सम्पादक की कलम से : महंगाई की रफ्तार पर ब्रेक कब?
Sandesh Wahak Digital Desk : लगातार बढ़ती महंगाई ने आम आदमी की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। खाद्य पदार्थों से लेकर सब्जियों तक के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। हालत यह है कि कई राज्यों में टमाटर दो सौ रुपये किलो बिक रहा है। सरकार के ताजा आंकड़ों से भी इसकी पुष्टि होती है। इसके मुताबिक जून माह में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में इजाफे के कारण खुदरा महंगाई दर तीन महीने के अपने उच्चतम स्तर 4.81 पर पहुंच गयी है।
हालांकि सरकारी आंकड़ों में जून से पहले के कुछ महीनों में महंगाई दर में नरमी दर्ज की गई थी लेकिन बाजार में इसका कोई असर नहीं दिखा था। वहीं सरकार ने टमाटर की कीमतों को कम करने के लिए खुद इसकी बिक्री की योजना बनाई है।
सवाल यह है कि :-
- क्या केवल टमाटर बेच कर महंगाई की रफ्तार को कम किया जा सकता है?
- दैनिक उपभोग की वस्तुओं का मूल्य निर्धारण क्यों नहीं किया जा रहा है?
- रोजमर्रा की जरूरतों को बाजार के हवाले क्यों कर दिया गया है?
- क्या अनाज और सब्जियों के महंगे दामों का फायदा किसानों को मिल रहा है?
- क्या बिचौलियों और जमाखोरों पर अंकुश लगाने में सरकार नाकाम रही है?
- उत्पादन के बावजूद बाजार में कृत्रिम कमी कौन उत्पन्न कर रहा है?
भारत ही नहीं पूरी दुनिया में महंगाई की रफ्तार बढ़ती जा रही है। इसकी बड़ी वजह कोरोना महामारी के दौरान लंबे लॉकडाउन और आर्थिक गतिविधियों के ठप होना रहा है। रही सही कसर रूस-यूक्रेन युद्ध ने निकाल दी है। यह युद्ध पिछले 17 महीने से जारी है।
इसके कारण यूरोप और अमेरिका में खाद्य वस्तुओं के दाम तेजी से बढ़े हैं क्योंकि युद्धरत यूक्रेन और रूस से ही इन देशों को करीब 40 फीसदी खाद्यान्न की आपूर्ति होती थी। हालांकि भारत में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में महंगाई दर कम है लेकिन यह इतनी जरूर है कि आम आदमी की हालत खराब होती जा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक भी इसे लेकर चिंतित है।
लगातार बढ़ रही सब्जियों की कीमतें
पर्याप्त अन्न भंडार के बावजूद यहां खाद्य वस्तुओं से लेकर सब्जियां तक की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। इसमें दो राय नहीं कि इसकी बड़ी वजह बाजार में सक्रिय बिचौलिए और जमाखोर हैं। इनका पूरा नेटवर्क है और ये अपने अनुसार बाजार को संचालित करते रहते हैं। सबसे अधिक मुनाफा यही बिचौलिए उठा रहे हैं। ये न केवल कृत्रिम रूप से बाजार में वस्तुओं की किल्लत उत्पन्न कर देते हैं बल्कि मनमानी कीमतें वसूल रहे हैं।
दूसरी ओर मुनाफे का असली हकदार किसान आज भी औने-पौने दाम पर अपनी फसलों को बेचने के लिए मजबूर है। जाहिर है सरकार को महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। केवल टमाटर बेचकर सरकार आम आदमी को राहत नहीं पहुंचा सकती है। सरकार को चाहिए कि वह न केवल रोजमर्रा की वस्तुओं की न्यूनतम और अधिकतम कीमतों का निर्धारण करे बल्कि बिचौलियों और जमाखोरों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करे अन्यथा स्थितियां हाथ से बाहर हो जाएगी।
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