संपादक की कलम से: बार-बार डोलती धरती
वैज्ञानिकों की चेतावनी और बार-बार हिलती धरती से भारत सरकार को सबक लेने की जरुरत है। यह बात हम भय पैदा करने के लिए नहीं लिख रहे हमारा उद्देश्य केवल इतना भर है कि एहतियात बरती जाए, देशवासियों को भूकंप के संभावित खतरों से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाए।
Sandesh Wahak Digital Desk: पिछले कुछ अरसे से यह देखने में आ रहा है कि लगातार भूकंप के झटकों से देश और दुनिया दहल रही है। तुर्किये में आए विनाशकारी भूकंप को अभी लोग भूल नहीं पाए थे कि एक बार फिर से भारत के कुछ शहरों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। हलांकि इससे किसी भी तरह के जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं है लेकिन फिर भी इस तरह लगातार भूकंप का आना कोई शुभ संकेत नहीं है। इसी साल के शुरूआती महीनों में ही तकरीबन सात बार पृथ्वी डोल चुकी है। प्रकृति की इस घटना ने वैज्ञानिकों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दीं हैं।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि…
- क्या हम प्रकृति के इस कोप से निपटने के लिए तैयार हैं?
- हमारी तैयारियां किस स्तर की हैं?
- क्या हमारी सरकार ने कभी इसकी समीक्षा के निर्देश दिए?
भारत को करनी होगी मजबूत तैयारी
यह सवाल इस कारण महत्वपूर्ण हैं क्योंकि पिछले कुछ समय में अनेक बार छोटे-छोटे भूकंप आते रहे हैं और हाल ही में इसमें और तेजी आई है। भारत की बात करें तो यहां भूकंप से जनहानि का इतिहास बेहद स्याह रहा है। कौन भूल सकता है गुजरात और महाराष्ट्र के भूकंपों को यहां देखते ही देखते हजारों को लील लिया था और अनेक रिहायशी क्षेत्र पूरी तरह मलबे के ढेर में बदल गए थे। यह सही है कि प्राकृतिक विपदाओं को रोका नहीं जा सकता लेकिन उससे निपटने की तैयारियां तो मजबूत रखी जा सकती हैं।
जापान और चीन की तैयारी के आगे भारत की तैयारी नगण्य
जापान और चीन इसका बहुत बड़ा उदाहरण हैं। जिस तरह सुनामी और भूकंप ने जापान को तबाह किया था यदि वहां पूर्व तैयारी नहीं होती तो लाखों लोग मरते और उसे इस विपदा से उबरने में लंबा समय लगता। चीन में जो भूकंप आया उससे निपटने के लिए वहां पूर्व से की गई तैयारी काम आई और पूरी दुनिया के सामने चीन ने अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। इस दृष्टि से भारत में भूकंप से निपटने की तैयारियां नगण्य ही कही जाएंगी।
भारत सरकार को सबक लेने की है जरुरत
वैज्ञानिकों की चेतावनी और बार-बार हिलती धरती से भारत सरकार को सबक लेने की जरुरत है। यह बात हम भय पैदा करने के लिए नहीं लिख रहे हमारा उद्देश्य केवल इतना भर है कि एहतियात बरती जाए, देशवासियों को भूकंप के संभावित खतरों से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाए। इसके लिए देश में पहले से ही प्राकृतिक आपदा प्रबंधन ग्रुप कार्य कर रहे हैं। जरुरत केवल इस बात की है कि हमारी सरकार उनके कार्यों की बारीकी से समीक्षा करे तथा उचित दिशा निर्देश जारी करे।
यह भी जरुरी है कि भूकंप जैसी तमाम प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों तक राहत जल्द से जल्द कैसे पहुंचे? यह तभी संभव हो पाएगा जब हम पहले से इसके लिए तैयार होंगे।
इसके साथ ही मानव को विकास के नाम पर प्रकृति के अंधाधुंध दोहन से भी बचना चाहिए। जंगलों को काटना, नदियों का रुख अपनी जरूरत के हिसाब से मोड़ देना यह सब प्रकृति के साथ खिलवाड़ है। यदि इस पर लगाम नहीं लगाई गई तो आने वाले वक्त में हमें कुदरत के कहर का सामना करने को तैयार रहना चाहिए।
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