Azamgarh News : 35 साल से यूपी पुलिस की नौकरी कर रहा था गैंगस्टर, जाने कैसे खुली पोल
Azamgarh News : यूपी पुलिस से एक हैरान कर देने वाक्या सामने आया है. एक गैंगस्टर 35 साल से आजमगढ़ के थानों में होमगार्ड के तौर पर तैनात रहा. उसकी बाकायदा ड्यूटी लगती रही और मानदेय भी मिलता रहा. लेकिन, पुलिस महकमे को भनक तक नहीं लगी कि उनके बीच एक अपराधी काम कर रहा है. उसके भतीजे ने जब पुलिस में शिकायत की तब मामले की जांच शुरू हुई. DIG की जांच में पूरा मामला खुलकर सामने आया तो उसे निलंबित कर दिया गया.
फर्जीवाड़े की जांच में पुष्टि होने पर पुलिस ने रानी की सराय थाने में उसके खिलाफ मुकदमा भी पंजीकृत किया है. आरोपी होमगार्ड नकदू के भतीजे की शिकायत पर तत्कालीन डीआईजी वैभव कृष्ण ने जांच कराई थी. नकदू के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती के कई मामले दर्ज थे. इसके बाद भी वह सितंबर 1990 से लेकर 2024 तक रानी की सराय और मेंहनगर थाने में नौकरी करता रहा. लेकिन, किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी.
आरोपी नकदू के भतीजे नंदलाल ने चाचा के खिलाफ तीन दिसंबर को डीआईजी वैभव कृष्ण से शिकायत की थी. बताया था कि चाचा 35 साल से फर्जी तरीके से होमगार्ड की नौकरी कर रहे हैं. इस पर डीआईजी ने जांच के आदेश दिए. जांच में सामने आया कि रानी की सराय थाना क्षेत्र के चकवारा निवासी नकदू पर 1984 में हत्या और साक्ष्य छुपाने का मुकदमा दर्ज हुआ था.
नकदू ने 1984 में जहानागंज थाना क्षेत्र के रहने वाले मुन्ना यादव की रंजिश में गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके बाद नकदू पर 1987 में डकैती का मुकदमा दर्ज हुआ. फिर नकदू पर 1988 में गैंगस्टर की कार्रवाई की गई. उसकी हिस्ट्रीशीट भी खोली गई. जांच में सामने आया कि नकदू यादव कक्षा चार तक गांव के प्राइमरी स्कूल में पढ़ा है. कक्षा आठ का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर उसने वर्ष 1990 में होमगार्ड की नौकरी हासिल की.
आरोपी नकदू ने नौकरी पाने के लिए अपनी पहचान भी बदल दी. 1990 के पहले तक आरोपी की पहचान नकदू यादव पुत्र लोकई यादव के रूप में थी. इसके बाद वह नकदू से नंदलाल बन गया. उसके द्वारा कूट रचित दस्तावेज तैयार कर नाम में परिवर्तन किया गया था. मजे की बात तो ये है कि हिस्ट्रीशीटर होने के बाद भी तत्कालीन रानी की सराय थाने और लोकल इंटेलिजेंस की टीम के प्रभारियों ने आरोपी होमगार्ड के चरित्र प्रमाण पत्र पर सितंबर 1992 में हस्ताक्षर भी कर दिए.
एसपी आजमगढ़ हेमराज मीणा ने बताया कि नकदू के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा पंजीकृत कर जांच शुरू कर दी है. आरोपी किस प्रकार से पुलिस को चकमा देकर नौकरी करता था, इसकी भी विभागीय जांच कराई जा रही है. पता लगाया जा रहा है कि वह अब तक पुलिस की पकड़ में क्यों नहीं आया था.