संपादक की कलम से : घाटी में लड़ाकू विमानों की तैनाती के मायने
Sandesh Wahak Digital Desk : चीन और पाकिस्तान से जारी तनाव के बीच भारतीय सेना ने मिग-29 लड़ाकू विमानों के त्रिशूल स्क्वाड्रन को श्रीनगर एयरबेस पर तैनात कर दिया है। इसके पीछे सेना की मंशा इन दोनों पड़ोसी मुल्कों की किसी भी गलत हरकत का मुंहतोड़ जवाब देना है। इस स्क्वाड्रन के विमान मिसाइलों से लैस हैं और पलक झपकते दुश्मन का काम तमाम करने में इन्हें महारत हासिल है।
सवाल यह है कि :-
- अचानक त्रिशूल स्क्वाड्रन को श्रीनगर एयरबेस पर मोर्चा संभालने के लिए क्यों भेजा गया है?
- क्या पाकिस्तान में गहराते आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता ने सीमावर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर के लिए खतरा पैदा कर दिया है?
- क्या चीन-पाकिस्तान की बढ़ती जुगलबंदी और नजदीकियों को देखते हुए भारत सरकार ने यह कदम उठाया है?
- क्या चीन की ओर से किसी खतरे की आशंका दिख रही है?
- क्या मिसाइलों से लैस इन लड़ाकू विमानों की मौजूदगी पड़ोसी चीन और पाकिस्तान पर नकेल कसने में सफल रहेगी?
भारत दो तरफ से दुश्मन देशों चीन और पाकिस्तान से घिरा हुआ है। तीन वर्ष पहले गलवान घाटी में चीन-भारत की सेना के बीच हिंसक झड़प हुई। इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच चुका है। हालांकि दोनों देशों के बीच हालात को सामान्य करने के लिए कमांडर स्तर पर लगातार वार्ता चल रही है लेकिन अभी भी स्थितियों में सुधार होता नहीं दिख रहा है।
अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद से पाकिस्तान बौखलाया
वहीं चीन, पाकिस्तान से मिलकर भारत को घेरने की कोशिश जारी रखे हुए है। वह पाकिस्तान के पाले आतंकियों के पक्ष में भी खड़ा रहता है। चीन की नजर न केवल लद्दाख बल्कि अरुणाचल प्रदेश पर भी लगी हुई है। इसको लेकर भी दोनों देशों के बीच तनाव जारी है। वहीं जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है।
इस मुद्दे पर वैश्विक संस्थाओं में मुंह की खाने के बाद वह भारत विशेषकर जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने में तेजी से सक्रिय हो गया है। पाकिस्तान के हुक्मरान आर्थिक और सियासी अस्थिरता से आवाम का ध्यान हटाने के लिए भी जम्मू-कश्मीर का राग अलापते रहते हैं। फिलहाल वहां स्थितियां बेहद विकट हो चुकी है। बलूचिस्तान और सिंध में अलग देश की मांग तेज हो चुकी है।
भारत को दो मोर्चों पर लड़ाई लड़नी पड़ सकती
बलूचिस्तान में आए दिन हिंसक घटनाएं हो रही हैं। रही सही मार महंगाई और गरीबी ने निकाल दी है। लिहाजा पाकिस्तान की बागडोर एक बार फिर सेना के हाथों में जाने की आशंका बढ़ती जा रही है। ऐसे तनावपूर्ण स्थितियों में भारत को दो मोर्चों पर लड़ाई लड़नी पड़ सकती है।
यही वजह है कि वह न केवल लद्दाख और अरुणाचल में सेना को मजबूती प्रदान कर रहा है बल्कि जम्मू-कश्मीर में भी अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है। श्रीनगर में त्रिशूल स्क्वाड्रन की तैनाती इसी का परिणाम है। इसकी तैनाती से सेना अचानक पैदा हुई किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम हो गई है।
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