Gonda Lok Sabha Seat: यहां कभी चुनावी मुद्दा नहीं बन सका विकास
Sandesh Wahak Digital Desk/A.R. Usmani: साल 2009 में बेनी प्रसाद वर्मा गोण्डा लोकसभा सीट (Gonda Lok Sabha Seat) से सांसद चुने गए थे। चुनाव के दौरान उन्होंने मनकापुर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं से दशकों से बंद नवाबगंज चीनी मिल को पुन: चालू कराने के साथ ही कई फैक्ट्रियां लगवाने के वायदे किए थे, लेकिन पूरे पांच साल तक वे क्षेत्र में कहीं दिखाई दिए थे। वर्ष 2014 के चुनाव से ठीक पहले वह फिर प्रकट हुए और ताबड़तोड़ कई शिलान्यास किए। फिर वादों का झुनझुना थमाए और गोण्डा में कल-कारखाने लगवाने के लिए भूमि पूजन तक करा दिए, लेकिन कारखानों का अता-पता नहीं चला।
यहां के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित
जिले में 1214 गांव, 17 पुलिस स्टेशन, 16 ब्लॉक और चार तहसीलें हैं। गोण्डा लोकसभा क्षेत्र (Gonda Lok Sabha Seat) में गौरा, गोण्डा, मनकापुर, मेहनौन व बलरामपुर जिले की उतरौला विधानसभा सीट शामिल है। मंडल मुख्यालय होने के बाद भी यहां के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज की बात हो या फिर लेखपाल ट्रेनिंग सेंटर की, सभी बड़ी परियोजनाओं का काम अधूरा है। गोण्डा के मतदाता विकास की बाट जोह रहे हैं। नवाबगंज क्षेत्र के मतदाता बाढ़ के स्थाई समाधान के साथ ही दशकों से बंद पड़ी चीनी मिल के पुन: चालू होने की आस लगाए हुए हैं।
दशकों से बंद नवाबगंज चीनी मिल चालू कराने का बेनी प्रसाद वर्मा ने किया था वादा
वहां के लोग बताते हैं कि बेनी प्रसाद वर्मा ने 2009 में चुनाव के दौरान वादा किया था कि जीतने के बाद वह नवाबगंज चीनी मिल को चालू कराएंगे। वह चुनाव तो जीत गए लेकिन मतदाताओं से किए गए अपने वादे से हार गए। गोण्डा में मुद्दे बड़े हैं, लेकिन इन्हें अमलीजामा पहनाने वाला कोई नहीं है। जिले में 8 साल से बन रहा राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज आज भी अधूरा है। पिछले 16 साल से लेखपाल ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण कार्य लटका हुआ है। इसके साथ ही क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला भी रेंग रही है।
राजकीय महाविद्यालय में सुविधाओं का अभाव है तो गौरा विधानसभा क्षेत्र के बभनजोत में आईटीआई व सद्भाव मंडप निर्माण भी लटका हुआ है। मुख्यालय पर 300 शैया का मंडलीय चिकित्सालय और कूड़ा निस्तारण के लिए एमआरएफ सेंटर भी इंतजार में है। इसके अलावा मनकापुर, नवाबगंज, करनैलगंज, सुभागपुर व मसकनवा में रेलवे क्रॉसिंग पर लंबे जाम की समस्या 24 घंटे बनी रहती है।
इसलिए यहां पर फ्लाईओवर का निर्माण सबसे ज्यादा जरूरी है। जनप्रतिनिधियों को इस मुद्दे की तरफ ध्यान देने की जरूरत है, लेकिन इस पर कोई भी बात नहीं कर रहा है। यहां मंडल स्तरीय रोडवेज बस अड्डा की जरूरत है लेकिन जमीन ही नहीं मिल रही है। हालांकि, शासन से मंडलीय बस अड्डा बनाने का निर्देश मिला था लेकिन जमीन न मिलने से यह योजना खटाई में पड़ गयी। शहर के बीच में रोडवेज बस स्टेशन है, जहां जगह का अभाव है। ऐसे में यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
उद्योगों की स्थापना में रूचि नहीं ले रहे माननीय
जिले में उद्योग के नाम पर सिर्फ मनकापुर आईटीआई लिमिटेड है। वह भी धनाभाव से जूझ रही है। जिले में चार चीनी मिले हैं। इसके अलावा उद्योग के नाम पर यहां कुछ नहीं है। इससे स्थानीय लोगों को दूसरे राज्यों में जाना पड़ रहा है। उद्योगों की स्थापना से पलायन रुक सकता है लेकिन जनप्रतिनिधियों द्वारा उद्योगों की स्थापना में कोई रूचि नहीं ली गई। व्यापारी ट्रांसपोर्ट नगर स्थापित करने की मांग अरसे करते आ रहे हैं, लेकिन उनकी भी मांग पूरी नहीं हुई।
नगरीय सीमा विस्तार व रिंग रोड योजना खटाई में
गोण्डा नगर निकाय में सीवर लाइन की योजना करीब एक दशक पहले बनी थी। शासन स्तर पर लिखा-पढ़ी भी की गई, लेकिन अब इसका कुछ पता नहीं चल रहा है। इसलिए शहरवासी जल निकासी की समस्या से जूझ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर नगर की सीमा से सटे 22 गांवों को नगर पालिका परिषद गोण्डा में शामिल किया जाना था लेकिन यह योजना भी लंबित है।
गांवों को नगर में शामिल कराने के लिए प्रयास किए गए, किंतु सफलता नहीं मिल पाई। शहर को जाम से मुक्त करने के उद्देश्य से रिंग रोड बनाने का खाका तैयार किया गया। बालपुर से कटहाघाट होते हुए फैजाबाद हाईवे पर स्थित पराग डेयरी और इसे आगे बढ़ाते हुए बलरामपुर रोड में मिलाकर गोण्डा-बहराइच मार्ग से फिर गोण्डा-लखनऊ मार्ग को जोडऩे की महत्वपूर्ण योजना भी अधर में है।
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