रिपुरारी के घर तक इंटरलॉकिंग कार्य पर 74000 रूपए, कमलेश्वर मंदिर से राजू के घर तक इंटरलॉकिंग कार्य पर 50,000 रूपए, संगमलाल के घर से लक्ष्मीनरायन के घर तक इंटरलॉकिंग कार्य पर 84,948 रूपए तथा शिवम के घर से डेबा के घर तक इंटरलॉकिंग कार्य पर 3,11,716 रूपए निकाल लिए गए। इसके साथ ही उक्त ग्राम पंचायत में तमाम अन्य कार्य भी गुणवत्ताविहीन कराकर सरकारी धन डकार लिए जाने के आरोप हैं।

डीएम व सीडीओ ने भी नहीं लिया एक्शन

ग्राम पंचायत बेलवा बाजार के रहने वाले प्रताप नारायण दूबे का कहना है कि उन्होंने सरकारी धन के गबन की शिकायत पिछले साल मई माह में डीएम नेहा शर्मा को शिकायती पत्र देकर की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान व पंचायत सचिव ने बिना काम कराए तथा मानकविहीन कार्य कराकर 40 लाख रूपए का भुगतान करा लिया। इतना ही नहीं, इन्होंने अपने परिवार के बैंक खाते में विकास कार्य का पैसा डालकर सरकारी धन का दुरूपयोग किया है।

इस पर डीएम ने जांच के आदेश दिए लेकिन हद तो तब हो गई जब जांच में भी घोटाला कर दिया गया और जांच टीम द्वारा जिलाधिकारी को भी न सिर्फ गुमराह किया गया, बल्कि ग्राम प्रधान व सचिव को दर्शाए गए कामों को आनन-फानन में कराने की छूट दे दी गई। हालांकि, कार्यों को न तो पूरा किया गया और न ही मानक के अनुसार कराया गया। वहीं इस मामले में अब प्रताप नारायण दूबे द्वारा सीडीओ अंकिता जैन से शिकायत कर कार्रवाई की मांग की गयी है।

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