संपादक की कमल से : आतंक पर नकेल कब?
Sandesh Wahak Digital Desk : जम्मू-कश्मीर में तमाम कवायदों के बावजूद आतंकी गतिविधियों पर पूरी तरह लगाम नहीं लग पा रही है। सीमा पार से आतंकी यहां पहुंच रहे हैं और आम आदमी से लेकर सुरक्षा बलों को निशाना बना रहे हैं। एक ताजा मुठभेड़ में सेना के तीन जवान शहीद हो गए हैं।
सवाल यह है कि :-
- पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज क्यों नहीं आ रहा है?
- क्या भारत, अपने पड़ोसी मुल्क पर वैश्विक दबाव बनाने में सफल नहीं हो पा रहा है?
- आखिर आर्थिक और राजनीतिक रूप से अस्थिर पाक को किसकी सहायता मिल रही है?
- पाकिस्तान में बैठे आतंकियों को धन और हथियार कौन मुहैया करा रहा है?
- क्या अनुच्छेद 370 की समाप्ति के कारण आतंकी बौखला गए हैं और वे दहशत फैलाने के लिए सेना और आम जनता को निशाना बना रहे हैं?
- लगातार मारे जाने के बाद भी आतंकी सीमा में घुसने की हिमाकत कैसे कर रहे हैं?
- क्या स्थानीय स्लीपर सेल की बदौलत आतंकी घाटी में अपनी जड़े जमाए हुए हैं?
पाकिस्तान की नजर जम्मू-कश्मीर पर है। भारत से कई युद्धों में मुंह की खाने के बाद उसने अपनी रणनीति बदल दी है और आतंकियों के भरोसे कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता रहा है। अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद पाकिस्तान के हुक्मरान और उसके पाले आतंकी बौखला गए हैं। अब वे यहां दहशत पैदा करने के लिए दो तरफा वार कर रहे हैं। एक ओर वे सुरक्षा बलों तो दूसरी ओर आम जनता को निशाना बना रहे हैं।
इसके अलावा वह सीमा पार से आतंकियों को भेजने की बजाए स्थानीय युवाओं को बरगलाने में जुटे हैं। यहां उनके स्लीपर सेल हैं। ये स्लीपर सेल न केवल आतंकियों की मदद करते हैं बल्कि उनके छिपने की व्यवस्था भी करते हैं। हालांकि, सेना की सक्रियता के कारण आतंकी लगातार मारे जा रहे हैं लेकिन अभी भी कश्मीर घाटी के कई स्थानों में आतंकियों की जड़ें जमी हुई हैं।
गिरफ्तार किए गए आतंकियों से की जा रही पूछताछ
स्लीपर सेल पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं को न केवल सेना के मूवमेंट की जानकारी उपलब्ध कराते हैं बल्कि जरूरत पड़ने पर खुद भी आतंकी घटनाओं को अंजाम देते हैं। इसकी पुष्टि गिरफ्तार किए गए स्थानीय आतंकियों की पूछताछ से हुई है। दरअसल, आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान अपनी आवाम का ध्यान भटकाने के लिए जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को गरमाने में लगा हुआ है। आतंकी गतिविधियों के जरिए वह विश्व के देशों का ध्यान इस ओर आकर्षित कराना चाहता है।
वहीं पाकिस्तान में बैठे आतंकियों को अब चीन का भी समर्थन मिलने लगा है। वह आतंकियों को हथियार और धन उपलब्ध करा रहा है। इसकी पुष्टि मारे गए आतंकियों के पास से मिले चीनी हथियारों से भी होती है। जाहिर है जम्मू-कश्मीर को आतंकियों से मुक्त करने के लिए सरकार व सेना दोनों को रणनीति बदलनी होगी। यहां छिपे स्लीपर सेल को समाप्त किए बिना आतंकियों का खात्मा नहीं हो सकता है।
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