संपादक की कलम से: कब बुझेगी मणिपुर हिंसा की आग?
पूर्वोत्तर भारत के प्रमुख राज्य मणिपुर में हिंसा की आग बुझने का नाम नहीं ले रही है।
Sandesh Wahak Digital Desk: पूर्वोत्तर भारत के प्रमुख राज्य मणिपुर में हिंसा की आग बुझने का नाम नहीं ले रही है। ताजा हिंसा में यहां के खोखेन गाँव में सुरक्षा बलों की वर्दी में आए मैतेई समुदाय के उग्रवादियों ने कॉबिंग के बहाने ग्रामीणों को घरों के बाहर बुलाकर गोलीबारी की। इसमें एक महिला समेत तीन लोगों की मौत हो गई।
सवाल यह है कि…
- शांति प्रिय और प्रकृति संसाधनों से परिपूर्ण राज्य में हिंसा का तांडव क्यों हो रहा है?
- गृहमंत्री अमित शाह की कोशिशों और सेना की तैनाती के बावजूद हालात नियंत्रित क्यों नहीं हो रहे हैं?
- क्या हिंसा के पीछे कोई गहरी साजिश है?
- क्या चीन और आतंकी संगठन इस पूर्वोत्तर राज्य में अव्यवस्था फैलाने की कोशिश कर रहे हैं?
- सरकार स्थिति को संभालने में नाकाम क्यों है?
- समस्या के समाधान को दोनों पक्षों को एक टेबुल पर लाकर वार्ता क्यों नहीं की जा रही है?
- इन उग्रवादियों को आधुनिक हथियार और आर्थिक मदद कहां से मिल रही है?
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग और हाईकोर्ट द्वारा इस संबंध में सरकार से विचार करने के निर्देश के विरोध में तीन मई को आदिवासी एकजुटता मार्च का आयोजन किया गया। इसी दौरान मणिपुर में हिंसा भडक़ी। कुकी और नागा, मैतेई को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ हैं। लिहाजा दोनों ओर से एक-दूसरे समुदाय के लोगों को निशाना बनाया जाने लगा। इस हिंसा में अब तक सौ से अधिक लोग मारे जा चुके हैं जबकि साढ़े तीन सौ घायल हो चुके हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हिंसा को रोकने की न केवल अपील की बल्कि दोनों समुदायों के लोगों से मुलाकात भी की। बावजूद इसके स्थितियां सुधरती नहीं दिख रही हैं। सरकार ने हिंसा की जांच सीबीआई को सौंप दी है। सरकार को अंदेशा है कि इसके पीछे गहरी साजिश हो सकती है।
मणिपुर हिंसा के पीछे चीन की है साज़िश!
इसमें दो राय नहीं कि जम्मू-कश्मीर में मुंह की खा रहे आतंकी संगठन इस सीमावर्ती राज्य में घुसपैठ कर हिंसा फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके पीछे चीन का भी हाथ होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। इस बात की पुष्टि इस बात से हो रही है कि इन उग्रवादियों के पास से अत्याधुनिक हथियार बरामद हुए हैं और यह बिना बाहरी शक्तियों की मदद के संभव नहीं है।
आतंकी और चीन कनेक्शन को पहचानना होगा
साफ है इस मामले को सुलझाने के लिए सरकार को न केवल धैर्य से काम लेना होगा बल्कि स्थानीय लोगों की सुरक्षा का भी पुख्ता इंतजाम करना होगा। स्थितियों पर तभी नियंत्रण लगाया जा सकता है जब दोनों पक्षों को एक टेबुल पर बैठाकर वार्ता की जाए और उनकी समस्याओं का स्थायी समाधान किया जाए। इसके अलावा इसके पीछे के आतंकी और चीन के कनेक्शन की पहचान करना भी जरूरी है, अन्यथा यह देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक को सकता है। ऐसे लोगों को भी चिन्हित करने की जरूरत है जो इनकी मदद कर रहे हैं अन्यथा हालात और परिणाम दोनों ही भयानक हो सकते हैं।
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