सम्पादक की कलम से : यूपी में फैलता आतंक का जाल
Sandesh Wahak Digital Desk : उत्तर प्रदेश में एटीएस ने इसी महीने दो आतंकियों को गिरफ्तार किया है। पिछले साल भी करीब एक दर्जन संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था। ये सभी पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठनों से जुड़े हैं। इसके अलावा पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के एक एजेंट को भी हाल में गिरफ्तार किया गया है। यह पैसों के एवज में भारत की गुप्त सूचनाएं दुश्मन देश को भेज रहा था। इन गिरफ्तारियों से साफ है कि प्रदेश में आतंकी संगठनों की जड़ें गहरी होती जा रही है।
सवाल यह है कि :-
- क्या सीमावर्ती राज्यों के साथ अब उत्तर प्रदेश भी आतंकियों का नया अड्डा बन रहा है?
- क्या चंद पैसों का लालच देकर स्थानीय नौजवानों को बरगलाया जा रहा है?
- खुफिया तंत्र के बावजूद पाकिस्तान के आतंकी संगठन अपने मनसूबों में कामयाब कैसे हो रहे हैं?
- क्या प्रदेश की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था आतंकियों के लिए खाद-पानी का काम कर रही है?
- इन आतंकी संगठनों के मददगार कौन है?
- पुलिस और खुफिया तंत्र को इनकी मौजूदगी की भनक समय पर क्यों नहीं लग पाती है?
- क्या यह स्थिति प्रदेश में नए खतरे की आहट है?
भारत और पाकिस्तान के रिश्ते कभी मधुर नहीं रहे हैं। सीधे युद्ध में कई बार हार का सामना करने के बाद भी पाकिस्तान अपनी गतिविधियों से बाज नहीं आ रहा है। वह जम्मू-कश्मीर और पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्यों में आतंकियों की मदद से हिंसक गतिविधियां संचालित कर रहा है। अब आतंकी उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे सघन आबादी वाले राज्यों में अपनी सक्रियता बढ़ा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश में आतंकी संगठनों की सक्रियता बढ़ी है। इसकी पुष्टि आतंकियों की गिरफ्तारी से होती है।
पैसों का लालच देकर स्थानीय युवाओं को बरगलाने में जुटे
घुसपैठ के दौरान आतंकवादियों की मौतों के बाद इन आतंकी संगठनों ने अपनी रणनीति भी बदल दी है। अब वे पैसों का लालच देकर स्थानीय युवाओं को बरगलाने में जुटे हैं। कई इनके झांसे में आ भी रहे हैं। आतंकी संगठनों के लिए यूपी कई वजहों से मुफीद है। यहां सघन बस्तियां हैं। यहां आतंकी संगठनों के स्थानीय स्लीपर सेल को पहचानना मुश्किल होता है क्योंकि वे स्थानीय निवासी ही होते हैं और आम नागरिक की तरह काम करते हैं।
इससे वे पुलिस की नजरों से बचे रहते हैं और अपने आकाओं के इशारे पर गतिविधियों को अंजाम देते हैं। इसके अलावा कई आतंकियों को नेपाल के रास्ते भी यूपी भेजा जाता है। यही नहीं स्लीपर सेल को पैसा और हथियार मुहैया कराने के लिए भी इसी रास्ते का इस्तेमाल किया जाता है।
सच यह है कि प्रदेश में आतंकी संगठनों और इसके जासूसों का जाल फैला हुआ है और यदि इस पर रणनीति बनाकर कार्रवाई नहीं की गई तो यह भविष्य में घातक साबित होगा। सरकार को चाहिए कि वह आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल को चिन्हित कर उनको सलाखों के पीछे भेजे और त्वरित न्याय के जरिए दोषियों को सजा दिलाए। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर खुफिया तंत्र को मजबूत करे ताकि आतंकियों के मंसूबों को ध्वस्त किया जा सके।
Also Read : सम्पादक की कलम से : भारत-यूएई की नई पहल…