सम्पादक की कलम से: सीबीआई जांच की सिफारिश क्यों?
Sandesh Wahak Digital Desk : ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण टे्रन हादसे में राज्य सरकार की संशोधित सूची के मुताबिक अब तक 275 यात्रियों की मौत हो चुकी जबकि 11 सौ से अधिक लोग घायल हो गए हैं। रेलवे की जांच से पता चला है कि इलेक्ट्रानिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में बदलाव के कारण यह हादसा हुआ। खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दावा किया है कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों को चिन्हित कर लिया गया है। इसके साथ ही रेलवे बोर्ड ने दुर्घटना की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की है।
सवाल यह है कि :-
- जब हादसे के कारणों का पता चल चुका है और जिम्मेदार लोगों की पहचान की जा चुकी है फिर रेलवे को सीबीआई जांच की जरूरत क्यों पड़ी?
- क्या रेलवे को इसके पीछे किसी बड़ी साजिश की आशंका नजर आ रही है?
- क्या रेलवे खुद अपनी जांच से संतुष्ट नहीं है?
- हादसे के कारणों के बारे में रेलवे जो बता रहा है यह मामला उससे कहीं अधिक पेचीदा है?
- क्या सीबीआई जांच से हादसे की हकीकत से पर्दा उठ सकेगा?
- क्या रेलवे को साजिश की आशंका के तार विदेश तक से जुड़े होने का शक है?
बालासोर में हुए रेल हादसे को भारत के भीषणतम ट्रेन दुर्घटनाओं में एक के तौर पर देखा जा रहा है। शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट और मालगाड़ी की टक्कर में होने वाली मौतों की संख्या और रेल मंत्री के जांच के हवाले से दिए गए बयान से साफ है कि यह मानवीय भूल नहीं बल्कि जानबूझकर की गई करतूत है।
हालांकि यह जांच रिपोर्ट के खुलासे से ही पता चलेगा कि जानबूझकर इतने लोगों को मौत के मुंह में ढकेलने वाले की मंशा क्या थी लेकिन जिस तरह रेलवे ने सीबीआई जांच की सिफारिश की है, उससे साफ है कि जांच में कुछ बेहद खतरनाक संकेत मिले हैं। यह भी साफ है कि रेलवे जांच आयोग की अपनी सीमाएं हैं और वह इसकी तह तक बिना केंद्रीय जांच एजेंसी की सहायता से नहीं पहुंच सकता है। लिहाजा, उसे यह फैसला लेना पड़ा।
पीएम मोदी ने कहा- दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा
हालांकि इसके संकेत पीएम मोदी के उस बयान से भी मिल गए थे जब उन्होंने बेहद तल्ख लहजे में कहा था कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। जाहिर है पीएम के पास हादसे को लेकर कोई बेहद खास और खुफिया सूचना मिली होगी और जैसे-जैसे प्राथमिक जांच आगे बढ़ी, हादसे की खतरनाक साजिश के संकेत मिले हो।
केंद्र सरकार और रेलवे इस मामले को लेकर किसी प्रकार का रिस्क भी नहीं उठाना चाहती है। ऐसे में यदि पूरे मामले की जांच सीबीआई करती है तो स्थितियां साफ हो जाएंगी अगर साजिश रची गई है तो उसके सूत्रधार का पता लग सकता है और तब सरकार या रेलवे उस हिसाब से यात्रियों की सुरक्षा का बंदोबस्त कर सकती है। ऐसे समय में जब देश आतंकवाद, नक्सलवाद और विदेशी शत्रुओं से जूझ रहा हो, ऐसी किसी साजिश से इंकार नहीं किया जा सकता है। अब देखना यह है कि सीबीआई इस केस को कब अपने हाथ में लेती है।
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